गोड्डा: सालों से कठौंन हॉल्ट पर ट्रेन ठहराव की मांग कर रहे ग्रामीण, आज भी है सरकार की नज़र-ए-इनायत का इंतजार


गोड्डा (GODDA): 74 वर्षों बाद गोड्डा जिला रेलवे की मानचित्र पर चढ़ा ,लोगों को उम्मीद जगी कि अब रेल यात्रा सुलभ हो जाएगी .इसी कड़ी में गोड्डा रेलवे स्टेशन से तो सवारी गाड़ियों का परिचालन आरंभ हो गया जहां लोगों को सुविधाएं मिलने लगी . कुछ ऐसी ही उम्मीदें गोड्डा रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर पूर्व कठौंन में ग्रामीणों द्वारा दी गयी जमीन पर कठौंन हॉल्ट का भी निर्माण कार्य करवाया गया था .इस गाँव के अलावे कई गांवों के ग्रामीणों में इस बात को लेकर ख़ुशी थी कि अब यहाँ से वे भी ट्रेनों का सफ़र तय कर सकेंगे ,मगर आज तक यहाँ ट्रेनों का ठहराव शुरू नही हो पाया जिससे ग्रामीणों में मायूशी के साथ आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है .
स्टेशन का भवन बनकर पूरी तरह है तैयार ,सिर्फ मानव संसाधन की जरुरत
ऐसा नही कि रेलवे को अतिरिक्त खर्च करके यहाँ कोई निर्माण कार्य कराना पड़ेगा .प्लेटफार्म बनकर तैयार है ,कार्यालय सम्बंधित भवन भी तैयार है .प्लेटफार्म पर पेयजल की भी व्यवस्था कराई जा चुकी है .बस जरुरत है यहाँ कुछ आवश्यक कर्मियों की जो स्टेशन से ट्रेनों के आवागमन का संचालन कर सकें .
पिछले माह भी आन्दोलन की हुई थी घोषणा ,प्रशासन ने बरती थी सख्ती
पिछले महीने में जब गोड्डा स्टेशन से टाटानगर की ट्रेन का उद्घाटन कार्यक्रम था उसके पूर्व ही यहाँ ग्रामीणों ने ट्रेन रोके जाने को लेकर आन्दोलन का मन बनाया था मगर रेलवे के आश्वासन और प्रशासनिक दबाव की वजह से उन्होंने आन्दोलन को स्थगित किया था .मगर एक माह बीत जाने के बावजूद कोई पहल रेलवे द्वारा नहीं किये जाने के बाद एक बार फिर यहाँ के स्थानीय लोग आन्दोलन का मन बना रहे हैं .उनका कहना था कि आगामी 12 नवम्बर को फिर एक नयी ट्रेन सियालदह के लिए खुलने वाली है ,अगर उस दिन मंच से कठौंन हॉल्ट पर ट्रेन ठहराव की अधिकारिक घोषणा तिथि के साथ नही की जाती तो मजबूरन आन्दोलन को बाध्य होना पड़ेगा .
ग्रामीणों को इस लिए भी उम्मीद बढ़ी हुई थी कि पिछले माह के आन्दोलन के वक्त न सिर्फ सांसद निशिकांत दुबे बल्कि drm ने भी इन्हें आश्वस्त किया था साथ ही स्थानीय विधायक प्रदीप यादव ने भी इनकी मांगों को जायज बताया था .
अब देखना दिलचस्प होगा कि 12 तारीख को गोड्डा स्टेशन पर नई ट्रेन के उद्घाटन के वक्त कठौंन हॉल्ट पर ठहराव की घोषणा होती है या फिर ग्रामीण आन्दोलन करने को बाध्य होते हैं.
रिपोर्ट : अजीत सिंह, गोड्डा
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