रांची(RANCHI): साल 2023 कई ऐसे जख्म झारखंड को देकर जा रहा है जिसे याद कर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कई ऐसी वारदात हुई जिससे विधि व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया, और लोग खुद को असुरक्षित सा महसूस करने लगे. आज हम इस रिपोर्ट में सात ऐसी घटनाओं के बारे में बात करेंगे जिसकी पूरे झारखंड में चर्चा हो रही थी. कह सकते हैं कि जिस इलाके में वारदात हुई वह इलाका दहल गया था. चाहे अमन सिंह की हत्या का मामला हो या फिर माकपा नेता सुभाष मुंडा का. इसके अलावा दुमका में गैंगस्टर अमरनाथ सिंह की हत्या की बात करें या रामगढ़ में डीएसपी नीरज कुमार को गोली मारने वाली वारदात की. यह ऐसी घटना है जिसे लोग कभी नहीं भूलेंगे. कभी भी आप इस वारदात के बारे में जानना चाहेंगे तो सबसे ऊपर इन पांचों घटनाओं का जिक्र जरूर होगा.
तीन दिसंबर धनबाद जेल में गैंगस्टर अमन की हत्या
इन पांच वारदात के बारे में चलिए जानते हैं और बताते हैं कि आखिर कैसे अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए. इसकी शुरुआत करेंगे अमन सिंह हत्याकांड से. धनबाद जेल में बंद गैंगस्टर अमन सिंह की हत्या 3 दिसंबर को जेल में ही गोलियों से भून कर कर दी गई थी. अमन सिंह को सात गोली मारी गई. जेल के अंदर हत्या कैसे हो हुई यह अपने आप में बड़ा सवाल था. लेकिन एक सोची समझी साजिश और रणनीति के तहत अमन सिंह को मौत के घाट उतारने की योजना बनाकर अपराधियों ने जेल तक हथियार पहुंचाया और फिर एक सेटिंग के जरिए जेल के अंदर ही अमन सिंह की हत्या कर दी गई. पूरे देश में धनबाद जेल में हुई हत्या सुर्खियों में बनी थी. लोग सवाल पूछने लगे थे की जेल जैसी सुरक्षित जगह जहां एक सुई भी अंदर नहीं जा सकती वहां पर हथियार ले जाकर हत्या कैसे कर दी गई. इस मामले में हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया और राज्य सरकार ने एसआईटी गठन कर पूरे मामले की जांच 2 माह में पूरी कर रिपोर्ट देने को कहा है.
29 जुलाई आदिवासी नेता सुभाष मुंडा की हत्या
दूसरे मामले की जिक्र करें तो आदिवासी नेता सुभाष मुंडा जिसकी हत्या दलादली चौक के पास उनके कार्यालय के अंदर घुसकर अपराधियों ने गोली मार कर कर दी थी. इस हत्या के बाद रांची में जमकर बवाल हुआ था. करीब 12 घंटे से अधिक हाईवे जाम रहा, चौक हजारों की संख्या में लोग लाठी डंडे से लैस होकर सड़क पर आगजनी कर रहे थे. और आसपास लगे ठेले खोमचे और शराब दुकान को आग के हवाले कर दिया. बता दें कि सुभाष मुंडा आदिवासी समाज के बड़े नेता के तौर पर हर आदिवासियों के हक अधिकार की आवाज आवाज उठाते थे. लेकिन जैसे ही 29 जुलाई को रात करीब 7:00 बजे हत्या की गई उसके बाद लोग आक्रोशित हो गए थे,सिटी एसपी गाड़ी में भी तोड़फोड़ कर दी गई थी. करीब 7:00 बजे हत्या हुई और सुबह 4:00 बजे जाम हटाया गया था. कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों को पुलिस ने संभाला और शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेजा. इस मामले से पूरे आदिवासी समाज के लोग काफी आक्रोशित थे. हालांकि बाद में पूरे प्रकरण का खुलासा हुआ तो पता चला कि जमीन को लेकर सुभाष मुंडा की हत्या की गई थी.
17 जुलाई को ATS डीएसपी को अपराधियों ने मारी गोली
इसके अलावा एटीएस के डीएसपी नीरज कुमार पर छापेमारी के दौरान अपराधियों ने गोलियां बरसाई थी. मालूम हो कि यह घटना रामगढ़ के पतरातू इलाके में हुई थी. जब 17 जुलाई को संगठित अपराधियों के खिलाफ एटीएस कार्रवाई कर रही थी. छापेमारी के दौरान एक जंगल में एटीएस के डीएसपी और रामगढ़ थाना प्रभारी के अलावा अन्य जवान पहुंचे, जैसे ही पुलिस को अपराधियों ने देखा तो अंधाधुंध गोली चलाने लगे. जिसमें ats डीएसपी नीरज कुमार के पेट में गोली लगी थी. इसके अलावा थानेदार भी जख्मी हुए थे. इस वारदात के बाद विधि व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया था. सवाल उठने लगा था कि पुलिस कैसे कार्रवाई कर रही है जिसमें वह खुद भी सुरक्षित नहीं है. अपराधियों का मनोबल इतना कैसे बढ़ गया है, हर तरफ इस मामले की चर्चा हो रही थी. हालांकि देर रात ही पूरे इलाके की घेराबंदी कर दो अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. शुक्र रहा कि गोली कांड में ATS डीएसपी नीरज कुमार बाल-बाल बच गए और रांची के मेडिकल अस्पताल में इलाज किया गया जहां महीनों अस्पताल में रहने के बाद इन्हें छुट्टी मिली.
पाँच जुलाई को रातू रोड में दिन दहाड़े हत्या
अब बात रांची के व्यस्त इलाके में हुई हत्या की करें तो रातू रोड गलैक्सिया मॉल के सामने संजय कुमार नामक एक व्यक्ति की अपराधियों ने दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी . संजय कुमार चर्चित कारोबारी कमल भूषण हत्याकांड के मुख्य गवाह थे. संजय अपने घर से निकल कर दफ्तर जा रहे थे, तभी अपराधियों ने घात लगातार हत्या कर दी थी. वारदात के बाद इलाके में दहशत बन गया था. संजय कुमार कमल भूषण के अकाउंटेंट भी थे और तमाम पैसों की जानकारी भी इनके पास मौजूद थी. हत्याकांड के बाद पुलिस एक्शन में आई और सिटी एसपी ने कार्रवाई करते हुए इस हत्याकांड में शामिल अपराधियों को सलाखों के पीछे भेज दिया.
लेकिन इस हत्याकांड से शहर की सुरक्षा पर एक सवाल उठ गया था कि अब तक शहर से बाहर अपराधी उत्पात मचाते थे लेकिन अब शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके में भी अपराधी खुलेआम हथियार से किसी को गोली मार कर मौत के घाट उतार रहे हैं.
28 जुलाई को बासुकीनाथ में गैंगस्टर अमरनाथ की हत्या
इसके अलावा जमशेदपुर के मानगो के कुख्यात अपराधी अमरनाथ सिंह की बासुकीनाथ धाम के पास गोली मारकर हत्या कर दी थी. बताया जाता है कि कांवरिया के भेष में अपराधी हथियार लेकर पहुंचे थे जैसे ही अमरनाथ सिंह को देखा उन पर ताबड़ तोड़ गोलियों चला दी. यह वारदात 28 जुलाई की थी जब अमरनाथ सिंह परिवार के अन्य सदस्य और दोस्त के साथ बाबा भोले के दर्शन करने गए थे. लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं थी कि यह दर्शन उनका आखिरी दर्शन होगा. आम तौर पर जब सावन का महीना होता है तो बासुकीनाथ में काफी भीड़ होती है. पूरे झारखंड के अलावा देश के लोग बासुकीनाथ पहुंच कर दर्शन करते हैं, भीड़ देखते हुए सुरक्षा चाक चौबंद होने के दावे पुलिस प्रशासन की ओर से किया जाता है. लेकिन जिस तरह से वारदात को अंजाम अपराधियों ने दिया यह पुलिस के लिए चुनौती थी.
14 सितंबर जमीन कारोबारी अवधेश को कांके में अपराधियों ने मारी गोली
फिर रांची में 14 सितंबर को कांके थाना क्षेत्र में अपराधियों ने एक जमीन कारोबारी को पाँच गोली मारी थी. बताया जाता है कि अपराधी बाइक पर सवार थे वह अवधेश के पास गए कुछ बात हुई और फिर पिस्टल निकाल कर अंधाधुन गोली मार कर फरार हो गए.इस वारदात के बाद गोलियों की आवाज पूरे मोहल्ले में सुनाई दी थी. आनन फानन में जमीन कारोबारी को लोगों ने पल्स अस्पताल पहुंचाया जहां वे ज़िंदगी और मौत से कई दिनों तक लड़ते रहे. हालांकि उसकी जान बच गई. इस मामले में भी पुलिस रेस हुई और बाद में हत्या की साजिश रचने वाले से लेकर वारदात को अंजाम देने वाले अपराधियों को दबोच लिया.
14 दिसंबर थाना के बगल में हत्या
14 दिसंबर गुरुवार देर शाम दुकान में अज्ञात अपराधियों ने कारोबारी गोपाल श्रीवास्तव के दुकान में घुसकर उन्हें गोली मारी और फिर मौके से फरार हो गए. यह वारदात ऐसी जगह हुई जहां भीड़ भाड़ रहती है. 100 मीटर की दूरी पर कोतवाली थाना मौजूद है. इसके बावजूद अपराधी इतने बेखौफ हैं कि कारोबारी को आराम से गोली मार कर निकल गए. इलाज के दौरान गोपाल श्रीवास्तव की मौत हो गई जिसके बाद दूसरे दिन अपर बाजार में सभी दुकानें बंद रख कर विरोध जताया गया था.
7 ऐसी वारदात हुई जिसनसे एक तरफ विधि व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया तो दूसरी ओर लोगों के मन में एक दहशत सा बन गया. जब लोग घर से बाहर निकलते हैं तो घरवालों के मन में एक डर लगा रहता है कि कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए. उम्मीद है कि साल 2023 की हर घटनाओं से उभर कर हम 2024 में एक सुरक्षित वातावरण की शुरुआत करेंगे.
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