दुमका (DUMKA): क्षेत्र कोई भी हो समाजसेवी मिल ही जाते हैं. लेकिन इस सबके बीच कुछ लोग ऐसे होते हैं जो छुपा रुस्तम बनकर समाज सेवा के पथ पर अग्रसर रहते हैं, और एक दिन ऐसा आता है जब प्रधानमंत्री भी इनकी समाज सेवा के मुरीद बन जाते हैं. जी हां! हम बात कर रहे हैं झारखंड के लाइब्रेरमेन संजय कच्छप की, जिनके कार्यों की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में की.
आर्थिक तंगी और कठिनाइयों के बीच की दूसरों की सेवा
किसी ने सच ही कहा है "तपा कर देख लेता जग कहां तक शुद्ध है सोना, तपन में मुस्कुराना ही सफलता प्राप्त है होना", आर्थिक तंगी और कठिनाइयों के बीच तप कर मुकाम पाने वाले कृषि उत्पादन बाजार समिति के प्रणन सचिव संजय कच्छप मूल रूप से चाईबासा जिला के रहने वाले है. विद्यार्थी जीवन में एक एक पुस्तक के लिए तरसने वाले संजय कच्छप की पहचान आज झारखंड के लाइब्रेरी मैन के रूप में हो रही है. आर्थिक तंगी के बीच पढ़ लिख कर जब इन्होंने मुकाम पाया तो पहला प्रण लिया की पढ़ाई के लिए जिस तरह की परेशानियों का सामना इन्होंने किया कोई और ना करे. इस प्रण के साथ उन्होंने 2 अक्टूबर 2008 को पहली लाइब्रेरी की स्थापना की और आज इनके द्वारा झारखंड के विभिन्न हिस्सों में 50 से ज्यादा लाइब्रेरी संचालित है. जहां पहुंचकर छात्र ना केवल निशुल्क पुस्तक पढ़ सकते हैं, बल्कि वैसे छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करवाते हैं.
सरकारी क्वार्टर के गराज को बनाया लाइब्रेरी
अप्रैल 2022 में इनकी पदस्थापना दुमका में हुई. यहां उन्होंने सरकारी क्वार्टर के गराज को ही लाइब्रेरी बना दिया. जहां झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले छोटे-छोटे बच्चे से लेकर निर्धन छात्र तक पहुंचकर विद्या अध्ययन कर रहे हैं. ईच वन टीच वन के तर्ज पर इनकी लाइब्रेरी में ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन तक की कक्षाएं संचालित हो रही है और संजय कश्यप लाइब्रेरी मेन बनकर शिक्षा का दीप जला रहे है.
प्रधानमंत्री ने मन की बात के दौरान की सराहना
2 दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में संजय कच्छप के कार्यों की सराहना की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख से सराहना सुनकर ना केवल संजय कच्छप बल्कि इनकी पूरी टीम उत्साहित है, गौरवान्वित महसूस कर रही है. संजय कच्छप ने कहा कि अब दोगुनी रफ्तार से ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाकर छात्रों के सपनों को पंख लगाएंगे. संजय कच्छप सादा जीवन उच्च विचार के पोषक हैं. तभी तो अधिकारी बनकर भी ज्यादातर समय साइकिल से चलते हैं. इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जिस अभियान से जुड़े हैं उसमें एक एक रुपया बचाना महत्व रखता है और लोगों के बीच स्वस्थ रहने के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा का संदेश भी जाता है.
जज्बे को सलाम
भारत भूमि दान वीरों से भरी पड़ी है. महर्षि दधीचि ने लोकहित में अपनी अस्थियां दान कर दी तो कवच कुंडल दान कर कर्ण दानवीर बन गए. आज के समय में संजय विद्या दान कर लाइब्रेरी मेन बन गए हैं. शिक्षा से जागृति आती है और शिक्षित समाज से ही देश का चौमुखी विकास हो सकता है. द न्यूज़ पोस्ट की टीम भी संजय कश्यप के इस जज्बे को सलाम करती है.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका
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