धनबाद(DHANBAD): धनबाद के 6 विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम वोट से निरसा में माले उम्मीदवार अरूप चटर्जी की जीत हुई है. अ रूप चटर्जी मात्र 1,808 वोट से चुनाव जीते है. दूसरी कम वोट से जीतने वाली सीट सिंदरी रही. यहां भी माले के बबलू महतो मात्र 3,448 वोट से चुनाव जीते. यह अलग बात है कि दोनों सीट पहले लाल झंडा का गढ़ हुआ करती थी. लेकिन भाजपा ने गढ़ को ध्वस्त कर दिया था. लेकिन इस बार फिर लाल झंडा ने दोनों सीटों पर कब्जा जमा लिया है. कांग्रेस अपनी झरिया सीट नहीं बचा पाई. तो बाघमारा से कांग्रेस के जलेश्वर महतो के हार का आकड़ा बढ़ गया. धनबाद से कांग्रेस 2019 के वोट के आकड़े को भी नहीं छू सकी. निरसा में अरूप चटर्जी की फिर से वापसी हुई है.
झरिया सीट पर वोटरों को एकजुट नहीं रख सकी कांग्रेस
झरिया सीट की बात की जाए, तो कांग्रेस उम्मीदवार पूर्णिमा नीरज सिंह 2024 का विधानसभा चुनाव हार गई. 2019 में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह को हराकर चुनाव जीती थी . लेकिन 2024 में वह अपने वोटरों को एकजुट नहीं रख पाई. दूसरी ओर उनकी प्रतिद्वंद्वी रागिनी सिंह ने वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए खूब मेहनत की. नतीजा हुआ कि रागिनी सिंह 14,511 वोटो से झरिया विधानसभा सीट जीत गई. बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से 2019 के चुनाव में सांसद ढुल्लू महतो विजय हुए थे. इस बार उनके बड़े भाई शत्रुघ्न महतो को भाजपा ने टिकट दिया. भाजपा के सामने कांग्रेस के जलेश्वर महतो थे. उन्होंने भी पूरा जोर लगाया . हर विवाद को निपटाने का भरसक प्रयास किया. लेकिन वोटरों को अपने पक्ष में नहीं कर पाए. एक वजह यह भी रही कि निर्दलीय प्रत्याशी रोहित यादव ने कांग्रेस का वोट काटा. इस वजह से भी जलेश्वर महतो चुनाव हार गए.
चुनाव के ठीक पहले रोहित यादव कांग्रेस में शामिल हुए थे
चुनाव के ठीक पहले रोहित यादव को कांग्रेस में शामिल कराया गया था. लेकिन जब रोहित यादव को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला, तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ गए. रोहित यादव चुनाव के ठीक पहले कैसे कांग्रेस में शामिल हुए, इसको भी लेकर कई तरह की चर्चाएं है. यह भी कहा जाता है कि सोची समझी योजना के तहत यह सब कराया गया था. सिंदरी विधानसभा में इंद्रजीत महतो की पत्नी को टिकट दिया गया था. दूसरी तरफ चार बार के विधायक रहे आनंद महतो के बेटे बबलू महतो माले के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. पिता और पुत्र ने खूब मेहनत की और उन्होंने भाजपा के वोट बैंक में से सेंधमारी की. इसका असर हुआ कि तारा देवी को वहां से हार का मुंह देखना पड़ा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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