बिहार चुनाव 2025: नीतीश के शराब बंदी के बाद इसबार बिहार में है कैसी फिजा! महिलाओं का मूड भांपने मुख्यमंत्री करेंगे इनसे सीधा संवाद

टीएनपी डेस्क(TNP DESK):1 अप्रैल 2016 यह वही दिन था जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में एक बड़े बदलाव के लिए पहला कदम उठाया था. यह और कुछ नहीं बल्कि बिहार में पूर्ण रुप से शराब बंदी को लेकर कानून था.बिहार सरकार को ये बात अच्छी तरीके से पता थी कि शराबबंदी की वजह से राज्य को लगभग 4 हजार करोड़ का नुकसान होगा, लेकिन फिर भी सीएम नीतीश कुमार ने समाज पर शराब के दुषप्रभाव को ध्यान में रखते हुए इतना बड़ा कदम उठाया और एक ही सेकंड में बिहार की महिलाओं की नजर में बड़े नायक के रूप में उभर कर सामने आयें.
महिलाओं की मांग पर सीएम नीतीश कुमार ने लिया था इतना बड़ा रिस्क
आपको बताये कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह बहुत अच्छी तरीके से पता था कि शराबबंदी करने से बिहार को रोजाना करोड़ों के राजस्व का नुकसान होनेवाला है लेकिन फिर भी उन्होने बिहार में इतना बड़ा कदम उठाने से पहले एक बार भी नहीं सोचा. नीतीश कुमार इसके विरोध में उठनेवाले आवाज को लेकर भी पूरी तरह से तैयार थे, क्योंकि उन्हे पता था कि इसका विरोध पुरुष वर्ग जमकर करेगा लेकिन फिर भी महिलाओं की मांग को देखते हुए इतना बड़ा फैसला ले लिया.
इस तरह उठी ती बिहार में शराबबंदी की मांग
आपको बताये कि किसी भी बड़े बदलाव के पीछे एक बहुत बड़ा मकसद होता है और उसकी शुरुआत भी किसी वजह से ही होती है, तो आपको बताएं कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी की सबसे पहली पहल 9 जुलाई 2015 को हुई थी, जब सीएम नीतीश किमार के कार्यक्रम में एक महिला ने नीतीश कुमार के सामने कहा था कि मुख्यमंत्री जी शराब बंद करा दीजिए, घर बर्बाद हो रहा है. उस महिला के रोते बिलखते चेहरे को देखकर और उसकी मनोस्थिति को समझते हुए नीतीश कुमार ने उसी कार्यक्रम में एक असंभव ऐलान किया और कहा कि अगर अगली बार सरकार में आएंगे तो शराबबंदी कर देंगे.वही इसी को ध्यान में रखते हुए महिलाओं ने सीएम नीतीश कुमार को भरपूर वोट दिया और फिर से सरकार में मुख्यमंत्री के पद पर बैठा दिया. नीतीश कुमार ने महिलाओं से किया गया वादे को पूरा किया और 1 जुलाई 2016 से बिहार ने पूर्ण शराबबंदी का कानून लगा दिया.
ऐसा पहली बार नहीं था जब बिहार में शराबंदी कानून लागू हुआ था
बिहार में शराब बंदी करने की यह पहली पहल नहीं थी, बल्कि 1977 में भी तात्कालिक मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने भी शराबबंदी का कानून लागू किया था, लेकिन डेढ़ साल के बाद ही इस कानून को वापस ले लिया. उस समय मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने बिहार को शराबबंदी की वजह से रोजाना हो रहे है राजस्व हानि की वजह से अपना फैसला वापस लिया, और फिर से बिहार में शराब बेचना खरीदना और पीना वैध हो गया.इसी तरह से हरियाणा, आंध्र प्रदेश तमिलनाडु में भी राज्य सरकार की ओर से शराबबंदी का कानून लागू किया गया था, लेकिन राजस्व हानि को देखते हुए सरकार ने फैसला को वापस ले लिया.वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ऐसा बिल्कुल नहीं किया और 2016 में जो शराबबंदी की उसको लागू रखा है.
बहुत नेक इरादे के साथ बिहार में सीएम नीतीश कुमार ने कानून किया था लागू
बिहार के सीएम नीतीश कुमार का साफ कहना है कि बिहार के भविष्य, महिलाओं की चिंता और घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों को देखते हुए इतना बड़ा कदम उठाया गया है. अगर बिहार को राजस्व का नुकसान होता है तो उसकी भरपाई के लिए दूसरे विकल्प तलाशे जाएंगे लेकिन महिलाओं और किसी के परिवार को नुकसान नहीं होगा.हालांकि यह अलग बात है कि शराबबंदी के बाद भी बिहार में आपको खुलेआम लोग शराब पीते हुए मिल जाएंगे.
पढ़ें आज बिहार में शराबबंदी की क्या स्तिथि है
आए दिन आप लोग समाचार पत्रों या टीवी के माध्यम से भी देखते पढ़ते होंगे कि बिहार के अलग अलग जिलों से करोड़ों रुपये का शराब बरामद होता है. वही ऐसी खबरें भी सामने आती हैं जब छापेमारी करने गई पुलिस टीम पर ही शराब तस्कर हावी हो जाते है, और पुलिस की टीम पर हमला कर उन्हे घायल कर देते है.नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून को आज भी लागू रखा है, लेकिन इसका कुछ ज्यादा खास असर बिहार में देखने को नहीं मिलता है.आपको बताये कि शराब बंदी कानून के तहत बिहार में शराब खरीदना, बेचना और पीना सभी गैरकानूनी है लेकिन फिर भी बिहार में आज भी आपको आसानी से और सस्ते दामों पर शराब मिल जाता है और लोग नशे में धूर्त सड़कों पर झूमते हुए दिख जाएंगे.इसको आप इस बात से जोड़ कर देख सकते हैं कि सड़क दुर्घटना को भी शराब से कई बार जोड़कर देखा जाता है, आमतौर पर लोग शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं और दुर्घटना का शिकार होते हैं क्योंकि सड़क दुर्घटना में अगर लोगों की मौत हो रही है तो उसके आंकड़े भी यही बताते हैं कि ज्यादतर लोग शराब के नशे में ही होते है जिनकी मौत हुई है.
आज खुलेआम शराब पीते दिखते है लोग
बिहार में शराबबंदी के पीछे सीएम नीतीश कुमार का बहुत ही नेक इरादा था. नीतीश कुमार चाहते थे कि कोई भी शराब ना पिएं और लोगों का घर बर्बाद ना हो, क्योंकि लोग शराब के नशे में लोग घर जाकर अपने परिवार के साथ लड़ाई झगड़ा करते है, जिससे घरेलू हिंसा बढ़ता है.यदि राज्य में शराबबंदी होती है, तो इसकी वजह से सड़क दुर्घटना और घरेलू हिंसा में भी कमी आयेगी लेकिन ऐसा कुछ होता हुआ दिखाई नहीं दिया. कुछ दिनों तक तो इसे सख्ती से लागू किया गया लेकिन फिर बिहार में शराब खुलेआम बिकने लगी. भले ही सरकार की ओर से यह दावा किया जाता है कि बिहार में पूर्ण रूप से शराबबंदी है, लेकिन अगर आप बिहार चले जाएंगे तो आपको ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं देगा, क्योंकि खुलेआम लोग शराब पीते दिखाई देंगे,जो पूर्ण शराब बंदी कानून को झूठा साबित करता है.
शराबबंदी से बिहार के लोग अब दूसरे नशे के आदि होते जा रहे है
वहीं बिहार में शराबबंदी से महिलाओं और बिहार के लोगों का भला हुआ हो चाहे ना हुआ हो,लेकिन अदालत के ऊपर काम का दबाव बढ़ गया, क्योंकि शराबबंदी के तहत अदालत में कई मामले का अंबार लग चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में कहा था शराबबंदी कानून की वजह कोर्ट में दबाव बढ़ चुका है.पटना हाईकोर्ट में 14 से 15 जज हर रोज शराब मामले की सुनवाई करते है. जिसका ये असर पड़ रहा है कि बाकी मामलों की सुनवाई समय पर नहीं हो पा रही है.शराबबंदी कानून का साइड इफेक्ट यह भी देखने को मिल रहा है कि लोग दूसरे नशे के आदि हो गये.जिसकी वजह से राज्य में गांजा, चरस जैसी चीजों की डिमांड भी बढ़ गई है.
जहरीली शराब से लोगों की मौत शराबबंदी का बड़ा दुष्प्रभाव है
वहीं बिहार में जहरीली शराब से लोगों की भारी संख्या में मौत भी शराबबंदी का दूसरा दुषप्रभाव है.जहां आए दिन भारी संख्या में लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से होती है. क्योंकि बिहार में पर्ण रूप से शराब बंदी कानून लागू होने से लोग चोरी छुपे शराब पीते हैं और फिर उनकी मौत हो जाती है. अभी कुछ दिन पहले ही बिहार के सिवान और छपरा में 35 लोगों से अधिक लोगों ने जहरीली शराब की वजह से अपनी जान गंवा दी.राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी के आंकड़ों की माने तो देश में हर साल नकली शराब से हजारों लोगों की जान जाती है, जिसमे बिहार के आंकड़े सबसे ज्यादा चौंकाने वाले हैं.
फिर चुनाव से पहले महिलाओं से संवाद करने जा रहे है सीएम नीतीश कुमार
वहीं एक बार फिर बिहार में चुनावी माहौल बन चुका है.2025 में बिहार विधानभा का चुनाव होनेवाला है.जिसको लेकर सीएम नीतीश कुमार महिलाओं से संवाद का ऐलान कर चुके है.पहले तो इसका नाम महिला संवाद यात्रा रखा गया, लेकिन फिर उसका नाम प्रगति यात्रा रख दिया गया है.इसके तहत एक बार फिर नीतीश कुमार महिलाओं से सीधे संवाद करेंगे और उनसे उनकी राय और मांग दोनों जानने की कोशिश करेंगे.वहीं इस यात्रा को बिहार की राजनीति के लिहाज से बहुत ही अहम माना जा रहा है.जिसको लेकर विपक्ष की ओर से काफी विरोध भी देखने को मिल रहा है.वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार महिलाओं के सहारे बिहार फतह का रास्ता आसान करने की कोशिश में है.
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