टीएनपी डेस्क (TNP DESK): एक तरफ देश की सभी राजनीतिक पार्टियां आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियों में जुटी है .तो, वही कांग्रेस पार्टी में आपसी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बागी तेवर और तीखी बयानबाजी को देखकर कांग्रेस के हाथ पैर फूल रहे है. जल्दी इनके बीच हुए विवाद को नहीं खत्म किया गया. तो, इसी साल राजस्थान में होनेवाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
राजस्थान में कांग्रेस के विवाद को बीजेपी भूना सकती है.
कांग्रेस अपने नेताओं के बीच हुए आपसी विवाद का कोई भी फायदा राजस्थान में बीजेपी को नहीं देना चाहती है. यही वजह है, कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के साथ वेणुगोपाल इसको सुलझाने के लिए मैदान में कूद पड़े है. और कोशिश कर रहे हैं, कि किसी तरह इन दोनों के बीच के विवाद में सुलह कराया जाए.तो वहीं सूत्रों की मानें तो सचिन पायलट ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के और वेणुगोपाल से मुलाकात की हैं.उन्होंने अपनी सारी बातों को वरिष्ठ नेताओं के सामने रखा हैं.जिसके बाद उनको उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया गया है.
बीजेपी से बड़ी चुनौती बना ये विवाद
एक तरफ देश में राजनीतिक जमीन खो चुकी कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में वापसी के लिए जोरदार तैयारी में जुटी है.तो दूसरी तरफ दोनों नेताओं की लड़ाई उनके सामने बीजेपी से बड़ी चुनौती बनकर सामने खड़ी है. ये विवाद पार्टी के लिए गले की हड्डी बन गया है. मौजूदा कांग्रेस की स्थिति में पार्टी दोनों में से किसी का भी समर्थन करती है तो दूसरा रुठ जाता हैं. जिसको देखकर बॉलीवुड का एक मशहूर गाना ‘एक को मनाओ, तो दूसरा रुठ जाता है’. बिल्कुल सटीक बैठ रहा है.
कांग्रेस पार्टी में आंतरिक कलह नई बात नहीं
कांग्रेस पार्टी में इस तरह की कलह कोई नई बात नहीं है. कुछ दिनों पहले झारखंड में भी प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और अन्य कांग्रेस नेताओं के बीच विवाद हुआ था. जिसका नुकसान रामगढ़ में हुए उपचुनाव में झेलना पड़ा. एक तरफ जहां कांग्रेस की ओर से प्रचार किया जा रहा था. तो वहीं बागी नेता कांग्रेस अध्यक्ष पर सियासी बयानबाजी कर रहे थे. जिसके बाद कांग्रेस कमिटी की ओर से सभी चारों नेताओं को निलंबित कर दिया गया था.अब कांग्रेस को जितनी जल्दी हो सके अपने नेताओं के झगड़े का सुलह करा लेना चाहिए. ताकि आगामी लोकसभा चुनाव में अपने खोई अस्तित्व को बचाया जा सके.
रिपोर्ट; प्रियंका कुमारी
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