धनबाद(DHANBAD):लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है ,लेकिन सत्ता संग्राम छिड़ गया है. अपने-अपने ढंग से अपनी अपनी बात कहने का सिलसिला शुरू हो गया है .हर एक दल अपने अपने ढंग से कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के काम में लग गए हैं. झारखंड के धनबाद लोकसभा सीट को बीजेपी गारंटी वाली सीट मानती है.ट्रैक रिकॉर्ड भी कुछ ऐसा ही है. यह बात सच भी है कि 1991 के बाद लगातार सिर्फ एक टर्म को छोड़कर बीजेपी धनबाद से जीतती रही है. 2004 से 2009 के बीच कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे धनबाद से सांसद रहे.
1991 में राम मंदिर की हवा बहने से धनबाद में बीजेपी का प्रभाव बढ़ने लगा था
वैसे धनबाद के लोकसभा सीट पर विजई प्रत्याशियों की बात की जाए तो 1952 में पीसी बोस सांसद बने थे. 1957 में डीसी मलिक चुनाव जीते थे. 1962 में पीआर चक्रवर्ती सांसद बने थे. 1967 में ललिता राजलक्ष्मी चुनाव जीती थी. 1971 में आर एन शर्मा धनबाद से सांसद बने थे. फिर 1977 में ए के राय विजय रहे थे .1980 में भी ए के राय को ही विजय मिली थी. फिर 1984 में शंकर दयाल सिंह चुनाव जीते थे. फिर 1989 में ए के राय चुनाव जीते .1991 में शहीद रणधीर प्रसाद वर्मा की पत्नी रीता वर्मा चुनाव जीती. जो 2004 तक लगातार चार बार धनबाद से सांसद रही. फिर 2004 में चंद्रशेखर दुबे धनबाद से सांसद बने. 2009 से पशुपतिनाथ सिंह लगातार धनबाद से सांसद हैं. लोग बताते हैं कि 1991 में राम मंदिर की हवा बहने से धनबाद में भाजपा का प्रभाव बढ़ने लगा था. रामशिला रथ का धनबाद जिले में भव्य स्वागत हुआ था. राम ज्योति रथ का भी खूब स्वागत हुआ था.
पशुपतिनाथ सिंह लगातार तीसरी बार धनबाद से सांसद हैं
बीजेपी इस प्रभाव को भुनाने के लिए सक्रिय हो गई. और रणधीर वर्मा की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति लहर को incase करने के लिए उस समय एकीकृत बिहार में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष तारा कांत झा और संगठन कर्ता कैलाश पति मिश्रा ने प्रोफेसर रीता वर्मा से संपर्क किया और काफी प्रयास के बाद प्रोफेसर रीता वर्मा चुनाव लड़ने को तैयार हो गई.रणधीर वर्मा की शहादत से इस क्षेत्र में सहानुभूति की जो लहर उठी थी, उसका भरपूर फायदा बीजेपी ने उठाया. 1991 में जनता दल और लालू सरकार के पूर्ण समर्थन के बावजूद ए के राय चुनाव हार गए और प्रोफेसर रीता वर्मा चुनाव जीत गई. इस विजय से भारतीय जनता पार्टी की शक्ति बढ़ी.उसके बाद से धनबाद सीट को भाजपा गारंटी वाली सीट मानती है .प्रोफेसर रीता वर्मा धनबाद से चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री भी बनी. लेकिन 2009 में प्रोफेसर रीता वर्मा का टिकट काटकर पशुपतिनाथ सिंह को धनबाद से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया गया और उसके बाद से वह लगातार तीसरी बार धनबाद से सांसद हैं.
धनबाद लोकसभा सीट पर टिकट के लिए बीजेपी में उठापटक चल रहा है
हालांकि फिलहाल सवाल है कि पशुपतिनाथ सिंह को भाजपा टिकट देगी अथवा नहीं .हो सकता है कि उम्र टिकट पाने में बाधक बने. वैसे पशुपतिनाथ सिंह की सक्रियता में कोई कमी नहीं आई है .उन्होंने हाल ही में कहा था कि रात 11बजे तक जनता के बीच रहता हूं. लोगों की समस्याओं के निदान का प्रयास करता हूं .तो फिर उम्र उन्हें टिकट पाने में कैसे बाधक हो सकती है .यह बात भी सच है कि गारंटी वाली धनबाद लोकसभा सीट पर टिकट के लिए बीजेपी में उठापटक चल रहा है.
रिपोर्ट- धनबाद ब्यूरो
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