दुमका(DUMKA): दुमका को झारखंड की उप राजधानी कहा जाता है.लेकिन दुमका के लोगों में अब कानून का कोई भय नहीं है. आए दिन छोटी-छोटी बातों पर भीड़ तंत्र की कार्यवाई देखने को मिलती है. वहीं ऐसे में पुलिस की भी कारवाई देखने को नही मिल पा रही है. दुमका पुलिस इन मामलो में बेबश नजर आती है.
पुलिस के काफी मशक्कत के बाद, कथित प्रेमी युगल को तीसरे दिन कराया मुक्त
बता दे कि दुमका जिला में पिछले दिनों कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिसका जिक्र करना आवश्यक प्रतीत होता है. रामगढ़ थाना क्षेत्र के नावाडीह गांव में 9 जून की रात अवैध संबंध के शक में ग्रामीणों ने महिला और पुरुष को पकड़ कर पोल में बांध दिया. दोनों के साथ मारपीट की गई. जिसके बाद ग्रामीणों के चंगुल से कथित प्रेमी युगल को मुक्त कराने में पुलिस को कई मशक्कत करनी पड़ी. प्रशासन के कई कोशिश के बाद कथित प्रेमी युगल को तीसरे दिन ग्रामीणों के चंगुल से मुक्त कराया जा सका.
ट्रेलर चालक से रंगदारी मांगने के आरोप में ग्रामीणों के हत्थे चढ़े 2 युवक
दूसरी घटना मसलिया थाना क्षेत्र के गोलबंधा मोड़ के समीप की है. जहाँ ग्रामीणों ने बाइक सवार दो युवकों को पकड़ लिया और पिटाई के बाद बांध कर रखा गया. आरोप है कि दोनों युवकों ने एक ट्रेलर चालक को ओवरटेक कर रोका और चालक के साथ मारपीट करते हुए ₹20 हजार की रंगदारी मांगी. आरोप लगाया कि ट्रेलर चालक बकरी मार कर भाग रहा था. बाद में पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों के चंगुल से लाल मोहम्मद अंसारी और अजय मुर्मू को मुक्त करा कर थाना लेकर पहुंची और ट्रेलर चालक के लिखित शिकायत पर पुलिस ने दोनों को सलाखों के पीछे भेज दिया.
जब प्रशिक्षु महिला आईएएस सहित अधिकारियों की टोली को ग्रामीणों ने घंटों रोके रखा गांव में
यह आंकड़े यहीं समाप्त नहीं होते. कुछ महीने पहले की घटना है जब शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में ग्रामीणों ने एक प्रशिक्षु महिला आईएएस सहित कई अधिकारियों को घंटों बैठा कर रखा. अधिकारियों का कसूर बस इतना था कि ग्राम सभा की अनुमति के बगैर गांव में प्रवेश कर गए थे. घंटों बैठाए रखने के बाद ग्रामीणों ने अधिकारियों को तब छोड़ा जब अधिकारियों द्वारा लिखित रूप में दिया गया कि भविष्य में बगैर ग्राम सभा की अनुमति के गांव में प्रवेश नहीं करेंगे.
जमीन विवाद सुलझाने गयी पुलिस पर ग्रामीणों ने किया हमला
फेहरिस्त लंबी है. तालझारी थाना क्षेत्र में जमीन विवाद सुलझाने गयी पुलिस पार्टी पर ग्रामीणों ने हमला बोल कर मारपीट करना शुरु कर दिया था जहांकई पुलिस कर्मी घायल भी हुए थे. जिसके बाद पुलिस की ओर से ग्रामीणों पर कड़ी कार्रवाई कर आरोपीयों को जेल भेज दिया गया.
मारपीट के आरोप में हिरासत में लिए गए युवकों को छोड़ना पड़ा थाना से
कुछ महीने पहले बस स्टैंड में हुई मारपीट की घटना में पुलिस ने कुछ युवक को हिरासत में लिया था. घंटों चले हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद हिरासत में लिए गए युवक को थाना से छोड़ना पड़ा.
ग्रामीणों का भरोसा जीतना होगा अन्यथा स्थिति अराजक होते देर नहीं लगेगी
यह तो चंद उदाहरण है.जो कुछ महीनों में दुमका जिला में घटित हुआ. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर बार बार लोग कानून को हाथ में क्यों लेते हैं? क्या उन्हें कानून पर भरोशा नहीं या फिर कानून का भय नहीं? ऐसे असामाजिक तत्वों को किसका संरक्षण प्राप्त है? अभी भी समय है. पुलिस को लोगों का भरोशा जीतना होगा. नहीं तो स्थिति अराजक होते देर नहीं लगेगी. उस स्थिति में कानून का राज स्थापित करना शासन और प्रसासन के समक्ष गंभीर चुनौती होगी.
रिपोर्ट: पंचम झा
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