धनबाद(DHANBAD): साइबर अपराधियों के नए तरीके ने सबको चौंका दिया है- डरा दिया है. कब किस ढंग से किसे यह झांसा में ले लेंगे, यह कहना कठिन है. बिहार की राजधानी पटना से डिजिटल अरेस्ट का एक बहुत बड़ा मामला सामने आया है. शायद बिहार का यह सबसे बड़ा मामला होगा . इसके पहले भी डिजिटल अरेस्ट कर बिहार में ढाई करोड़ से भी अधिक की ठगी की गई थी. लेकिन इस बार की ठगी 3 करोड रुपए से भी अधिक की है. यह सब हुआ है, पटना विश्वविद्यालय की एक सेवानिवृत महिला प्रोफेसर के साथ. साइबर अपराधियों ने सीबीआई अधिकारी बन मनी लांड्रिंग केस में गिरफ्तारी का डर दिखाकर उन्हें दो दिनों तक घर में डिजिटल अरेस्ट करके रखा. बहाना बनाया कि उनसे पूछताछ करनी है.
जांच के नाम पर करोड़ों रुपए ऑनलाइन अपने बैंक खाते में मंगवा लिए.
जांच के नाम पर उनसे करोड़ों रुपए ऑनलाइन अपने बैंक खाते में मंगवा लिए. कहा जाता है कि पटना साइबर थाने में ठगी का यह अब तक का सबसे बड़ा यह मामला है. इस संबंध में दो-तीन दिन पहले मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. साइबर पुलिस कॉल और बैंक डिटेल्स के आधार पर ठगो को पहचानने में जुटी हुई है. बताया जाता है कि पटना विश्वविद्यालय की सेवा निवृत महिला प्रोफेसर पटना में अकेली रहती है. उनके बेटे दिल्ली में कार्यरत हैं और वहीं रहते है. सूत्रों के अनुसार बीते दिनों एक अनजान नंबर से महिला प्रोफेसर के पास फोन आता है.
फोन करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया
फोन करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए कहा कि आपके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस हुआ है. यह सुनते ही महिला डर गई. कुछ देर बाद उनके पास एक वीडियो कॉल आता है. वीडियो कॉल करने वाला पुलिस की वर्दी में रहता है. इसके बाद कई अलग-अलग नंबर से पीड़िता के पास कॉल आये. सीबीआई अधिकारी बताने वाले ने जांच प्रक्रिया से गुजरने का उन पर दबाव बनाया. इसके बाद तो वह डर गई और साइबर अपराधी जैसे-जैसे कहते गए, वह करती चली गई. फिर तो साइबर अपराधियों ने उनके बैंक खातों से 3.0 7 करोड रुपए निकाल लिए. महिला को जब ठगे जाने की जानकारी हुई, तो साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है. इस तरह की घटनाएं छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में लगातार हो रही है. धनबाद के तोपचांची में एक शिक्षक को डिजिटल अरेस्ट कर लाखों की ठगी अभी हाल ही में की गई थी. "गैंग्स ऑफ़ जामताड़ा" अब अपना तरीका बदल लिए हैं और तरह-तरह से ठगी कर रहे है.
बहुत सारे फर्जी नोटिस आदि भी तैयार कर रखते हैं और दिखाते है
अब तो ऐसा लगता है है कि जब वह चाहे, किसी को ठग सकते है. पता चलता है कि बहुत सारे फर्जी नोटिस आदि भी तैयार कर रखते हैं और उसके बाद व्हाट्सएप कॉल पर दिखाते हैं या व्हाट्सएप पर भेजते है. फिर लोगों को डरा- धमका कर पैसा ट्रांसफर करवा लेते है. यह अलग बात है कि वह चुनते ऐसे लोगों को है, जिन्हें ठगने में आसानी हो. सबसे बड़ी बात है कि उनका लोकेशन और बैंक डिटेल्स उनके पास कैसे पहुंचता है? उनका नेटवर्क कैसे काम करता है? यह सब कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन को ढूंढे बिना साइबर अपराधियों की करतूत पर अंकुश लगाना संभव नहीं दिख रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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