LS Election 2024 : लोकसभा चुनाव की तपिश बढ़ती जा रही है . जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रहा है वैसे - वैसे नेताओं के पाले बदलने का सिलसिला भी जारी है, लेकिन कुछ नेताओं को पाला बदलना खुदकुशी से कम साबित नहीं हो रहा है. कुछ ऐसा ही मामला पलामू के पूर्व सांसद घुरन राम के साथ हो गया.राजद छोड़ भाजपा में जाने का फैसला किसी खाई में कूदने जैसा हो गया! जिस उम्मीद से भाजपा में शामिल हुए उस पर पानी फिर गया.भाजपा ने तीसरी बार BD Ram पर ही भरोसा दिखाया है.जैसे ही प्रत्याशी की लिस्ट जारी हुई,पलामू में चर्चा होने लगी की अब बेचारा घुरन राम का क्या होगा ?
इंडिया के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे घुरन राम
पूर्व सांसद घुरन राम इंडिया गठबंधन में दावेदार के रेस में सबसे आगे चल रहे थे.माना जा रहा था कि राजद से प्रत्याशी घुरन राम ही होंगे.लेकिन एका एक 15 फरवरी को उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया.भाजपा प्रदेश कार्यालय में बाबूलाल ने समारोह आयोजित कर पार्टी की सदस्यता दिलाई.लेकिन जिस उम्मीद से पार्टी में शामिल हुए उसपर पानी फिर गया.घुरन राम मोदी लहर में अपनी नैया पार करने की कवायद में लगे थे.मगर अफसोस उन्हें वो जगह नहीं मिल पाई , सबसे बड़ा सवाल राजनीति के धुरंधर आखिरकार कैसे मात खा गए , हवा का रुख पहचानने में कहाँ गलती हो गई ? आखिर किसके कहने पर वो भाजपा दफ्तर पहुंच गए ? अब घुरन राम क्या कारगे इस पर सबकी निगाहें टिकी है .
अब तक कैसा रहा है पलामू का समीकरण
2006 में घूरन राम ने दूसरी बार पलामू सीट पर राजद का लालटेन जलाया था, उसके पहले 2004 में मनोज कुमार राजद का लालटेन जला चुके थें. लेकिन घूरन राम 2009 में झामुमो के कामेश्वर बैठा के हाथों मात खा गयें, लेकिन जीत का फासला महज 23 हजार थी, जाहिर है यह इस बात का संकेत था कि पलामू संसदीय क्षेत्र में घूरन राम की पकड़ काफी मजबूत थी. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद ने यहां से एक बार फिर से मनोज कुमार को अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया और इधर घूरन राम बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम(पी) के टिकट से चुनाव लड़े और आश्चर्यजनक रुप से वहां भी घूरन राम 1,56,832 मत लाने में कामयाब रहें.
घुरन की राजनीति और वनवास
एक दूसरा चेहरा अभी हाल में झामुमो छोड़ राजद में शामिल में शामिल हुआ , ये नाम है पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा का , याद रहे कि इसी वर्ष फरवरी महीने में जब तेजस्वी यादव का रांची आगवन हुआ था, तब कामेश्वर बैठा ने झामुमो से किनारा कर राजद का दामन थामा था, स्वाभाविक है कि उनकी नजर पलामू संसदीय सीट के लिए राजद के टिकट पर होगी, इंडिया गठबंधन में राजद ने अगर पलामू पर दावा पेश करता है तो इसका सीधा लाभ कामेश्वर बैठा को जाएगा , शायद इसी सोच के साथ घूरन राम ने भाजपा में जाने का मन बना लिया उन्हें लगा अगर बी डी राम का टिकट कट गया तो वो भाजपा के लिए सबसे उपयुक्त प्रत्याशी साबित होंगे वही दूसरी तरफ उनके लिए उनके पराने गुरुदेव और वर्तमान में भाजपा के प्रदेश प्रमुख अच्छी फील्डिंग भी बिठा देंगे खैर कारण जो भी हो लेकिन घुरन राम के लिए तो भाजपा में ना राम मिले और ना ही माया क्योकि एक बार फिर से पुराने चेहरे पर भाजपा दाव लगा चुकी है . अब यक्ष सवाल यही है कि घुरन राम अब क्या करेंगे.
4+