रांची(RANCHI)- सीएम हेमंत ने मणिपुर में जारी हिंसा के पीछे राज्य सत्ता की मौन सहमति की आशंका प्रकट की है, वहां की जातीय हिंसा पर अपना दर्द व्यक्त करते हुए उन्होंने मणिपुर में शांति की स्थापना के लिए राष्ट्रपति मुर्मू से गुहार लगायी है. अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि एक तरफ हम दुनिया का सबसे बड़ा विविधतापूर्ण लोकतांत्रिक समाज होने का दावा करते हैं, लेकिन दूसरी ओर मणिपुर से जो खबरें आ रही है, वह दिलों को झकझोरने वाला है, यह परिदृश्य किसी भी सभ्य नागरिक को सिर झुकाने लिए मजबूर कर रहा है, उसकी आत्मा को कचोटता है और यह सब कुछ कुछ निहीत स्वार्थों की तुच्छ राजनीति के कारण हो रहा है. अब देश की उम्मीद सिर्फ आप और आप पर टिकी हुई है.
आंखें बंद कर आदिवासी भाई बहनों के साथ इस अत्याचार को नहीं देख सकते
उन्होंने लिखा है कि हम अपनी आंखें बंद कर अपनी आदिवासी भाई बहनों पर अत्याचार की इस पराकाष्ठा को देखते नहीं रह सकतें. इस तरीके के भयावह और बर्बर व्यवहार की अनुमति नहीं दे सकते हैं, एक राज्य का सीएम और देश का एक चिंतनशील नागरिक के रुप में इस अमानुषिक मंजर को देख हम हतप्रभ हैं और उम्मीद भरी नजरों से आपकी ओर देख रहे हैं.
अकथनीय यातना से गुजरते आदिवासी भाई बहनों का दर्द
जिस प्रकार वहां के विभिन्न जातीय समुदाय एक अकथनीय यातना से गुजर रहे हैं, महिलाओं का सार्वजनिक बलात्कार किया जा रहा है, उनकी नग्न परेड करवायी जा रही है, जातीय हिंसा का शिकार होकर लोग विस्थापन का दंश झेल रहे हैं, उनकी संपत्तियों को आग के हवाले किया जा रहा है, यह सब कुछ हमारे लोकतंत्र की विविधता के दावे पर काला धब्बा है. हमें उन्हें इस अकथनीय यातना से मुक्ति दिलवाना ही होगा. सैंकड़ों हजारों लोगों की जान जा चुकी अब आगे की जिंदगिंयां बचानी होगी. कोई भी सभ्य समाज इस प्रकार के भयावह बर्बता की इजाजत नहीं दे सकती.
अपने नागरिकों की सुरक्षा में विफल हुआ राज्य सरकार
हमें अपने संवैधानिक मूल्यों की हिफाजत करनी होगी, मानव जीवन और संविधान प्रदत सम्मान का अधिकार को सुरक्षित और संरक्षित करना होगा. आज वहां का पूरा समाज शारीरिक, भावनात्मक और मनौवैज्ञानिक तौर पर टूटा-बिखरा नजर आ रहा है. राज्य सरकार अपने ही नागरिकों की रक्षा में विफल रही है, हमें महिलाओं को नग्न घुमाने और सार्वजनिक रूप से बलात्कार के वीडियो देखने को बाध्य होना पड़ रहा है. बतौर एक नागरिक यह हमारी सामूहिक जिम्मेवारी है कि हम वहां अमन और शांति की पहल करें.
शांति स्थापना के बजाय केन्द्र की प्राथमिकता लोगों की आवाज दबाने की
केन्द्र सरकार की वहां भूमिका शांति की स्थापना के बजाय लोगों की आवाज को दबाने की दिख रही है. ताकि इस भयावह मंजर की सच्चाई देश के दूसरे हिस्से तक नहीं पहुंचे. इस स्थिति में अब सिर्फ आप से ही पहल की उम्मीद हैं. यह आप ही हैं जो मणिपुर की जनता को रोशनी की दिखा सकते हैं और उसे शांति और सद्भाव के रास्ते पर ला सकते हैं.
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