धनबाद(DHANBAD): झारखंड में अभी ओडिशा की खूब चर्चा है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बनाए जाने के बाद से राजनीति के सजग और जानकार लोगों की जुबान पर ओडिशा छाया हुआ है. ओडिशा की चर्चा हो और भगवान जगन्नाथ की चर्चा ना की जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता है. ओडिशा में भी लोकसभा और विधानसभा का चुनाव पास आ रहा है. इस दौरान कई पुराने मुद्दों को उखाड़ा जा रहा है. इसी में एक है जगन्नाथ मंदिर के खजाने को खोलकर उसकी जांच कराने का.
बीजेपी और कांग्रेस दोनों कर रहे मांग
बीजेपी और कांग्रेस दोनों यह चाहते हैं कि जाँच हो. हाल में कई नेताओं ने मंदिर प्रबंधन कमेटी से मिलकर रत्न भंडार खोलने की बात की. लेकिन खुला नहीं. सवाल है कि आखिर क्या है इस भंडार में, क्यों 38 सालों से बंद पड़ा है और क्यों अभी इसकी जांच की मांग की जा रही है. इस खजाने में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के कीमती आभूषण और खाने-पीने के बर्तन रखे हुए है. यह वह सोने, चांदी के समान है, जो उस समय के राजाओं और भक्तों ने मंदिर में चढ़ाया था. 12वीं सदी के बने मंदिर में तब से यह सब रखे हुए है. कोई कहता है कि 1985 के बाद इसे नहीं खोला गया है. कोई कहता है कि 1978 के बाद इसे नहीं खोला गया है.
12 हजार भरी सोना और गहने है खजाना में
एक जानकारी के अनुसार 2018 में विधानसभा में एक सवाल के जवाब में कहा गया था कि आखरी बार 1978 में भंडार को खोला गया था और इस भंडार में करीब 12 हजार भरी( एक भरी का मतलब हुआ 11.16 ग्राम) सोना, सोने के गहने थे . जिस पर कीमती पत्थर जड़े हुए थे. 22000 भरी से कुछ ज्यादा के चांदी के बर्तन थे. साथ ही बहुत से गहने भी थे, जिनका उसे समय वजन नहीं किया गया था. खजाने की चाबी नियम के मुताबिक कलेक्टर के पास होनी चाहिए लेकिन प्रशासन को भी चाबी की कोई जानकारी नहीं है. फिर एक बार खजाने को खोलवाने की मांग तेज हो रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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