टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-आखिर राजनीति में करवट बदलने में माहिर नीतीश कुमार के मन में क्या चल रहा है ?. विपक्षी एकता के अगुवा नीतीश की क्या आरजेडी से नहीं बन रही है?. क्या तेजस्वी और नीतीश में दूरियां जगजाहिर होने लगी है. क्या पहले जैसे नीतीश कुमार पाला बदलते आए हैं, क्या इसबार भी एनडीए का हाथ पकड़ने वाले हैं ?. कई तरह के कयास, चिंतन, मंथन और दांव-पेंच की तरह-तरह की बात सामने आ रही है.
फिलहाल नीतीश कुमार विपक्षी एकता को लेकर देशभर में सुर्खियों में हैं, उनकी ख्वाहिश मोदी सरकार को दिल्ली की गद्दी से उखाड़ फेंकने की है. वह, कश्मीर से लेकर कन्यकुमारी तक के नेताओं को पटना में एक मंच पर लाने में बहुत हद तक कामयाब हुए हैं. लिहाजा, अगर इस अहम घड़ी में, महागठबंधन की सरकार से गड़बड़ उजागर होने लगे, तो लाजमी है कि आगे मुश्किलें आय़ेगी और सबकुछ साजगार नहीं होने वाला. हालांकि, इस पर अभी खुलकर कोई न तो बोल रहा है औऱ न ही पत्ते खोल रहा है.
तेजीस्वी-नीतीश के बीच दूरी !
शनिवार को नीतीश कुमार राजगीर में होने वाले मलेमास मेले का जायजा लिया. उनके साथ पर्यटन मंत्री तेजस्वी यादव नहीं दिखे, कायदे से उनकी मौजूदगी होनी चाहिए थी. वही, बाहर लगे बैनर-पोस्टर में तेजस्वी की बजाए नीतीश कुमार ही चारों तरफ छाए हुए थे. लाजमी है कि, शक तो गहरायेगा ही,कि नीतीश और तेजस्वी के बीच कुछ खटपट तो नहीं चल रही है. अभी शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर औऱ अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच विवाद को लेकर भी राजद औऱ जेडीयू के बीच तनातनी बढ़ी हुई है.इतना ही नहीं लालू परिवार के करीबी आरजेडी एमएलसी सुनील कुमार सिंह लगातार सीएम नीतीश पर हमलावर हैं. जिस पर जेडीयू नेताओं की चेतावानी सामने आ रही है कि कभी भी सब्र का बांध टूट जाएगा.
मांझी ने कयासों को दी हवा
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और संस्थापक जीतनराम मांझी हाल ही में महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गए. लगातार नीतीश कुमार पर उनके तीखे बोल सुनने को मिल रहें हैं. इस बार उन्होंने दिल्ली में कहा कि नीतीश कुमार का पाला बदलना कोई नई बात नहीं है. देखना ये होगा कि वो कब बदलते हैं और किस तरह से बदलते हैं. उन्होंने बताया कि आरजेडी औऱ जेडीयू का गठबंधन ही बेमेल है. दोनों दलों के वैचारिक स्तर और समाज उनकी स्वीकार्यता के नजरीए से भी सही नहीं दिखता है. इस गठबंधन का ज्यादा दिनों तक बने रहना भी राज्य के लिए अच्छा नहीं है. मांझी ने कहा कि एनडीए के साथ नीतीश कुमार थे, तो राज्य में अच्छा काम हुआ. अभी कमजोर पड़ गया है.इससे पहले जनसुराज अभियान पर निकले प्रशांत किशोर ने कहा था कि राज्यसभा सांसद हरिवंश के जरिए जेडीयू भाजपा नेताओं से संबंध जोड़े हुए हैं.
खैर आगामी लोकसभा चुनाव की चिंता सभी दलों की है, बेंगलुरु में विपक्षी एकता की बैठक होने वाली है. लिहाजा, किसी भी तरह के टूट इस एकता के लिए खतरनाक साबित होगी. यहां सभी के सामने साथ-साथ रहने की मजबूरी है.भले दिल मिले या न मिले, हाथ तो एनडीए के खिलाफ लड़ने के लिए मिलाना ही होगा.
रिपोर्ट-शिवपूजन सिंह
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