धनबाद(DHANBAD): उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से जब किशोरी लाल शर्मा के नाम की घोषणा हुई, तो सभी आश्चर्यचकित हुए. यह बात भी उठने लगी कि स्मृति ईरानी को कांग्रेस ने वाक ओवर दे दिया है. लेकिन यह कांग्रेस की सोची - समझी रणनीति थी और उस रणनीति में कांग्रेस पूरी तरह से कामयाब रही. स्मृति ईरानी तो किशोरी लाल शर्मा के हाथों पराजित हो गई. इस रिजल्ट ने सबको चौंकाया भी. फिर चर्चा शुरू हुई कि रायबरेली और वायनाड से राहुल गांधी अगर चुनाव जीत जाते हैं, तो किस सीट को अपने पास रखेंगे. 2019 में भी राहुल गांधी अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ा था. लेकिन अमेठी से हार गए और वायनाड ने उनकी इज्जत बचा ली. इस बार भी वह अमेठी के बजाय रायबरेली और वायनाड से चुनाव लड़े, लेकिन इस बार की परिस्थितिया कुछ अलग थी. रायबरेली सीट को ही राहुल गांधी ने रखने का निर्णय लिया है और वायनाड सीट छोड़ देंगे.
लगता है सबकुछ पहले से फिक्स था
अब ऐसा लगने लगा है कि यह पहले से ही निर्णय था कि जिस सीट को राहुल गांधी छोड़ेंगे, वहां से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी. प्रियंका गांधी पहली बार चुनावी राजनीति में कूद रही है. इसके पहले उन्होंने चुनाव लड़वाया जरूर था ,लेकिन खुद चुनाव कभी नहीं लड़ी. लेकिन इस बार कांग्रेस उत्साहित है और वायनाड सीट से प्रियंका गांधी अब चुनाव लड़ेंगी. प्रियंका गांधी कांग्रेस में अभी तक संगठन का काम करती रही है. वह कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य भी है. लगभग डेढ़ दशक तक सक्रिय राजनीति में आने से बचती रही, लेकिन अब वह सक्रिय राजनीति में उतर रही है. उन्हें वायनाड से कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित किया गया है. लोकसभा चुनाव लड़ने वाली गांधी परिवार की प्रियंका गाँधी दसवीं सदस्य होंगी. इसके पहले जवाहरलाल नेहरू ,इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, सोनिया गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी, मेनका गांधी, राहुल गांधी और वरुण गांधी लोकसभा चुनाव लड़ चुके है.
अब चुनावी राजनीति में उतर रही प्रियंका गाँधी
लेकिन अब प्रियंका गांधी चुनावी राजनीति में उतर रही है. प्रियंका गांधी भीड़ से कनेक्ट करने की तरकीब जानती है. लोगों से सीधा संवाद करने में सक्षम है. 2024 के लोकसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपनी बातों को इस ढंग से रखा कि लोग भी उनसे सहमत दिखे. अपनी दादी इंदिरा गांधी से लेकर पिता राजीव गांधी तक की चर्चा कर लोगों को यह विश्वास दिलाया कि रायबरेली और अमेठी के लोगों से गांधी परिवार का रिश्ता कभी टूट ही नहीं सकता है. परिणाम हुआ कि स्मृति ईरानी जैसी कद्दावर नेता किशोरी लाल शर्मा के हाथों पराजित हो गई. यह अलग बात है की स्मृति ईरानी, किशोरी लाल शर्मा के नाम की घोषणा होने से पहले राहुल गांधी को ललकारती रही. लेकिन कांग्रेस की जो रणनीति थी, उसके तहत राहुल गांधी स्मृति ईरानी के ललकार में नहीं आए और अमेठी के बजाय उन्होंने रायबरेली को चुना.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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