Tnp desk :- नये साल की पहली तारीख से ही जो सियासी पारा चढ़ा हुआ, इस सर्दी में जो बेचैनी, तड़प और अकुलाहट झारखंड के सियासी गलियारों में देखी गई. वैसे ही कुछ दिल्ली की इस सर्दी में भी है. क्योंकि, सीएम अरविंद केजरीवाल के सामने भी यही ईडी का चक्कर औऱ समन बार-बार संकट खड़ा कर रहा है. उनकी आगे की राह में कांटीले तार बिछा रहा है. शराब नीति मामले में उनकी फजीहत तो ही ही रही है. साथ ही उन्हें न आगे औऱ न पीछे ही कुछ सूझ रही है.
जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ करना चाहती है. लेकिन, राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन सात बार समन भेजन के बाद भी पेश नहीं हुए. उनकी न नुकुर और कानूनी दांव-पेंच भी अब किनारे हो गयी. मौजूद हालत में सोरेन अपनी सियासी जिंदगी में बड़े इम्तहान और चुनौतियों के अग्निपथ से गुजर रहे हैं. जिसे चुनावी वर्ष में पार पाना एक बड़ी चुनौती बनकर आया है.
कयासों के बाजार में दिल्ली औऱ झारखंड के मुख्यमंत्री की चर्चा उफान पर है. तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं, और तरह-तरह के बे-सिर पैर के जवाब भी सुनाई पड़ रहे हैं. आम आवाम की बेकरारी बस यही है कि आगे क्या होगा ?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं तैयार
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तो ईडी की चुनौती को हर तरह से मुकाबला करने के लिए तैयार है, बुधवार को ही विधायक दल की बैठक में जेएमएम के साथ-साथ कांग्रेस और राजद भी उनके साथ खड़ी दिखाई पड़ी औऱ जांच एजेंसी से मिलने वाली हर चुनौती का जवाब देने की ठानी . सभी ने हेमंत के साथ खड़े होने का एतबार जताया औऱ हर मुसबितों को मिलकर पार करने की हामी भरी. इस मीटिंग में एक बात जरुर देखी गई, कि अगर कुछ गड़बड़ होता है, तो फिर उनका प्लान बी काम करेगा. यानि 1 जनवरी को गांडेय से जेएमएम विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे के बाद, उनकी खाली सीट पर कोई चुनाव लड़ सकता है. चाहे पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन हो या फिर वाइफ कल्पना हो. एक बात तो साफ हो गयी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हर सकंट और चुनौतियों से मुठभेड़ करने के लिए तैयार है. वो पीछे हटने वाले नहीं, चाहे उन्हें इस्तीफा ही देना क्यों न पड़ जाए.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं तैयार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शराब नीति मामले में ईडी के समन पर बुधवार को पेश नहीं हुए. उनकी नजर ये गैरकानूनी है और इसका आधार ही नहीं है. इसके लेकर उन्होंने पत्र के जरिए जवाब अपनी व्यस्तता का हवाला दिया. आप पार्टी भी इसे लेकर हमलावर रुख अपनाये हुए है. वह बोल रही है कि ईडी लोकसभा चुनाव के प्रचार को रोकना चाहती है. इसलिए, केजरीवाल के गिरफ्तारी की साजिश रची जा रही है. ये सबकुछ बीजेपी के इशारे पर जांच एजेंसी काम कर रही है. पिछले घटनाक्रम पर गौर फरमाए तो केजरीवाल को कही न कही गिरफ्तारी का डर सता रहा है. वे जानते-समझते है कि उनके पुराने साथी और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शराब घोटाले में ही जेल की हवा खा रहे हैं. राज्यसभा सांसद संजय सिंह और स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जेन की जिंदगी भी सालाखों के पीछे ही कट रही है.
हेमंत-केजरीवाल पत्र के जरिए ईडी को दे रहें जवाब
झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्री ईडी संकट का जवाब पत्र के जरिए दे रहे हैं. ईडी की नोटिस के जवाब में दिल्ली के मुख्यमत्री ने लिखा है कि दिल्ली में राज्यसभा चुनाव है और इसके बाद गणतंत्र दिवस के कई कार्यक्रमों में व्यस्त हैं. आप नेता भी लगातार इस समन को गैरकानूनी बोल रहें है. इनका पूछना है कि अरविंद केजरीवाल को ईडी आरोपी या फिर गवाह के तौर पर बुला रही है. अभी तक साफ नहीं किया है. ये सब खेल राजनीति से प्रेरित है.
इधर, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी के सात समन का जवाब पत्र के जरिए ही दे रहें है. सातवें समन में भी सीएम सोरेन ने खत लिखकर इसका जवाब दिया और गैरकानूनी ठहराया. वे लिखकर तोहमते लगातें हैं कि जांच एजेंसी मीडिया ट्रायल चला रही है, क्योंकि समन मिलने से पहले इसकी खबर मीडिया को दे जाती है. इसके जरिए उनकी राजनीतिक छवि को धूमिल और राज्य को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है.
कुछ दिनों के बाद लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो जाएगा. इस बीच दिल्ली औऱ झारखंड की राजनीति में उबाल बना रहेगा. आगे जांच एजेंसी का रुख झारखंड और दिल्ली मे क्या होता है. इस पर आम आवाम की नजर बनीं रहेगी. सबसे ज्यादा निगाहे गिरफ्तारी को लेकर है. क्योंकि, अगर सीएम केजरीवाल औऱ हेमंत सोरेन सलाखों के पीछे जाते हैं, तो सियासत में बिन बुलाए एक तूफान और बवंडर आएगा. जो बहुत कुछ राजनीति की दश-दिशा बदलेगा.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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