देवघर (DEOGHAR) : देवघर विधानसभा जिसे संताल परगना का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ यहां विराजमान हैं. साथ ही बिहार के बांका और जमुई जिला से यह विधानसभा सटा हुआ है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2009 में राजद के टिकट पर सुरेश पासवान जीते थे. इसके बाद 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर नारायण दास जीतकर विधायक बने है. लगातार दो बार से यह सीट राजद हार रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए अब इस सीट से झामुमो और कांग्रेस ने अपना दावा पार्टी आलाकमान को पेश किया है.
सब पर राजद का पलड़ा दिख रहा भारी
झारखंड में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होना है. सभी राजनीतिक दल मैदान में अपने अपने तरीके से कूद चुके है. जब तक सामान्य सीट था, तब तक इस क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा कायम रहा. सुरक्षित होने के बाद यह विधानसभा क्षेत्र राजद के कब्जा में अधिकांश रहा, लेकिन पिछले दो बार से यह विधानसभा सीट भाजपा के पास है. लगातार दो बार से राजद के टिकट पर चुनाव हार रहे सुरेश पासवान की जगह अब झामुमो और कंग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतारने का दावा आलाकमान के समक्ष रखा है.
झामुमो का मानना है कि पार्टी ने इस विधानसभा क्षेत्र से कभी भी चुनाव नही लड़ा है. पार्टी नेताओं के अनुसार अगर इस बार झामुमो अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी तो जीत सुनिश्चित है. इसलिए इस विधानसभा क्षेत्र से झामुमो का उम्मीदवार उतारने के लिए आलाकमान से आग्रह किया गया है. वहीं दूसरी तरफ दो बार से भाजपा का विधायक बनने से कांग्रेस नेताओ में भी नाराज़गी देखी जा रही है. पार्टी नेताओं के अनुसार देवघर कांग्रेस का गढ़ रहा है, इसलिए कांग्रेस को यहां से टिकट मिलने पर फिर से यह क्षेत्र कांग्रेसमय हो जाएगा. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि जिला के तीन विधानसभा क्षेत्र से दो झामुमो और एक राजद के खाते में टिकट चला जाता है. जिला के 3 विधानसभा क्षेत्र में दो झामुमों के खाता में चले जाने से देवघर से राजद का दावा इसलिए मजबूत हो जाता है कि, गोड्डा लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र से महगामा, जरमुंडी और अब पोड़ैयाहाट कांग्रेस के खाते में चला जाता है, जबकि मधुपुर झामुमो को देवघर और गोड्डा विधानसभा क्षेत्र राजद को मिलता है. दूसरी ओर देवघर जिला के 2 विधानसभा क्षेत्र सारठ और मधुपुर झामुमो को चले जाने से देवघर से राजद के पलड़ा भारी हो जाता है. सभी दलों ने देवघर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का दावा तो पेश कर दिया है लेकिन, टिकट किसे मिलेगा वह आलाकमान पर ही निर्भर करता है.
रिपोर्ट-ऋतुराज सिन्हा
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