रांची(RANCHI): पांच महीने जेल में रहने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जेल से बाहर आ गए. हेमन्त के बाहर आने के साथ ED के आरोप की कलई खुल गई. झारखंड हाई कोर्ट में दोनों पक्षो में लंबी बहस चली लेकिन ईडी की ओर से कोई भी ठोस सबूत पेश नहीं किया जा सका. जिसके आधार पर कोर्ट ने माना कि प्रथम दृष्टया हेमन्त दोषी नहीं है. इसी आधार पर कोर्ट ने रिहा करने का फैसला सुना दिया. अब सब के सामने हेमन्त सोरेन का 2 फरवरी के बयान दिख रहा है.जब गिरफ्तारी के बाद ED की कस्टडी में वह विधानसभा पहुंचे थे. हेमन्त ने एक बात कही थी "है हिम्मत तो पेपर दिखाओ राजनीति से सन्यास ले लेंगे"कुछ ऐसा ही कोर्ट में हुआ.कोर्ट कहता रहा कोई दस्तावेज हेमन्त सोरेन से जुड़ा है तो दिखाइए. लेकिन ED कोई भी सबूत कोर्ट में नहीं दिखा सकी. जिसके आधार पर हेमन्त के बेल को रोका जा सके.
दरअसल हेमन्त सोरेन की गिरफ्तारी कथित जमीन घोटाले के आरोप में 31 जनवरी को हुई थी. इस दौरान पांच घन्टे तक ईडी के अधिकारियों ने हेमन्त से मुख्यमंत्री आवास में पूछताछ की थी. जिसके बाद शाम 6 बजे उन्हें गिरफ्तार करने की आधिकारिक पुष्टि कर दी गई.इसके बाद से ही सवाल खड़ा होने लगा था कि क्या कोई मुख्यमंत्री 8.86 एकड़ जमीन को कब्जा क्यों करेगा.लेकिन ईडी की ओर गंभीर आरोप लगाए गए थे.कहा गया था कि हेमन्त सोरेन ने पवार का गलत इस्तेमाल किया है.
ईडी के गंभीर आरोप के बाद भी सदन में हेमन्त सीना तान कर खड़े होकर बोल रहे थे कि एक षडयंत्र के तहत फसाया गया है.उन्हें आदिवासी होने की सज़ा दी जा रही है. वह इसके लिए आंसू नहीं बहाएंगे. इसे समय के लिए बचा कर रखेंगे. समय का पहिया हमेशा एक जैसा नहीं होता है. जब समय बदलेगा तो सबक भी जरुर षडयंत्र करने वालों को मिलेगा.
अब हेमन्त जेल से बाहर आ गए. जेल से निकलने के बाद सीधे वह अपने पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन से मिलने पहुंचे. इस दौरान अधिक समय परिवार के लोगों के साथ बिताया.लेकिन जब मीडिया के सामने आए तो साफ कहा कि पांच महीने वह जेल में रहे.एक षडयंत्र किया गया.जेल भेज कर लेकिन कोर्ट पर विश्वास था अब बाहर है.यह दिन कभी भी भूलने वाला नहीं है.जो लड़ाई और संकल्प उन्होंने लिया है उसे मुकाम तक पहुंचाने का काम करेंगे.जिस तरह से षडयंत्र रचा गया है यह सबके सामने है.
अब समझने वाली बात है कि आखिर कोर्ट में हेमन्त सोरेन के खिलाफ ईडी ने क्या कुछ कहा या फिर हेमन्त सोरेन के अधिवक्ता ने क्या पक्ष रखा था.कोर्ट की ओर से यह माना गया कि हेमन्त सोरेन को सिर्फ शक कर आधार पर दोषी नहीं मान सकते है.एकल पीठ ने PMLA 2002 की धारा 45 की शर्त के तहत याचिकाकर्ता यानी हेमन्त सोरेन आरोपित अपराध का दोषी नहीं है.
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