जेल की जगह इलाज के बहाने रिम्स के VIP कॉटेज में घोटाले बाज करते रहे हैं मौज, चारा घोटाला से कोड़ा कांड के कई आरोपियों का ठिकाना रहा है रांची का रिम्स

रांची(RANCHI): आम धारणा है कि किसी को जेल इस लिए भेजा जाता है ताकि उसको उसकी गलती की सजा मिल सके.लेकिन झारखंड में अधिकारी नेता और कारोबारी जेल जाने के बाद राजा महाराजा के जैसा ज़िंदगी गुजारते है. ऐसा लगता है कि वह किसी मामले में आरोपी ना हो कर वह राजा के जैसा जेल में अपना साम्राज्य बना कर बैठते हैं.चाहे मधुकोड़ा कांड हो या चारा घोटाला और अब मानरेगा या जमीन घोटाला सभी के आरोपी जेल में मौज मस्ती कर रहे है.
झारखंड के मक्कार और बेईमान अधिकारी और कारोबारी जेल में ही मौज मस्ती कर रहे है.जेल में बंद आईएएस अधिकारी और कारोबारियों ने मिलकर राज्य के गरीबों का पैसा लूटा है. बाद में ED की जांच हुई और इन बेईमान अधिकारियों और कारोबारियों को जेल जाना पड़ा.जेल में कुछ दिन रहने के बाद बीमारी का बहाना बना कर रिम्स में मौज मस्ती कर रहे है.
दरअसल मानरेगा घोटाले और मनी लान्ड्रिंग के मामले में जेल में बंद निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल रिम्स में स्वास्थ्य लाभ ले रही है.कह सकते है कि रिम्स को अपना घर बना कर रह रही है.जेल तो वह नाम का गई है,बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा में कम और रिम्स में ज्यादा अपना वक्त बिता रही है.मालूम हो की जून माह में चक्कर की शिकायत के बाद पूजा सिंघल को रिम्स में भर्ती कराया गया था.उनका इलाज न्यूरोलॉजी विभाग में चल रहा था. सूत्रों की माने तो वह फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ है. अब किसी तरह की कोई शिकायत उन्हे नहीं है बावजूद अब भी रिम्स में ही अपना डेरा डाल बैठी है.
यह अकेले रिम्स में मज़ा नहीं मार रही है जमीन हेरा फेरी मामले में जेल में बंद विष्णु अग्रवाल का भी जेल जाने के बाद शुगर और बीपी बढ़ गया जिसके बाद उन्हें 23 अगस्त को जेल से रिम्स लाया गया.लेकिन विष्णु भी रिम्स में करीब दो माह से पड़े है.विष्णु अग्रवाल वह कारोबारी है जो रसूख के बल पर गरीब आदिवासी की जमीन पर कब्जा कराते थे. रातों रात किसी खाली जमीन पर दीवार खड़ी कारा दिया करते थे. लेकिन आखिर में बुराई का तो अंत होता ही है इन साहब पर भी ईडी की नजर गई और ये भी जेल चले गए.
एक सवाल जेल प्रशासन पर भी खड़ा होता है आखिर इन मक्कार अधिकरियों और कारोबारियों से ऐसा क्या लगाव है कि इन्हें एक वीवीआईपी ट्रीटमेंट दी जा रही है. आम कैदी की तो कई बार जेल में ही इलाज के अभाव में मौत हो जाती है. लेकिन जिस तरह से अधिकारियों को स्पेशल ट्रीट जेल में दिया जा रहा है. इससे साफ है की जेल जाने के बाद भी इनका रसूख कम नहीं हुआ है. जेल से ही अपना साम्राज्य संभाल कर बैठे है.
यह झारखंड के जेल का कोई नया मामला नहीं है. इससे पहले भी चारा घोटाला में जब लालू यादव दोषी करार हुए थे तब उन्हें भी जेल भेज दिया गया था. जेल में शिफ्ट होने के कुछ दिन बाद ही लालू रिम्स में स्वास्थ्य लाभ लेने पहुंच गए थे.जेल में होने के बाद भी लालू रिम्स में कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे थे. चाय की चुस्की पर गपबाजी चल रही थी.
इसके अलावा मधुकोड़ा कांड जब हुआ तो देश में झारखंड का नाम सुर्खियों में आया. यह अब तक सबसे बड़ा घोटाला बताया गया और मुख्यमंत्री मधुकोड़ा को जेल जाना पड़ा था. जेल जाते ही कोड़ा की तबीयत बिगड़ गई और उन्हे भी जेल से रिम्स में भर्ती करा दिया गया.
ऐसे में देखे तो जेल जाने के बाद भी नेता,मंत्री और अधिकारियों को कोई परेशानी नहीं होती है. उन्हें एक वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाता है. रिम्स में उनके हाली मोहाली लगे रहते हैं बस राजा का एक हुक्म हो तो वह कुछ भी करने को तैयार रहते हैं.
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