"जमीन मेरी, तो जमीन मेरी" के दावे से कैसे उलझता जा रहा धनबाद-चंद्रपुरा वैकल्पिक रेल लाइन का काम, पढ़िए

धनबाद(DHANBAD) : जमीन मेरी, तो जमीन मेरी के बीच धनबाद-चंद्रपुरा के बीच नई रेल लाइन का मामला फंसता दिख रहा है. जमीन तो एक है लेकिन भुगतान लेने के लिए दावेदारों की संख्या एक से अधिक हो गई है. इस वजह से भूमि अधिग्रहण का काम लटक गया है. इधर, धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर आग और भू धंसान का खतरा बढ़ रहा है. धनबाद से रांची को जोड़ने के लिए धनबाद-चंद्रपुरा के बीच नई रेल लाइन बिछानी है. पिछले साल मार्च महीना में वैकल्पिक धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन का शिलान्यास प्रधानमंत्री ने किया था. 474.37 करोड़ की लागत से नई रेल लाइन बिछानी है. भूमि अधिग्रहण के लिए जब सर्वे हुआ तो कई भूखंड पर दो या दो से अधिक दावेदार सामने आ गए है. साथ ही दावे के मुताबिक रेलवे की जमीन को अपना बताते हुए मुआवजे की मांग की जा रही है. यह रेल लाइन धनबाद से भूली, तेतुलमारी, निचितपुर, मतारी, तेलो होते हुए चंद्रपुरा के बीच बिछाई जानी है. रेलवे ने इसके टेंडर भी निकाले है.
जिस जमीन को रेलवे अपना बता रहा, उस पर भी आये है दावे
लोग बताते हैं कि चंद्रपुर से तेलो के बीच जमीन पर सबसे अधिक विवाद सामने आया है. तारानारी पंचायत में करीब ढाई किलोमीटर जमीन रेलवे अपना बता रहा है. जबकि वहां के करीब 25 ग्रामीणों ने भूखंड पर अपना दावा पेश किया है और काम रुकवा दिया है. सूत्रों के अनुसार 11 जनवरी से ही काम रुका हुआ है. अब रेलवे प्रशासनिक अधिकारियों से पत्राचार कर रहा है. योजना के मुताबिक मार्च 2027 तक इस काम को पूरा कर लेना है, लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि यह पूरा हो पाएगा. बहरहाल ग्रामीणों के दावे को देखते हुए प्रोजेक्ट कब तक पूरा होगा, यह कहना कठिन लग रहा है. 28 अगस्त 2023 को इस योजना को स्वीकृति दी गई थी. अब कहा जा रहा है कि रेल लाइन के नीचे आग का खतरा बढ़ने की वजह से ऐसा ना हो कि आगे फिर समस्या पैदा हो जाए और रेल लाइन को बंद कर दिया जाए. यहां बता दें कि 15 जून 2017 को रातों-रात धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन को बंद कर दिया गया था.
25 फरवरी 2019 से दोबारा ट्रेन चलाई गई थी
25 फरवरी 2019 से धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर दोबारा ट्रेन चलाई गई थी. दोबारा ट्रेन चलाने के पीछे बड़ा आंदोलन वजह रहा. 15 जून'2017 को ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे ने रेल लाइन को बंद कर दिया और कुल 19 सवारी रेल गाड़ियों एव 20 जोड़ी मालवाहक ट्रेनों का परिचालन रद्द कर दिया. कोई वैकल्पिक रुट का निर्धारण किये बिना रेलवे के इस निर्णय ने सबको चौकाया था. डीजीएमएस की रिपोर्ट को आधार बनाकर यह सब किया गया. सके बाद तो कतरास सहित धनबाद के लोग आंदोलनरत हो गए. कई स्तर पर आंदोलन की शुरुआत की गई. धीरे धीरे यह आंदोलन जनांदोलन बन गया. आंदोलन को दबाने का जितना प्रयास हुआ, यह उतना ही फैलता गया. कोयलांचल में इस आंदोलन ने इतिहास बनाया और रेलवे और सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ा. और रेल लाइन फिर से 25 'फ़रवरी '2019 से चालू हुई.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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