टीएनपी डेस्क(TNP DESK):-पटना में विपक्षी एकता की बैठक तो हो गयी, कश्मीर से कन्याकुमारी तक के नेता पहुंचे . भाजपा को चुनौती देने के लिए हाथ से हाथ मिलाया और महागठबंधन को मजबूत करने पर हामी भरी. अब शिमला में आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. इधर दूसरी तरफ अरविंद केजरीवल विपक्ष की एकता से ज्यादा मोदी सरकार की तरफ से दिल्ली पर लाए अध्यादेश की चिंता ज्यादा थी. इसे लेकर बीच-बीच में उनकी बौखलाहट और तेवर भी देखने को मिल रहे थे. पटना की मीटिंग से पहले ही आप के सुप्रीमो का सख्त अल्टिमेट दे दिया था कि पहले उनके अध्यादेश पर चर्चा हो. तब ही बात आगे बढ़ेंगी. उन्होंने कांग्रेस को अपना रुख साफ करने को कह डाला था. दरअसल, केजरीवाल की चिंता विपक्ष की बैठक नहीं, बल्कि अध्यादेश थी. खासकर कांग्रेस पर वह दबाब बनाने में लगे थे, संसद में उनकी तरफ से वोटिंग का कांग्रेस भरोसा दे. तब ही उसके साथ किसी मीटिंग औऱ गठबंधन में शामिल होंगे. अपनी नाराजगी के इजहार के लिए पार्टी ने शुक्रवार को पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक के बाद जाइंट प्रेस ब्रीफिंग का बहिष्कार भी किया . आप के इस रवैये से कांग्रेस भी नाराज नजर आई.
कनपटी पर बंदूक न रखे ‘आप’
केजरीवाल की इस बैचेनी पर कांग्रेस ने भी साफ कर दिया कि, अपनी बात मनवाने के लिए किसी की कनपटी पर बंदूक न रखे. कांग्रेस अध्यक्ष मलिकाअर्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल को इस मसले पर टीएमसी और नेशनल कांफ्रेस का भी साथ मिला. पटना की बैठक में दिल्ली अध्यादेश का मुद्दा रखने पर भी केजरीवाल पर सवाल उठाये गये. कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी की तरफ से जारी बयान की भाषा पर भी सख्त एतराज जताया. मल्लिकाअर्जुन खरगे ने इसे भड़काव करार दिया. वही कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने कहा कि ‘ आप हमारी कनपटी पर बंदूक रखकर फैसला लेने के लिए नहीं कह सकते हैं’
कांग्रेस अध्यक्ष मलिकाअर्जुन खड़गे ने कहा कि विपक्षी दल संसदीय मद्दों पर तब चर्चा करते है,जब सत्र चल रहा होता है.आम आदमी पार्टी के नेता भी संसद में विपक्ष की रणनीति तय करने के लिए बुलाई बैठकों में शामिल होते हैं.खड़गे ने अध्यादेश पर कांग्रेस के रूख साफ करने पर केजरीवाल की जिद पर हैरानी जताई.
नेशनल कांफ्रेंस और टीएमसी ने उठाए सवाल
इधर नेशनल कांफ्रेंस ने भी आप की मंशा पर सवाल उठाए, उमर अब्दुल्ला ने केजरीवाल को अगस्त 2019 की याद दिलाई. जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर को दे केन्द्रशासित प्रदेशों में बांटने के मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन किया था. इधर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी केजरीवाल पर निशाना साधा औऱ कहा कि जब मीटिंग में विपक्ष का एजेंडा साफ था. तो केजरीवाल दिल्ली का मुद्दा क्यों थोप रहें हैं.
अरविंद केजरीवाल विपक्ष की एकता में खुद को कहा नजर आते हैं. ये तो वो खुद बेहतर जानते हैं. लेकिन, अभी तक जिस तरह का रवैया और मकसद उनका दिख रहा है. उनकी नजर में दिल्ली पर आए अध्यादेश विपक्ष की एकता से कही ज्यादा जरुरी है. यानि वो अपना फायदा इस महाजुटान में देख रहे थे. लेकिन, अभी तक उनकी दाल नहीं गली है. जिस कांग्रेस पर दबाव बानने की कवायद कर रहे थे. उसी ने उन्हें झिड़की दे दी है. अब देखना है कि विपक्ष की एकता पर केजरीवाल आगे क्या करेगे. साथ रहेंगे या किनारा कर लेंगे .
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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