टीएनपी डेस्क (TNP DESK):- अभी तक इक्विटी, कमोडिटी और फोरेक्स मार्केट में ही दुनिया भर में चर्चाए होती है. लेकिन, अचनाक क्रिप्टोकरंसी के आगमन ने मानों सारा खेल ही पलट दिया . यह एक ऐसी सोने की चिड़ियां माने जाने लगी , कि लोगों ने हाथों-हाथों इसे लिया, कुछ ने तो पैसा बनाया, तो कुछ इसी मृगमरिचका में जी रहे हैं कि आज नहीं तो कल बेशुमार दौलत बनेगी. देखा जाए तो क्रिप्टोकरंसी का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग ही अहमियत रखता है.
कुछ लोग जल्दी से दौलत बनाने की मशीन मानते हैं, तो कुछ लोग अनजान खतरे को आमंत्रण देना समझते हैं. ये तो सच है कि जिसने पैसा बनाया, उनके लिए क्रिप्टो की दुनिया मुफीद है. लेकिन, जिसने हाथ जलाया उनकी नजर में तो इससे दूर रहने में ही भलाई है.
क्रिप्टोकरंसी का वजूद
दुनिया में क्रिप्टोकरंसी को अपनी पहचान और कानूनी वजूद बनाने में लंबा वक्त लग सकता है . अधिकांश देश इसे खतरा मानते हैं और इसकी कानूनी रुप से मान्यता नहीं देते. भारत में भी क्रिप्टोकरंसी को मान्यता नहीं मिली है. समय-समय पर रिजर्व बैंक चेतावनी भी जारी करता रहता है. अभी क्रिप्टोकरंसी को अपनी पहचान, वजूद औऱ कानूनी मान्यता हर जगह हासिल करने के लिए लंबा सफर तय करना है. अमेरिका में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने दो क्रिप्टो एक्सचेंजो बाइनेंस और क्वोइनबेस पर कार्रवाई की है. इसे देखते हुए भारत में क्रिप्टो निवेशक को सावधानी बरतनी चाहिए.
भारत में क्रिप्टोकरंसी की दुनिया
क्रिप्टोकरंसी की धूम औऱ चमक भारत में भी है. काफी संख्या में नये-नये निवेशक पैसा बनाने के चक्कर में निवेश करते हैं. लेकिन, देश में क्रिप्टों न तो कानूनी है और न ही अवैध है. हालांकि, इसके एक्सचेंज भी है, लेकिन बिना नियमन के चल रहें है. यानि, अगर पैसा बने या डूबे सबकुछ आपकी जिम्मेदारी है. इसका सबसे बड़ा खामियाजा निवेशक ही भुगतते हैं,क्योंकि इसका नियमक कोई संस्था नहीं है. जो कंट्रोल करता हो. उदाहरण के तौर पर समझे तो, जैसे इक्विटी मार्केट को सेबी कंट्रोल करती है. इश्यूरेंस को इरडा देखती है . लेकिन क्रिप्टोकरंसी को कोई नहीं देखता . इसी को लेकर डर हमेशा सताते रहता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तो क्रिप्टों में निवेश नही करने का मशिवरा देती है. भारत में क्रिप्टोकरंसी को लेकर कोई रणनीति नहीं बनीं है, अभी इस पर चिंतन,मनन औऱ मंथन ही चल रहा है . इसे लेकर देखा जाए तो सही भी है, क्योंकि अंतिम फैसला लेने से पहले सभी बिंदुओं को बारीकी से देखने और नफा-नुकसान को समझना जरुरी है. जिसके लिए समय चाहिए. क्योंकि वक्त ही कई चिजों को साफ करेगा.
डार्क नेट की दुनिया
क्रिप्टोकरंसी में ही गैरकानूनी लेन-देन भी होती है, जिसे डार्क नेट भी बोला जाता है . भारत समेत दुनिया भर में इसका काला साम्राज्य फैला हुआ है. इसे उदाहरण के तौर पर समझे तो, क्रिप्टोकंरसी के बदले प्रतिबंधित उत्पाद औऱ ड्रग्स. इसके अलावा रिश्वत के चलन में भी इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. यानि क्रिप्टोकरंसी को माध्यम बनाकर जाली कारोबार भी काफी फल-फूल रहा है. इसके चलते भी इसकी साख पर सवाल वक्त-वक्त पर उठते रहते हैं.
भारत में क्रिप्टोकरंसी को लेकर कोई नियामक संस्था नहीं है. इसके विवाद को सुलझाने के लिए न तो एक सही तंत्र है औऱ न ही मध्यस्थता की प्रणाली. निवेशकों को हमेशा एक्सचेंज के भरोसे ही रहना पड़ता है. इस हालत में हमेशा नुकसान का डर निवेशकों का ही होता है.
क्रिप्टोकरंसी के बारे में जो शोरगुल और तरह-तरह की बाते फिंजा में तैरती है. इसकी असली हकीकत औऱ सच्चाई यही है कि, इसमे एक तरफ खतरा हमेशा मंडराते रहता है. जो जोखिम उठाने में सक्षम है, उनके लिए क्रिप्टोकरंसी ठीक है. औऱ जो खतरे में नहीं पड़ना चाहते , उन्हें क्रिप्टोकरंसी को दूर से ही सलाम कर देना चाहिए.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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