धनबाद(DHANBAD): बीसीसीएल के सीएमडी समीरन दत्ता बुधवार को सांसद पशुपतिनाथ सिंह के घर पहुंचे. वैसे तो घोषित रूप से यह औपचारिक मुलाकात थी लेकिन इसके पीछे की कहानी कुछ और है. भूली में अटल स्मृति उद्यान के शिलान्यास समारोह में सांसद पशुपतिनाथ सिंह को आमंत्रित नहीं किया गया था. इस कार्यक्रम में विधायक राज सिन्हा और सीएमडी ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी. इसके खिलाफ मंगलवार को सांसद समर्थकों ने रणधीर वर्मा चौक पर बीसीसीएल प्रबंधन का पुतला फूंका. बीसीसीएल इस कार्यक्रम का आयोजक था. सांसद को निमंत्रित नहीं करना सांसद समर्थकों को खूब खली. सांसद समर्थकों ने इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन के साथ-साथ सांसद का अपमान भी बताया. शिलापट्ट पर भी सांसद का नाम अंकित नहीं किया गया है. इस पर भी समर्थकों ने नाराजगी जताई. संभवत इसकी जानकारी मिलने के बाद बीसीसीएल ने अपनी भूल का सुधार किया.
बुधवार को सीएमडी पहुंचे सांसद आवास
बुधवार को सीएमडी खुद सांसद के आवास पहुंचे. ऑन रिकॉर्ड तो कहा गया है कि सीएमडी ने सांसद को पूरे वर्ष की गतिविधियों की जानकारी दी और कई जनहित कार्यों को पूरा करने का भरोसा दिया. अटल बिहारी वाजपेई के सम्मान में सरायढेला, स्टील गेट पर बाजपेई जी की एक आदमकद प्रतिमा लगाने पर भी बातचीत हुई. सीएमडी ने इस पर सहमति जताई, इसके अलावा कई सड़कों के निर्माण पर भी चर्चा हुई. सांसद ने कहा कि जनहित कार्यों में बीसीसीएल बढ़-चढ़कर हिस्सा ले. लेकिन भाजपा के लोग सीएमडी के इस मुलाकात को आमंत्रित नहीं किए जाने का भूल-सुधार के चश्मे से देख रहे हैं. बीसीसीएल धनबाद में कार्यक्रम करें और सांसद को आमंत्रित नहीं करें, यह लोग पचा नहीं पा रहे हैं. इसके पहले भी ग्रामीण विकास विभाग के विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने कार्यक्रम में सांसद को नहीं बुलाया था. इस पर सांसद ने उपायुक्त से नाराजगी व्यक्त की थी. उपायुक्त ने भी इसको गंभीरता से लिया और कार्यपालक अभियंता को शो कॉज किया था. उसके ठीक बाद बीसीसीएल ने भूली में शिलान्यास कार्यक्रम किया और सांसद को आमंत्रित नहीं किया.
सांसद समर्थकों ने मंगलवार को किया था पुतला दहन
अलबत्ता उस कार्यक्रम में धनबाद के विधायक राज सिन्हा आमंत्रित थे. सांसद तो इस पर कुछ नहीं बोले, लेकिन समर्थकों ने रणधीर वर्मा चौक पर पुतला दहन के दौरान सांसद के मन की बात कह डाली. नतीजा हुआ कि बीसीसीएल ने बैकफुट पर जाकर मामले को सुलझाना ही बेहतर समझा. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सांसद को आमंत्रित नहीं करना विशेषाधिकार हनन का पर्याप्त मामला है और अगर सांसद विशेषाधिकार हनन का मामला उठा देते हैं तो बीसीसीएल फेरे में पड़ सकती है. केंद्र में भाजपा की सरकार है और सांसद पशुपतिनाथ सिंह भाजपा के कद्दावर नेता हैं. तीन बार विधायक रहे और तीसरी बार सांसद के लिए चुने गए हैं. हालांकि सांसद ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन आगे देखने वाली बात यह होगी कि बीसीसीएल को उन्होंने अभयदान दे दिया है या मन की टीस अभी बनी हुई है.
रिपोर्ट: शांभवी के साथ संतोष, धनबाद
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