बंध्याकरण के बाद भी महिला हो गयी थी गर्भवती, अब डॉक्टर को देना होगा 2 लाख 40 हज़ार रुपये हर्जाना


देवघर(DEOGHAR): जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अंतराल अंतराल पर बंध्याकरण या नसबंदी कैम्प आयोजित की जाती है।जिसके माध्यम से सैकड़ों इक्छुक महिला और पुरूष इस का लाभ उठाते हैं. लाभुक सहित स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य छोटा परिवार सुखी परिवार के अलावा जनसंख्या नियंत्रण रहता है. लेकिन कभी कभी इसका विपरीत परिणाम भी सामने आता रहता है. बंध्याकरण के बाद भी महिलाएं गर्भवती हो जाती है तब उस चिकित्सक पर गलत इलाज या खानापूर्ति कर सिर्फ कागजों पर आंकड़ा उपलब्ध कराने का आरोप लगता है. ऐसा ही मामला देवघर में 2016 में प्रकाश में आया था.
यह है मामला
महिला देवघर के मधुपुर अनुमंडल स्थित पथलजोर गांव की रहने वाली है. महिला 15 फरवरी 2016 को मधुपुर अनुमंडलीय अस्पताल में अपना बंध्याकरण करवायी थी. इसके बाद भी वो गर्भवती हो गई और मधुपुर के एक निजी नर्सिंग होम में उसी वर्ष एक पुत्र को जन्म दी थी. इस दौरान महिला का चिकित्सीय इलाज और अन्य में हज़ारों रुपये खर्च हो गए थे. आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं रहने के कारण किसी तरह वो अपने नवजात बच्चे का लालन पालन करने लगी. जब आर्थिक स्थिति और खराब होने लगी तो इसने 10 अप्रैल 2017 को उपभोक्ता फोरम में केस कर बंध्याकरण के दौरान हुई लापरवाही के दोषियों पर 10 लाख रुपये हर्जाना देने की मांग की.
हर्जाने की राशि दो महीने के अंदर 6 प्रतिशत सूद की दर से देना होगा
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कल शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया है. पीड़ित महिला के विपक्षियों पर 2 लाख 40 हज़ार रुपये का हर्जाना लगाया है. महिला ने मधुपुर अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुनील कुमार मरांडी,महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मार्ग्रेट, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी देवघर एवं झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सचिव को विपक्षी बनाया था. आयोग द्वारा सुनाएं गए फैसला में हर्जाने की यह राशि दो महीने के अंदर 6 प्रतिशत सूद की दर से देने को कहा है.अगर विपक्षियों द्वारा दो महीने के अंदर हर्जाने की रकम नहीं देने पर तब 9 प्रतिशत की दर से देय होगी. आयोग ने विपक्षियों की सेवा में त्रुटि पाने के बाद महिला के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
4+