प्रोजेक्ट एलीफेंट का झारखंड के लिए क्या महत्व है,गज उत्सव में क्या हुए विचार-विमर्श, हाथियों के महत्व पर किसने क्या कहा


टीएनपी डेस्क(TNP DESK): भारत में हाथी बड़ी संख्या में रहते हैं. इनके संरक्षण को लेकर भारत सरकार हमेशा से चिंतित रही है. हाथियों का संरक्षण और संवर्धन भारत सरकार की एक प्रोजेक्ट के अंतर्गत आते हैं जिनके तहत अनेक तरह की योजनाएं चलती हैं. झारखंड का भी हाथियों से बड़ा नजदीकी रिश्ता रहा है.
असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में गज महोत्सव के दौरान हाथियों के संरक्षण पर विशेष बल दिया गया. भारत सरकार ने 30 साल पहले एलीफेंट प्रोजेक्ट नाम की योजना शुरू की थी. तीन दशक पूरा होने पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन काजीरंगा नेशनल पार्क में हुआ जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुईं.
झारखंड में बड़ी संख्या में हाथी रहते हैं. वन विभाग की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार इस प्रदेश में लगभग 700 हाथी हैं. वैसे पूरे देश में लगभग 27000 हाथी हैं. झारखंड में हाथी राजकीय पशु है. पशु को सरकार बहुत महत्व देती है. लगभग एक दशक पहले इस बात पर विचार हुआ था कि हाथियों के लिए एलिफेंट कॉरिडोर बनाने की जरूरत है. इसके अतिरिक्त हाथियों के लिए बंबू प्रोजेक्ट बनाए गए थे जिसके तहत 50 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे.
गज उत्सव में यह भी चर्चा हुई थी हाथियों को उनके क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में भोजन और जल का इंतजाम होना चाहिए ताकि वह भटक कर इधर-उधर नहीं जाएं. झारखंड में कई स्थानों पर अक्सर हाथी भोजन की तलाश में गांव में घुस आते हैं. इस दौरान वे तबाही भी मचाते हैं,फसलों का भी नुकसान करते हैं और गरीबों के घर भी उजाड़ देते हैं.
वैसे झारखंड सरकार यह घोषणा कर रखी है कि हाथियों के हमले से अगर किसी की मौत होती है तो उसे मुआवजा के तौर पर सरकार की ओर से 4 लाख रुपए दिए जाते हैं. पर सबसे बड़ी जरूरत यह महसूस की गई है कि हाथियों को उनके अपने आवासन क्षेत्र यानी जंगल में सुरक्षित रखने के लिए विशेष कार्य योजना बनाने की जरूरत है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में आयोजित गज उत्सव में कहा कि हाथियों को हमें अधिक से अधिक संरक्षित करना चाहिए.
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