टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : सरकार भजपा की हो या झामुमो की हर किसी का हॉट चॉइस था अभियंता वीरेंद्र राम , सूबे के सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर मंत्रियों तक वीरेंद्र का चलता था सिक्का. वीरेंद्र राम पैसा कमाने का सबसे बड़ा मशीन था. शायद यही वजह है कि सरकार किसी की हो मंत्रियों के बीच विरेंद्र राम को लेकर होड़ मची रहती थीं.
पिछले 30 घंटों की सघन पूछताछ और रांची, जमशेदपुर, मानगो, सिवान, हरियाणा, दिल्ली सहित देश के 24 ठिकानों पर छापेमारी के बाद आखिरकार प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के मुख्य अभियंता और स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना में अधीक्षण अभियंता के प्रभार पर कार्यरत वीरेंद्र कुमार राम को हिरासत में ले लिया. माना जा रहा है कि अब ईडी की टीम उन्हें लेकर ईडी कोर्ट जायेगी और कोर्ट से रिमांड की मांग करेगी.
करोड़ो का जायदाद और प्रोपर्टी में निवेश के कागजात हाथ लगें
सूत्रों का दावा है कि देश के वीरेन्द्र कुमार राम से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के दौरान ईडी की टीम को अब तक दर्जनों लग्जरी गाड़ियां, दिल्ली, हरियाणा सहित कई स्थानों पर करोड़ों का बंगला, डेढ़ करोड़ से अधिक के जेवरात, करोड़ों रुपये का शेयर मार्केट में निवेश, प्रोपर्टी के कागजात और दूसरे निवेश की जानकारी हाथ लगी है.
राजधानी रांची में किराये के मकान में रहते थें वीरेन्द्र कुमार
इस बीच दावा यह भी किया जा रहा है कि अरबों के मालिक वीरेन्द्र कुमार राम राजधानी रांची के अशोक नगर चार नंबर रोड स्थित 447 मकान में किराये के मकान में रहते थें. करोड़ों रुपये का निवेश और किराये का मकान हैरत में डालने वाला है.
वीरेन्द्र कुमार राम के पॉलिटिकल कनेक्शन की चर्चा
मूल रुप से बिहार के सिवान जिला का मैरवा गांव निवासी वीरेंद्र कुमार राम का पॉलिटिकल कनेक्शन काफी मजबूत माना जाता है. झारखंड में सरकारें बदलती रही, लेकिन वीरेन्द्र राम को मलाईदार विभाग मिलता रहा, अब ईडी की टीम वीरेन्द्र राम के उन पॉलिटिकल आकाओं की कुंडली भी खंगालने में जुटी है
सरयू राय का बयान
झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह माने जाने वाले सरयू राय कहा कहना है कि इंजीनियर वीरेंद्र राम की एक बड़ी खासियत है. सरकार बदलने के बाद भी अपने लोगों पर इसकी कृपा बनी रही और इसको इसके राजनीतिक आकाओं का वरदहस्त प्राप्त रहा. ईडी को इसकी भी जांच करनी चाहिए. आखिर सरकार दर सरकार इसे इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेवारियां कैसे मिलती रही. वीरेन्द्र राम की पहुंच और काबिलयत का अंदाजा इसे से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2019 में यह अपनी पत्नी को भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़वाने की चाहत रखता था.
लाखों का जेवर पहन कर उसकी पत्नी राजकुमारी देवी पहुंची थी भाजपा का टिकट मांगने
सरयू राय बताते हैं कि एक दिन उनकी पत्नी गहनों से लद कर उनके पास आयी थी, उनकी ईच्छा भाजपा के टिकट पर कांके या जुगसलाई सीट से चुनाव लड़ने की की थी. हालांकि इस बीच वीरेन्द्र राम का नाम एसीबी की जांच में आ गया और राजकुमारी देवी को अपना इरादा त्यागना पड़ा. अब जबकी इस समय ईडी की जांच चल रही है, उस भाजपा नेता के बारे में कुछ बोलना उचित नहीं होगा, आप अभी इशारों को ही समझे, लेकिन ईडी को उस नेता तक पहुंचने की इमानदार कोशिश करनी चाहिए. एक बार उस नेता की गिरफ्तारी हो जाय तो कई सफेदपोशों का चेहरा सामने आ सकता है.
बड़े-बड़े होटलों में पार्टियां देकर चर्चा में बनी रहती थी राजकुमारी देवी
वीरेन्द्र राम की पत्नी राजुकमारी देवी समाजसेवा के नाम पर अखबारों में बड़ा-बड़ा विज्ञापन देती थीं, महंगे होटलों में पार्टिया देकर अपना राजनीतिक रसूख दिखलाती थी, लेकिन जब वीरेन्द्र कुमार राम के खिलाफ छापेमारी शुरु होते ही उसकी सारी गतिविधियां बंद हो गयी.
कैसे शुरु हुई पतन की कहानी
दरअसल जमशेदपुर के एक ठेकेदार विकास कुमार शर्मा की शिकायत पर झारखंड पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने ग्रामीण विकास विभाग में कार्यरत एक जुनियर अभियंता सुरेश कुमार वर्मा को जमशेदपुर स्थित आवास 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद 16 नवंबर 2019 में सुरेश प्रसाद वर्मा के आवास पर छापा मारी की गयी थी, इस छापेमारी में एसीबी की टीम को करीबन 2.44 करोड़ रुपये हाथ लगे थें. बाद में सुरेश कुमार वर्मा ने यह दावा किया था कि यह सारे पैसे अभियंता वीरेन्द्र कुमार राम के हैं. इसके बाद ही इस मामले की जांच मनी लांड्रिंग अधिनियम के तहत शुरु कर दी गयी.
मंत्री आलमगीर आलम ने डीजीपी को पत्र लिखकर की थी वीरेन्द्र राम की सुरक्षा की मांग
यह जानना भी कम रोचक नहीं है कि झारखंड सरकार के वर्तमान ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने झारखंड पुलिस के डीजीपी को पत्र लिख कर वीरेंद्र राम के लिए सुरक्षा की मांग की थी. अब इस चिट्ठी को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. अब इस मामले में मंत्री आलमगीर आलम की भूमिका पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं. सवाल किया जा रह है कि क्या वीरेन्द्र राम आमलगीर आलम के इतने करीबी है कि उनके द्वारा उनकी सुरक्षा की मांग की जा रही है.
पेन ड्राइव और दूसरे कागजात
दावा किया जा रहा है कि ईडी की टीम को वीरेन्द्र कुमार राम का पेन ड्राइव और ऐसे कागजात हाथ लगे हैं, जिसमें उसकी काली कमाई का सारा काला चिट्ठा दर्ज है, लेन-देन का ब्योरेवार विवरण मौजूद है. भ्रष्टाचार के सारे आरोपों के बावजूद जिस प्रकार से इन्हे वर्तमान सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण जिम्मेवारियां सौंपी जाती रही, उसका राज छुपा है.
क्या वीरेन्द्र राम के राजनीतिक आकाओँ पर हाथ डालेगी ईडी
ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या ईडी वीरेन्द्र कुमार के सहारे इस सरकार और इसके पहले की सरकारों में मौजूद उसके राजनीतिक आकाओं पर भी अपनी हाथ डालेगी. बहरहाल इस सवाल के लिए अभी ईडी की आगे की पूछताछ का इंतजार करना पड़ेगा.
रिपोर्ट : देवेंद्र कुमार, रांची
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