टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-पटना में विपक्षी एकता की बैठक हुई, जहां सियासत पर आगे की चर्चा चली और बीजेपी के विजयी रथ रोकने पर मंथन औऱ माथापच्ची भी खूब हुई. मसला आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को दिल्ली के सत्ता से बेदखल करना था. राहुल गांधी इसे लेकर देश ही नहीं विदेश में भी बीजेपी और पीएम मोदी पर लगातार हमलावर हैं. उनके तकिया कलाम कि वे नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलकर बैठा हूं. अक्सर इसका जिक्र और चर्चा राहुल करते आए हैं. उनके मोहब्बत की दुकान वाली बात पर , आप पार्टी बेहद ही चुटीले अंदाज घेर भी रही औऱ तंज भी तमताम के कस रही है.
आप का अल्टिमेटम
पटना में विपक्ष के महाजुटान पर आप की जिद थी कि दिल्ली पर केन्द्र सरकार के लाए अध्यादेश पर पर पहले चर्चा हो, केजरीवाल का अल्टीमेटम था,कि कांग्रेस अपना रुख साफ करें कि वो समर्थन करेगी या नहीं. इसे लेकर मीटिंग में आप-कांग्रेस के बीच तीखी नोकझोक भी हुई. हालांकि, कांग्रेस ने इसका पलटकर जवाब भी दिया था. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि किसी को जबरन कनपटी पर बंदुक रखकर फैसला नहीं करवा सकते. वही, कांग्रेस अध्यक्ष मलिकाअर्जुन खरगे ने आप के इस कदम को भड़काव करार दिया.
नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान
कांग्रेस के इस रुख से आप पार्टी तिलमिला गई है, दबाव की राजनीति उसकी काम नहीं आ रही है. हालांकि, केजरीवाल की चेतावनी औऱ चाल को सभी समझ गये औऱ उतना भाव नहीं दिया . केजरीवाल की इस जल्दबाजी पर नेशनल कांफ्रेंस औऱ टीएमसी ने भी नाराजगी जताई. अकेले पड़ते दिख रही आप को इससे फर्क नहीं दिख रहा . वह, अभी भी निशाना साधने से नहीं चुक रही है . उसने राहुल गांधी के जुमले नफरत की दुकान में मोहब्बत की दुकान खोलकर बैठा हूं. इस पर तंज कसा है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने राहुल गांधी पर कहा कि उन्हें पसंद है जो गांधी अक्सर दोहराते हैं.’’मैं नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलकर बैठा हूं, लेकिन ,सर हम मानते हैं कि वहां नफरत का बाजार है, लेकिन आपको वहां प्यार भी देना चाहिए. अगर विपक्षी दल आपके पास प्यार मांगने आए हैं और आप कहते हैं कि आपके पास यह नहीं है, तो यह आपके मोहब्बत की दुकान पर सवाल खड़ा करता है’’
आप को भाव नहीं दे रही कांग्रेस !
आप के रवैये को कांग्रेस पहले ही तिलमिला गई है औऱ इसे भड़काव करार दिया है. वह इसे एक दबाव की राजनीति मान रही है. हालांकि, सियासी दांव-पेंच में आगे की तस्वीर क्यो होगी , ये देखना दिलचस्प होगा . लेकिन, केजरीवाल ने जिस तरह विपक्ष की बैठक से पहले और मौजूद रहते किचकिच की औऱ झूठा अभिमान दिखाया. इससे कांग्रेस तो बौखला गई है औऱ किनारा करती दिख रही है. इसके साथ ही अन्य पार्टियां भी आप के रवैये से खफा है. देखा जाए तो, जल्दबाजी में ही केजरीवाल अपनी बात मनवा लेना चाहते हैं. यानि उनका मकसद लोकसभा चुनाव से ज्यादा दिल्ली की सत्ता को बनाए रखना ही दिखाता है. अगर वाकई वो भाजपा के लगातार तीसरी बार विजयी अभियान को रोकना चाहते तो लोकसभा चुनाव उनके एजेंडे में पहले रहता. लेकिन, मतलब की सियासत में माहिर आप के एजेंडे में सबसे पहले अध्यादेश है. जिसे लेकर कभी तीखा बोलते हैं, तो कभी दबाव बनाते हैं, तो कभी बॉयकट की धमकी देते हैं. सवाल है कि अगर कांग्रेस अध्यादेश पर समर्थन नहीं दे, तो केजरीवाल क्या कर लेंगे. ज्यादा से ज्यादा विपक्ष के महागठबंधन से दूर रहेंगे. लेकिन, इससे कोई ज्यादा फर्क किसी को नहीं होने वाला है. क्योंकि विपक्ष एकता की असली ताकत कांग्रेस ही है. नीतीश कुमार औऱ उनके सहयोगी ये बेहतर तरीके से जानते हैं कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अगर विपक्ष में है, तब ही मजबूत रहेंगे औऱ तब ही भाजपा औऱ मोदी से मुकाबला किया जा सकता है.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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