धनबाद(DHANBAD): धनबाद- चंद्रपुरा रेल लाइन को तत्काल बंद करना होगा या वैकल्पिक लाइन तैयार हो जाने के बाद इसे बंद किया जाएगा. यह सवाल इसलिए बड़ा हो गया है कि सोमवार को रेल लाइन से 50 मीटर की दूरी पर बड़े आकार का गोफ बन गया है. इस गोफ से जहरीली गैस निकल रही है. यह अलग बात है कि बीसीसीएल कुछ लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया है. जो बचे हैं, उनको भी शिफ्ट कर दिया जाएगा. यह रेल लाइन 2017 में अचानक चर्चे में आई. जब भूमिगत आग के खतरे को देखते हुए रेल लाइन को बंद कर दिया गया था. लेकिन उसके बाद रेल लाइन चालू कराने के लिए धनबाद ने आंदोलन का इतिहास रच दिया. नतीजा हुआ कि फिर से रेल लाइन चालू करना पड़ा. वैसे इस रेल लाइन के वैकल्पिक मार्ग के लिए फंड का आवंटन हो गया है. देखना है कब तक वैकल्पिक लाइन पूरी होती है.
डायवर्सन की रूपरेखा हो गई है तय
कहा तो यह भी जाता है कि लाइन के डायवर्सन की रूपरेखा तय कर ली गई है. अब उसे केवल अमली जामा पहनाना है. इस पर करीब 478.37 करोड़ रुपये खर्च होंगे. धनबाद-चंद्रपुरा वैकल्पिक रेल मार्ग के लिए राशि आवंटित हो गयी है. काम भी शुरू हो गया है. वर्तमान धनबाद-चंद्रपुरा रेलमार्ग पर भविष्य में संभावित खतरे को देखते हुए वैकल्पिक लाइन तैयार होनी है. इसके लिए डायवर्जन प्लान फाइनल हो चुका है. तेतुलमारी, निचितपुर, मतारी, तेलाे और धनबाद 43.8 किलोमीटर का वाइ कनेक्शन समेत लाइन तैयार करने के लिए फंड आवंटित हो गया है. वहीं डीसी लाइन में धनबाद से जमुनियाटांड़ से पहले तक पूर्व से डबल लाइन बिछी हुई है, लेकिन जमुनियाटांड़ से चंद्रपुरा तक 7.3 किमी लंबा रेलमार्ग सिंगल लाइन होने से परेशानी होती है. ऐसे में चंद्रपुरा से जमुनियाटांड़ तक लाइन के दोहरीकरण का काम होना है. इसके लिए बजट में फंड की स्वीकृति दी गयी है. काम पूरा होने पर डीसी लाइन का पूरी तरह से दोहरीकरण हो जायेगा.15 जून'2017 को ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे ने रेल लाइन को बंद कर दिया और कुल 19 सवारी रेल गाड़ियों एव 20 जोड़ी मालवाहक ट्रेनों का परिचालन रद्द कर दिया. कोई वैकल्पिक रुट का निर्धारण किये बिना रेलवे के इस निर्णय ने सबको चौकाया था.
डीजीएमएस की रिपोर्ट पर बंद हुई थी रेल लाइन
डीजीएमएस की रिपोर्ट को आधार बनाकर यह सब किया गया.इसके बाद तो कतरास सहित धनबाद के लोग आंदोलनरत हो गए. कई स्तर पर आंदोलन की शुरुवात की गई. धीरे धीरे यह आंदोलन जनांदोलन बन गया. आंदोलन को दबाने का जितना प्रयास हुआ ,यह उतना ही फैलता गया. कोयलांचल में इस आंदोलन ने इतिहास बनाया और रेलवे और सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ा. और रेल लाइन फिर से 6 'फ़रवरी '2019 से चालू हुई. कोई भरोसा नहीं कर रहा था की आंदोलनकारियों को सफलता मिलेगी. लेकिन हठी आंदोलनकारी , इतने टेक्निकल तथ्य जुगाड़ कर लिए थे कि जमीन पर आंदोलन चल रहा था और दूसरी टीम मंत्रियो,अधिकारियो से मिलकर फैक्ट्स बता रही थी .
कोयलांचल में विस्थापन एक बड़ा मुद्दा है
वैसे तो बरसात के सीजन में कोयलांचल डरावनी लगने लगता है. कब, कहां भू धसान हो जाए, कब लोगों के घर जमीनदोज हो जाएं, यह कोई कह नहीं सकता है. कोयलांचल में में विस्थापन एक बड़ा मुद्दा है. संशोधित मास्टर प्लान के बहुत जल्द कैबिनेट से स्वीकृत होने की उम्मीद है. संशोधित मास्टर प्लान के आ जाने के बाद लोगों को शिफ्टिंग में सहूलियत होगी. लेकिन एक सवाल खड़ा होगा कि संशोधित मास्टर प्लान में रैयतों के लिए जो सुविधा दी गई है, उस सुविधा पर क्या रैयत तैयार होंगे. देखना है बरसात के बीच में ही शिफ्टिंग का काम शुरू होता है यह मामला अभी और आगे लटकेगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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