रांची(RANCHI): झारखंड में जमीन घोटाले से अब नौकरी घोटाले तक ईडी पहुँच गई है. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ के दौरान ईडी को एक व्हाट्सअप चैट हाथ लगा है. इसे लेकर अब आर्किटेक विनोद सिंह को ईडी ने तलब किया है. विनोद सिंह से हेमंत के साथ संबंध और चैट से संबंधित पूछताछ होनी है. संभवत हेमंत और विनोद को आमने सामने बैठा कर ईडी सवाल जवाब कर सकती है. साथ ही विनोद के मोबाईल को भी ईडी खंगालेगी. इससे साफ है कि विनोद के साथ साथ हेमंत और भी मुश्किल में पड़ सकते हैं. बता दे कि कथित जमीन घोटाले मामले में 31 जनवरी को ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया है. इसके बाद कोर्ट में पेशी हुई और फिर रिमांड पर लेकर लगातार पूछताछ जारी है. पहली बार कोर्ट की ओर से पाँच दिनों की रिमांड ईडी को दी गई. बाद में फिर से कोर्ट में पेशी के बाद पाँच दिनों की रिमांड मिली है. रिमांड पर लेने के बाद सातवें दिन भी ईडी दफ्तर में पूछताछ जारी है. पूछताछ के बीच में कई लोगों को ईडी दफ्तर तलब कर पूछताछ की कड़ी को आगे बढ़ा रही है.
ईडी के पास 539 पेज के वॉट्सएप चैट के सबूत
इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए कोर्ट में हेमंत सोरेन और आर्किटेक्ट विनोद सिंह के बीच 539 पेज के वॉट्सएप चैट होने का दावा किया है. इसके कुछ पेज कोर्ट में भी पेश किए. यह चैट ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर लेन-देन से संबंधित है. कई गोपनीय सूचनाएं भी हैं. ईडी ने अपने रिमांड पिटीशन में कहा है कि जिस मोबाइल से विनोद सिंह और हेमंत के बीच चैटिंग हुई है, वह मोबाइल पेश करने के लिए कहा था, लेकिन पूर्व सीएम ने वह मोबाइल ईडी को नहीं दिया.
हेमंत के करीबी विनोद सिंह के पास मिले एडमिट कार्ड
केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोर्ट में कहा है कि हेमंत के करीबी विनोद सिंह के पास जेएसएससी परीक्षा में शामिल होने वाले कई अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड भी मिले हैं. ईडी जेएसएससी पेपर लीक में एडमिट कार्ड के विनोद सिंह के पास से मिलने को काफी गंभीर मान रही है. जांच एजेंसी ने कहा कि विनोद ने डीसी की पोस्टिंग के लिए भी पैरवी की थी.
अधर में झारखंड के युवाओं का भविष्य
जेएसएससी सीजीएल परीक्षा पेपर लीक होने के बाद राज्य के युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है. क्योंकि अब इस मामले की जांच ईडी कर रही है. जब तक जांच पूरी नहीं होती है तब तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सकता है. ऐसे में युवाओं को सिर्फ इंतजार ही करना पड़ेगा. लेकिन उन्हें अभी से अपनी भविष्य की चिंता सता रही है. बता दें कि झारखंड में जब भी किसी विभाग का वैकेंसी निकलता है और जब इसकी परीक्षा होती है परिणाम आने से पहले ही कांड हो जाता है और बाद में मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है. राज्य में हर वर्ष लाखों अभ्यर्थी नौकरी पाने के लिए फॉर्म भरते हैं लेकिन उसका रिजल्ट आने से पहले ही अदालत में चला जाता है. कुल मिलाकर कहा जाए कि पारदर्शिता नहीं होने की वजह से युवाओं को नौकरी नहीं मिलती है. हर जगह भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है.
खुलासे के बाद बाबूलाल ने भी हेमंत को घेरा
इस मामले पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सोरेन को घेरा है. उन्होंने कहा कि मैं शुरू से कह रहा था इतना बड़ा पेपर लीक का घोटाला ऊपर की संलिप्तता के बगैर नहीं हो सकता है. यह बातें मैंने अपने अनुमान के आधार पर कहा था, लेकिन आज ईडी ने हेमंत सोरेन की रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए 12 पन्नों की जो जानकारी कोर्ट में दी है, उसमें लिखा गया है कि हेमंत के करीबी आर्किटेक्ट विनोद सिंह के मोबाइल और घर से छात्रों की बड़ी संख्या में एडमिट कार्ड बरामद हुए हैं, जिन्हें पैसे लेकर बहाल किया जाना था. बाबूलाल मरांडी ने आगे कहा, ‘विनोद सिंह कौन है, ये सभी जानते हैं. देश-विदेश की सपरिवार यात्रा में ये हेमंत सोरेन के साथ साये की तरह चलता है. अब पता चला है कि हेमंत सोरेन ने दलाल विनोद के साथ मिलकर ज़मीन तो लूटा ही साथ ही मारभात खाकर नौकरी की तैयारी करने वाले गरीब बेरोज़गार इन छात्रों को भी लूट लिया है. इससे बेशर्मी क्या हो सकती है कि कोयला, लोहा, पत्थर, बालू, जमीन बेचने वाले हेमंत ने गरीबों की नौकरी बेचने का भी काम कर दिया.
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