रांची(RANCHI): अपने बयानों से लगातार हेमंत सरकार को घेरते रहे बोरिया विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने एक बार फिर से हेमंत सरकार के समक्ष संकट की स्थिति पैदा कर दी है. जिस तर्क को सामने रख हेमंत सरकार सम्मेद शिखर विवाद से भाजपा को पीछे हटने को मजबूर कर रही थी, बार-बार भाजपा को निशाने पर लेकर अपने को जैन धर्मालम्बियों का असली पैरोकार बता रही थी, अब वही तर्क हेमंत सरकार के गले की हड्डी बनती जा रही है, और यह सब कुछ हुआ है, उनके ही विधायक लोबिन हेम्ब्रम के बयानों और राजनीतिक गतिविधियों से.
हेमंत सरकार को घेरने में सफल होते दिख रहे हैं लोबिन हेम्ब्रम
यहां बता दें कि सम्मेद शिखर के मुद्दे पर हेमंत सरकार बार-बार यह कह रही थी कि इसे एक पर्यटक स्थल का दर्जा को भाजपा सरकार के द्वारा ही दिया गया था, हमने तो केन्द्र सरकार की अधिसूचना के बाद भी सम्मेद शिखर और उसके आस-पास के इलाके में कोई निर्माण कार्य का आदेश नहीं दिया है. हमारी सरकार ने तो जैन धर्मालम्बियों की भावनाओं को सदा आदर किया, यह तो भाजपा की सरकार को जिसके द्वारा जैन धर्मालंबियों के धार्मिक स्थलों को पर्यटक स्थल में तब्दील कर उनके भावनाओं को आहत किया जा रहा है.
लोबिन ने सवालों के आगे भुरभुरा कर गिर गया सम्मेद शिखर पर हेमंत का स्टैंड
लेकिन हेमंत सरकार का यह स्टैंड तब भुरभुरा कर गिर गया जब बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने यह कह कर सनसनी फैला दी कि यह कोई सम्मेद शिखर नहीं हमारा मरांग बुरु है. और हम आदिवासी मूलवासी इस पर अपना दावा नहीं छोड़ने वाले. उसके बाद शुरु हो गयी लोबिन हेम्ब्रम और हेमंत सरकार के बीच की भिड़ंत.
हेमंत सरकार को उसी के पिच पर आउट करने की जुगत में लोबिन
कहा जा सकता है कि लोबिन हेम्ब्रम ने हेमंत सोरेन की पूरी राजनीति को उन्ही के पिच आउट कर दिया है, जिस आदिवासी-मूलवासी की राजनीति करने का दावा हेमंत सोरेन और झामुमो करती रही है, लोबिन हेम्ब्रम के इस दावे के बाद झामुमो बचाव की मुद्रा में खड़ी हो गयी.
हेमंत सरकार के स्टैंड का विरोध भाजपा के द्वारा नहीं, आदिवासी-मूलवासी लोबिन हेम्ब्रम के द्वारा किया जा रहा है
इसका कारण है कि सामने कोई भाजपा नहीं, उन्ही का विधायक खड़ा है. और वह भी लोबिन हेम्ब्रम जिसने खतियान के सवाल पर हेमंत सोरेन को घेरते हुए कहा कि जब तक यह लागू नहीं होता, मैं अपना पैर अपने घर में नहीं रखूंगा. यहां यह याद रहे, तब तक हेमंत सोरेन कह रहे थें कि झारखंड में 1932 का खतियान लागू करना संभव नहीं है, यदि हमने कोशिश भी की तो यह कोर्ट में गिर जायेगा, लेकिन लोबिन हेम्ब्रम अपनी बात पर अड़ें रहें, अपनी ही सरकार को घरते रहें और आखिरकार हेमंत सोरेन को 1932 का खतियान की बात करनी पड़ी.
लोबिन हेम्ब्रम के खिलाफ दिल्ली में केस
अब यहां यह भी बता दें कि इस बीच जैन मुनियों पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में लोबिन हेम्ब्रम के खिलाफ कई स्थानों पर प्राथमिकी दर्ज करवानी की भी खबरें आ रही है. कहा जा रहा है कि दिल्ली में संजय जैन नामक व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज दर्ज कराया है. इससे पहले गोड्डा मुफस्सिल थाना और ललमटिया में भी विधायक लोबिन हेम्ब्रम के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है. इस मामले में दिल्ली के शिकायतकर्ता ने पुलिस को सबूत भी पेश किए हैं.
आदिवासी के महाजुटान में जैन मुनियों पर अभ्रद टिप्पणी का आरोप
लोबिन हेम्ब्रम पर आरोप है कि 10 जनवरी को गिरिडीह जिला के मधुबन स्थित थाना मैदान में आदिवासियों का महाजुटान हुआ था. इसी दौरान अपने संबोधन के दौरान लोबिन हेम्ब्रम ने जैन मुनियों पर अभद्र टिप्पणी की थी. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इन आरोपों से लोबिन हेम्ब्रम की राजनीति पर कोई नकारात्मक असर पड़ेगा, इसका जवाब होगा नहीं, बिल्कुल नहीं, क्योंकि लोबिन हेम्ब्रम जिस इलाके का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उस इलाके में जैन धर्मावलंबियों की कोई आबादी नहीं है, उल्टे उनके इस स्टैंड से आदिवासी मूलवासी समूहों के बीच लोबिन की छवि मजबूत हो रही है. लोबिन को आदिवासी मूलवासियों का रोबिन हुड माना जा रहा है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार, रांची
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