दुमका(DUMKA): झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. कोई परिवर्तन यात्रा के सहारे तो कोई मंईयां सम्मान यात्रा के बहाने जनता के करीब पहुंच रही है.
संताल परगना के भोगनाडीह से शुरू हुई परिवर्तन यात्रा दुमका में हुई सम्पन्न
अमर शहीद सिदो कान्हू की जन्मस्थली भोगनाडीह की धरती से भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह ने परिवर्तन यात्रा की शुरुवात की. परिवर्तन रथ संताल परगना प्रमंडल के सभी 18 विधानसभा तक पहुचीं. वहीं, 30 सितंबर को दुमका के आउटडोर स्टेडियम में इस यात्रा का समापन हो गया. इस मौके पर आयोजित जनसभा में मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव सहित तमाम नेताओं ने राज्य सरकार पर हमला बोला. मतदाताओं से सत्ता परिवर्तन के लिए भाजपा को वोट देने की अपील की ताकि यहां डबल इंजन की सरकार बन सके.
संताल परगना माना जाता है झामुमो का गढ़
संताल परगना प्रमंडल में कुल 18 विधानसभा क्षेत्र आता है. इस प्रमंडल को सत्ता का प्रवेश द्वार कहा जाता है. आंकड़े बताते हैं कि इस प्रमंडल में जिस दल या गठबंधन का दबदबा रहा वह सत्ता के शिखर पर पहुंचा. इसलिए तमाम राजनीतिक दल यहां अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है.
वैसे तो संताल परगना प्रमंडल को झामुमो का गढ़ माना जाता है. इसके बाबजूद यहां की जनता कांग्रेस और बीजेपी को निराश नहीं करती. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम को देखें तो 18 में से 9 सीट पर झामुमो का कब्जा रहा जबकि कांग्रेस को 5 और भाजपा को 4 सीट से संतोष करना पड़ा. वर्तमान में प्रमंडल के 3 में से 2 लोकसभा सीट पर झामुमो का कब्जा है. एसटी के लिए आरक्षित लोकसभा के 2 और विधान सभा के सभी 7 सीट झामुमो के खाते में गया था, लेकिन सीता सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम फिलहाल भाजपा का दामन थाम चुके हैं.
संताल परगना के कई ऐसे सीट जिस पर आज तक नहीं खिला कमल
परिवर्तन यात्रा के दौरान भाजपा नेता काफी गदगद दिखे. लेकिन सवाल उठता है कि परिवर्तन रथ पर सवार हो जाने से क्या यहां परिवर्तन हो पायेगा? यह सही है कि झामुमो के गढ़ में समय समय पर भाजपा कुछ सीट पर सेंधमारी करने में सफल रही है. इसके बाबजूद कुछ सीट ऐसे भी हैं जिसपर आज तक या तो कमल खिला ही नहीं या फिर एक बार खिल कर मुरझा गया. लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा और बरहेट सीट पर आज तक कमल नहीं खिला. इन सीटों पर दशकों से झामुमो का कब्जा है. अलग राज्य बनने के बाद पाकुड़ में कमल नहीं खिल सका. जामा और जामताड़ा विधानसभा सीट पर 2005 में कमल तो जरूर खिला लेकिन 5 वर्षों में ही मुरझा गया. इन सीटों पर परिवर्तन की राह आसान नहीं दिख रही.
हेमंत के साथ कल्पना के हाथों झामुमो की कमान
चुनाव के मद्देनजर राज्य सरकार नित नई योजना लॉन्च कर रही है. युवाओं के बीच नियुक्ति पत्र का वितरण कर रही है. राजनीति के जानकार मंईयां सम्मान योजना को हेमंत सरकार का मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं. मंच पर कल्पना सोरेन के सामने हेमंत सोरेन भी फीके पड़ने लगे हैं. हेमंत और कल्पना ने कमान संभाल लिया है.
बांग्लादेशी घुसपैठ को मुद्दा बना कर परिवर्तन लाना चाहती है भाजपा
एक तरफ राज्य सरकार अपनी उपलब्धि जनता के बीच परोस रही है तो वहीं भाजपा केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ ही राज्य सरकार की नाकामी को लेकर जनता के बीच जा रही है. बांग्लादेशी घुसपैठ को मुद्दा बनाकर भाजपा संताल परगना फतह करना चाहती है.
अंतर्कलह से जूझ रही भाजपा में एक सीट पर कई दावेदार
भाजपा के लिए परिवर्तन की राहें आसान नहीं दिख रही है. भाजपा में अंतर्कलह चरम पर है. एक सीट पर कई दावेदार हैं. कहा जाता है कि अन्य दलों से नाता तोड़ भाजपा का दामन थामने वाले नेताओं को ज्यादा तरजीह मिलने से वर्षों से पार्टी का झंडा बुलंद करने वाले कार्यकर्ता नाराज हैं. महज चुनावी वादों के सहारे कितना और किस तरह का परिवर्तन लाने में भाजपा सफल होती है यह आने वाला वक्त ही बताएगा.
रिपोर्ट: पंचम झा/दुमका
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