TNPDESK-आशा के अनुरुप महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पास हो गया, जहां इसके पक्ष में 454 वोट पड़ें, वहीं इसके विरोध में दो मत पड़ें. यह दो मत असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के थें, AIMIM की ओर से असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील ने बिल को ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं के हितों के प्रतिकूल बताते हुए इस बात का दावा कि महिला आरक्षण की आड़ में सवर्ण महिलाओं के लिए संसद का रास्ता खोला गया है.
हालांकि इसके साथ ही जदयू, सपा, राजद, जेएमएम, डीएमके सहित तमाम विपक्षी दलों की ओर से यह मांग दुहरायी गयी, खुद भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल के अनुप्रिया पटेल ने भी ओबीसी महिलाओं के लि कोटा के अन्दर कोटा बनाने की मांग का समर्थन किया, कांग्रेस ने भी अपने स्टैंड में बदलाव करते हुए ओबीसी महिलाओं के लिए कोटा के अन्दर कोटा बनानी की मांग की, लेकिन सत्ता पक्ष ओबीसी महिलाओं के प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए तैयार नहीं हुआ.
सत्ता पक्ष की इस जिद पर तंज कसते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ बड़े लोगों के हित के बारे में सोच रही है, कमजोर और छोटे लोगों की उसे कोई फिक्र नहीं है. यह बिल अल्पसंख्यक और ओबीसी महिलाओं के लिए संसद के दरवाजे बंद करने के जैसा है, और हम इस हालत में इस बिल के साथ खड़े नहीं हो सकते.
केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने ओबीसी महिलाओं पर साधी चुप्पी
सपा की ओर से डिंपल यादव ने भी ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए कोटे की वकालत की, डिंपल यादव के सवालों को जवाब देते हुए केन्द्रीय मंत्री स्मृति ने पूरी ओबीसी महिलाओं के सवाल पर चुपी साधते हुए पूरी बहस को अल्पसंख्यक महिलाओं की ओर यह कह कर मोड़ दिया कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता, हालांकि पिछड़ी जाति की महिलाओं के सवाल पर वह चुप्पी साध गयी.
हालांकि तमाम विरोध के बावजूद आखिरकार सभी दलों ने सत्ता पक्ष के बिल का समर्थन कर दिया, लेकिन असदुद्दीन ओवैसी अंतिम समय तक ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं के पक्ष में खड़े रहें और बिल के विरोध में मतदान किया.
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