धनबाद(DHANBAD) : राजस्थान की कोचिंग फैक्ट्री कोटा को किसकी नजर लग गई है. नए साल के 23 दिनों में 6 बच्चों ने आत्महत्या कर ली. यह आंकड़ा राजस्थान के कोटा का है. 7 जनवरी "2025 से लेकर 22 जनवरी' 2025 तक आत्महत्या की 6 वारदात हुए है. बुधवार को तो एक ही दिन दो छात्र आत्महत्या कर लिए. एक घटना तो ऐसी हुई कि असम से उसकी मां कमरे में जब पहुंची तो कमरे के भीतर बेटे का शव पड़ा था. उसके बाद तो मां बेहोश हो गई. दोनों को अस्पताल ले जाया गया. बेटा तो मर चुका था और मां भी बेहोश थी. बताया जाता है कि बुधवार की सुबह 9:00 बजे नीट की तैयारी कर रही 24 वर्षीय छात्रा की आत्महत्या की खबर सामने आई. इसके कुछ ही घंटे बाद एक छात्र की आत्महत्या करने का मामला सामने आया. वह छात्र असम से कोचिंग के लिए कोटा आया था. बुधवार की दोपहर करीब 2:00 बजे छात्र की मां कोटा पहुंची थी.
मां ने दारवाजा खोला तो बेटे की लाश पड़ी थी
बेटे के रूम का दरवाजा खोला तो बेटे का शव पड़ा मिला. यह देखकर छात्र की मां वहीं बेहोश हो गई. वहां मौजूद लोगों ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया. जहां डॉक्टर ने छात्र को मृत घोषित कर दिया. राजस्थान की कोचिंग नगरी कहे जाने वाली कोटा में इस साल भी छात्र आत्महत्या का दुखद सिलसिला जारी है. कोटा में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या ने कोचिंग उद्योग और अभिभावकों में चिंता बढ़ा दी है. यह बात भी सच है कि छात्रों पर बढ़ते मानसिक और शैक्षणिक दबाव को कम करने के लिए कोचिंग संस्थानों, माता-पिता और प्रशासन को मिलकर समाधान तलाशने की कोशिश की जानी चाहिए. एक आंकड़ा यह भी निकल कर आया है कि 2023 में 29 छात्रों ने आत्महत्या की थी. जबकि 2024 में 19 छात्रों ने किया था. वही 2025 के जनवरी के महीने में 6 घटनाएं सामने आई है. यह अलग बात है कि आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने कई कदम उठाए है. हॉस्टल के कमरों में एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाई गई है. इसके अलावा छात्रों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है. जिससे छात्र अपनी किसी भी परेशानी के लिए प्रशासन से बात कर सकते है.
कोटा दशकों से कोचिंग फैक्ट्री का सेंटर पॉइंट रहा है
कोटा दशकों से मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कोचिंग फैक्ट्री का सेंटर पॉइंट रहा है. कोटा ने देश को कई होनहार दिए हैं, वहीं दूसरी तस्वीर भी उभर कर सामने आ रही है. प्रतिस्पर्धा और उम्मीद की दौड़ में खुद को कमजोर पाने के बाद अपनी जान गंवा दे रहे है. आंकड़े के अनुसार सवा दो लाख छात्र नीट और इंजिनीय रिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते है. आत्महत्या का यह एक ऐसा आंकड़ा है, जो किसी को भी चौंका सकता है. सबके मन में इच्छा होती है की अच्छी पढ़ाई करें, बेहतर नौकरी पाएं, अभिभावक भी बच्चों के इस इच्छा को पूरी करने के लिए हर कुछ दाव पर लगा देते है. गरीब घर के लड़के भी कोटा पहुंचने हैं, उन्हें घर की आर्थिक हालात की जानकारी होती है. जब वह समझने लगते हैं कि अब वह प्रतियोगी परीक्षा में सफल नहीं होंगे, तो जीवन लीला ही समाप्त कर लेते है. यह अच्छी बात नहीं है. उन्हें समझना होगा कि जीवन अनमोल है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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