झारखंड में निकाय चुनाव दलीय आधार पर कराने की क्यों बढ़ गई है संभावना, पढ़िए इस रिपोर्ट में

धनबाद(DHANBAD) : यह बात तो अब लगभग तय हो गई है कि मई-जून तक झारखंड में निकाय चुनाव होंगे. इसके साथ ही यह बात भी चर्चा में है कि क्या इस बार निकाय चुनाव दलीय आधार पर होगा? इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि झारखंड में प्रचंड बहुमत के साथ महागठबंधन की सरकार बनी है. यह सरकार कोई भी निर्णय लेने में सक्षम है. यह भी कहा जाता है कि गठबंधन में झामुमो अधिक सीट लेकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आया है. ऐसे में गठबंधन के अन्य दालों का दबाव भी झामुमो पर काम नहीं आ सकता है. हालांकि अभी तक झारखंड में निकाय चुनाव दलीय आधार पर नहीं हुआ है. लेकिन 2025 में इसकी संभावना बढ़ गई है. अंदरखाने से जो खबरें आ रही है, उसके अनुसार सभी दल इसकी तैयारी कर रहे है. विपक्षी दल भाजपा भी इसकी तैयारी कर रही है, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, जेएलकेएम भी अंदर ही अंदर तैयारी कर रहे है. बैठकों का दौर शुरू हो गया है. चर्चा होने लगी है कि किसको कहां से लड़ाया जाए.
वैसे भी निकाय चुनाव में दलगत आधार पर चुनाव नहीं होने की वजह से राजनीतिक दलों के लिए यह कठिनाई हो जाती है कि वह किसका समर्थन करे. क्योंकि एक ही दल से कई लोग चुनाव मैदान में उतर जाते है. नतीजा होता है कि पर्दे के पीछे से दल के नेता अपने-अपने समर्थकों का समर्थन करते हैं, लेकिन खुलकर कुछ बोल नहीं पाते है. इस बार इस परंपरा के टूटने की संभावना बढ़ गई है. अगर केवल धनबाद की बात की जाये तो धनबाद नगर निगम मेयर पद के लिए 2024 के जनवरी महीने में जारी नोटिफिकेशन को राज्य सरकार बदलेगी या फिर अनुसूचित जाति के लिए ही यह सीट आरक्षित रहेगी, इसकी भी चर्चा चल रही है. यह भी चर्चा है कि क्या कराए गए सर्वेक्षण के नतीजे के अनुसार धनबाद मेयर का सीट राज्य सरकार ओबीसी के लिए आरक्षित करेगी? धनबाद नगर निगम का गठन 2006 में हुआ था. 2010 में पहली बार जब चुनाव हुआ तो मेयर का पद महिला के लिए आरक्षित था. फिर 2015 में चुनाव हुआ, उस वक्त यह पद ओबीसी के लिए आरक्षित किया गया.
बता दें कि धनबाद नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले वोटरों में ओबीसी की संख्या जानने के लिए कराए गए सर्वेक्षण की संशोधित रिपोर्ट भी जारी कर दी गई है. वोटर लिस्ट में 40 वार्ड में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 50 से लेकर 60% तक है. बाकी 40% में सामान्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के वोटर शामिल है. आंकड़ों की अगर बात की जाए तो इतना तो तय है कि ओबीसी के वोटर ही धनबाद के नए मेयर का चयन करेंगे. झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर सक्रिय हो गई है. धनबाद में वार्डों के पुनर्गठन के लिए डोर- टू- डोर सर्वे कराकर वोटर लिस्ट में सामान्य, ओबीसी और एससी-एसटी की संख्या का आंकड़ा निकाला गया है. आंकड़े के अनुसार 55 वार्ड में से 40 में ओबीसी मतदाता सर्वाधिक है. कुछ में तो इनकी संख्या लगभग 70% है. 2025 में मेयर का सीट किस वर्ग के लिए आरक्षित होगा. इसका फैसला तो राज्य सरकार को लेना है, लेकिन इतना तो तय है कि अगर अनुसूचित जाति के लिए सीट रिजर्व हुई, तो बहुत सारे लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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