देवघर ( DEOGHAR) : झारखंड आदिवासी बहुल राज्य के रूप में जाना जाता है. झारखंड सरकार आदिवासियों के हित में कई विकास की योजनाएं बनाती है. लेकिन देवघर में इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. दरअसल, देवघर के जसीडीह औद्योगिक क्षेत्र में SPIADA (santal paragana industrial area development authority) यानी संताल परगना औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा एक कंपनी को स्थापित करने के लिए जमीन उपलब्ध कराई है. झारखंड सरकार द्वारा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने के निर्णय के तहत जसीडीह औद्योगिक क्षेत्र में कई कंपनियां स्थापित होकर अपना कार्य कर भी रही है और कई कंपनियों को इस क्षेत्र में स्थापित करना बाकी है. उसी के तहत इफको को अपना प्लांट लगाने के लिए सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध कराया गया है. जमीन पर प्लांट बैठाने के लिए कार्य प्रारंभ तो हुआ लेकिन अब वहां स्थानीयों का विरोध शुरू हो गया है. और काफी संख्या में आदिवासी समाज के लोग इक्कट्ठे होकर निर्माण कार्य को बंद करा दिया है. कारण सरकार द्वारा जमीन को अधिग्रहण नहीं कराना.
जानिए आदिवासियों का पक्ष
ढ़ोल नगाड़े के साथ आदिवासी समाज द्वारा सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की गई. आदिवासियों का कहना है कि जिस जमीन पर निर्माण कार्य कराया जा रहा है उस जमीन को सरकार द्वारा अधिग्रहण नहीं किया गया है. इनका कहना है कि यह जमाबंदी रैयती जमीन है. जिसका टैक्स भी उन्हीं के द्वारा अब तक दिया जा रहा था. यह 7 रैयतों का लगभग 15 एकड़ जमीन है. जिसे सरकार द्वारा अधिग्रहण नहीं किया गया है. छोटा मानिकपुर के निवासी सरकार से अधिग्रहित उनकी जमीन के कागज की मांग की जा रही है. इसके अलावा अगर अधिग्रहण उनकी जमीन हुई है तो मुआबजा किसे दिया गया. इस बात पर भी आदिवासी समाज द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं. खैर जो भी हो लेकिन एक बात तो तय है कि इन भोले भाले आदिवासी समाज द्वारा इस तरह का मामला पहली बार यहां नही घटा है. अब देखना होगा कि सरकार या spiada प्रशासन का अगला कदम क्या होगा. आदिवासियों की मांग अगर जायज है तो सरकार की लापरवाही का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है. जान देंगे लेकिन जमीन नही देंगे का नारा यहां भी बुलंद हो गया है. आदिवासियों का विरोध उच्च स्तरीय जांच की ओर इशारा कर रहा है.
रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर
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