धनबाद(DHANBAD):बीजेपी की पहली सूची में झारखंड में सबसे अधिक वोटो से बीजेपी प्रत्याशी को जिताने वाली धनबाद सीट पर उम्मीदवार की घोषणा अभी नहीं की गई है. उम्मीदवार का नाम अभी होल्ड पर रखा गया है. सिर्फ धनबाद ही नहीं, चतरा और गिरिडीह सीट को भी होल्ड पर रखा गया है. इधर इन सीटों पर दावेदारों की धड़कनें तेज होने लगी है. झारखंड के जिन 11 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की गई है, उनमें चार पर उम्मीदवार बदल दिए गए हैं .सात पुराने चेहरे पर ही दाव खेला गया है. जयंत सिन्हा, सुदर्शन भगत का टिकट कट गया है .हजारीबाग से विधायक मनीष जायसवाल को टिकट मिला है ,जबकि लोहरदगा से सिटिंग एमपी सुदर्शन भगत की जगह राज्यसभा सांसद समीर उरांव को टिकट दिया गया है. संथाल परगना की राजमहल से बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी चुनाव लड़ेंगे. 2019 में यहां बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले हेमलाल मुर्मू झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए हैं ,जबकि सिंहभूम सीट पर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई गीता कोड़ा को भाजपा लड़ा रही है.
1991 से 2019 तक एक बार की बात छोड़ दी जाए तो धनबाद से बीजेपी के ही सांसद रहे हैं
गिरिडीह सीट तो आजसू के खाते में जाएगी, इसलिए बीजेपी को उम्मीदवार के लिए बहुत माथा पच्ची नहीं करनी है .लेकिन धनबाद और चतरा सीट पर उम्मीदवार को लेकर शनिवार से ही चर्चाओं का बाजार गर्म है. दोनों ही सीटों पर फिलहाल एक ही जाति के सांसद हैं .अगर चतरा से सुनील सिंह का टिकट कटता है तो फिर धनबाद से पशुपतिनाथ सिंह का दावा मजबूत हो सकता है.वैसे यह भी कहा जा सकता है कि जब पलामू से बीडी राम को टिकट मिल गया है तो उम्र के आधार पर धनबाद से पशुपतिनाथ सिंह का टिकट कटना नहीं चाहिए .बहरहाल जब तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं होती है ,अटकलें लगती रहेगी. हो सकता है कि धनबाद और चतरा में आला कमान किसी विकल्प पर विचार कर रहा हो. वैसे झारखंड में धनबाद को बीजेपी की सबसे अधिक सुरक्षित सीट मानी जाती है .कहा जाता है कि धनबाद तो बीजेपी का गढ़ है .1991 से 2019 तक सिर्फ एक बार की बात छोड़ दी जाए तो धनबाद से बीजेपी के ही सांसद रहे हैं.
फिलहाल धनबाद और चतरा सीट को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है
इधर संथाल में भी बीजेपी पुराने चेहरे पर ही लड़ाई लड़ेगी. दुमका से सुनील सोरेन तो गोड्डा से निशिकांत दुबे को रिपीट किया गया है .राजमहल की लड़ाई पर मोर्चे पर ताला मरांडी होंगे .2019 में यहां से बीजेपी के टिकट पर हेमलाल मुर्मू चुनाव लड़े थे ,लेकिन फिलहाल वह झारखंड मुक्ति मोर्चा में चले गए हैं. संथाल परगना के तीन लोकसभा सीट में दो पर अभी बीजेपी का कब्जा है. राजमहल पर झामुमो की जीत हुई है. वैसे संथाल में लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर रहा लेकिन विधानसभा चुनाव में संथाल परगना में बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर दिखा. संथाल की कुल 18 विधानसभा सीटों में से 9 सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास है. कांग्रेस को पांच विधानसभा सीट मिली थी. बीजेपी को चार सीट पर संतोष करना पड़ा था. संथाल परगना में झारखंड मुक्ति मोर्चा को जिन विधानसभा सीटों पर सफलता मिली थी उन में बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, नाला ,दुमका और जामा शामिल हैं ,जबकि कांग्रेस को पाकुड़ ,जामताड़ा ,जरमुंडी, पोड़ैयाहाट एवं महागामा सीट पर सफलता मिली थी. बीजेपी को गोड्डा, राजमहल, देवघर और सारठ पर जीत मिली थी. वैसे बीजेपी के टारगेट में संथाल रहता आया है. इस बार भी रहेगा. दुमका सीट पर इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा किसे उम्मीदवार बनाता है, इस पर भी नजर रहेगी. सुनील सोरेन ने शिबू सोरेन को पराजित कर दिया था. वैसे आदिवासी वोटरों में सेंधमारी के लिए ही बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी जैसे कद्दावर नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. देखना है आगे आगे होता है क्या. फिलहाल धनबाद और चतरा सीट को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है और यह उम्मीदवारों की घोषणा तक गर्म ही रहेगा.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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