धनबाद(DHANBAD): उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक प्रॉपर्टी डीलर नागालैंड से लाइसेंस बनवाने के आरोप में गिरफ्तार हुआ है. उसने पुलिस को बताया है कि जिस युवक ने उसे हथियार का लाइसेंस उपलब्ध कराया था, वह अब इस दुनिया में नहीं है. हालांकि पुलिस इस लाइसेंस के तार को जोड़ रही है. लाइसेंस बनवाने वाला गिरोह किन किन राज्यों में सक्रिय है ,इसकी भी जाँच हो रही है. नागालैंड में फर्जी पेपर पर हथियार का लाइसेंस बनवाने वाले कई गिरोह सक्रिय है. यह गिरोह आपसी साठगांठ से अलग-अलग प्रदेशों के लिए काम करते है. एक से दो लाख रूपए लेकर सारे फर्जी दस्तावेज खुद तैयार करते है. इसके लिए लाइसेंस लेने वाले को नागालैंड जाना भी नहीं पड़ता है. बिहार में भी इस तरह के मामले हाल के दिनों में पकड़ में आए थे.
कोयलांचल में भी संख्या कम नहीं है
कोयलांचल में भी नागालैंड से जारी लाइसेंस रखने वालों की संख्या कम नहीं है. नागालैंड के दीमापुर से लाइसेंस निर्गत होने के कई मामलों का खुलासा हुआ है. कोयलांचल के तथाकथित माफिया के "यूथ विंग" के साथ चलने वाले निजी सुरक्षा गार्डो के दल के लोगों के पास नागालैंड के लाइसेंस है या जम्मू कश्मीर के, इसकी जांच कभी नहीं होती. कोयलांचल में इसका प्रचलन खूब है. यह अलग बात है कि उत्तर प्रदेश में जिस तरह से जांच पड़ताल तेज और गहरी हुई है, उसकी जाँच नागालैंड से लाइसेंस बनवाने वाले गिरोह से जुड़कर धनबाद पहुंच जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं. धनबाद के कुछ वीआईपी लोगों के साथ जो सुरक्षा गार्ड चलते हैं ,उनके लाइसेंस की जांच क्या कभी की गई है ? फर्जी लाइसेंस पर हथियार रखने वाले अगर पकड़ में आते हैं तो क्या वीआईपी बने लोग सुरक्षित बच सकते है.? यह सब ऐसे सवाल हैं, जो आज की जरूरत बन गए है .
आखिर धनबाद में कितने प्राइवेट गनर हैं
सवाल तो यह भी है कि धनबाद में कितने प्राइवेट गनर हैं, इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध है क्या . कितने बाउंसर हैं, इसका भी कोई आंकड़ा उपलब्ध है क्या . जम्मू कश्मीर और नागालैंड से बने हथियारों के कितने लाइसेंस हैं, इसका भी कोई आंकड़ा है क्या . फायरिंग गैंग हाल के दिनों में जब से सक्रिय हुआ है, तब से प्राइवेट गनर रखने का प्रचलन भी बढ़ा है. यह बात अलग है कि अपनी सुरक्षा के लिए लोग यह सब करते हैं. प्राइवेट गनर और बॉडीगार्ड रखना दो चार साल पहले तक लोगों का शौक था लेकिन अब लाचारी बन गई है. सुरक्षा के लिए निजी संस्थानों के बाहर ,बैंकों का कैश ढोने वाले वाहनों पर ,कई लोगों के घरों के बाहर प्राइवेट गनर देखे जा सकते हैं. इन प्राइवेट गनर की पुलिसिया जांच होती भी है कि नहीं, यह कहना मुश्किल है. धनबाद कोयलांचल के कई दुकानों से लेकर बैंक, एटीएम या निजी कार्यालयों में गनर दिख जाते हैं, इनमें से कुछ किसी न किसी कंपनी के जरिए आते हैं तो कुछ निजी भी होते हैं.
गुमला पुलिस ने अभी हाल ही में धनबाद की भूली से एक को पकड़ा था
नियम के अनुसार इन सब की जांच होनी चाहिए लेकिन जांच होती नहीं है. बहुत से लोग 2 से 4 निजी बॉडीगार्ड लेकर घूमते दिख जाएंगे.यह बात भी सही है कि जब यह निजी बॉडीगार्ड सड़क पर चलते हैं तो अपने को किसी से कम नहीं समझते. इन प्राइवेट बॉडीगार्ड के पास पिस्टल से लेकर अन्य अत्याधुनिक हथियार होते हैं. आश्चर्य तो तब होता है कि संबंधित थानों को भी इन प्राइवेट बॉडी गार्डों की जानकारी नहीं होती . अभी हाल ही में गुमला पुलिस ने फर्जी लाइसेंस बनाने वाले धनबाद के रेशम बहादुर को गिरफ्तार कर इस मामले को लाइमलाइट में ला दिया था . सूत्र बताते हैं कि जो लोग प्राइवेट बॉडीगार्ड रखते हैं, हथियार के लाइसेंस किसी दूसरे के नाम से भी होते हैं लेकिन हथियार उनके पास होता है.यह भी कायदे -कानून का उलंघन बताया जाता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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