दुमका(DUMKA): जिला में लगातार विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो रही है. हाल के कुछ घटना क्रम पर गौर करें तो 19 फरवरी को शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में कोल कंपनी के लिए सर्वे करने गांव पहुचीं टीम को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया. 20 फरवरी को शिकारीपाड़ा क्षेत्र में ही प्रशिक्षु आइएएस सहित कई अधिकारियों को ग्रामीणों ने घंटों अपने कब्जे में रखा और लिखित बांड भरने के बाद छोड़ा. 21 फरवरी को जरमुंडी थाना का एक दारोगा रिश्वत लेते एसीबी की जाल में फंस गया. हद तो 22 फरवरी को हो गयी जब जमीन विवाद सुलझाने तालझारी थाना के खजुरिया गांव पहुचीं पुलिस टीम पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया. जिसमें आधा दर्जन पुलिस कर्मी घायल हो गए.
जानकारी के अनुसार जरमुंडी प्रखंड के तालझारी थाना क्षेत्र के खजुरिया गांव में दो पक्ष में चल रहे जमीन विवाद सुलझाने गयी पुलिस पदाधिकारियों व जवानों को ग्रामीणों के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा. ग्रामीणों ने पुलिस कर्मियों पर पथराव कर दिया, जिसमें जरमुंडी थाना के एएसआई बमशंकर सिंह का सिर फट गया. इसके साथ ही एएसआई केके दुबे, सिपाही राजेंद्र हांसदा, रामदेव सिंह, देवेंद्र मरांडी, जयधन हांसदा एवं जय कुंवर घायल हो गए. सभी घायलों का प्राथमिक उपचार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जरमुंडी में किया गया.
घटना के बारे में बताया जा रहा है कि खजुरिया गांव में जमीन विवाद को सुलझाने के लिए तालझारी थाना पुलिस पहुंची थी. इस दौरान ग्रामीण उग्र हो गए एवं पुलिस बल के साथ दुर्व्यवहार कर उन्हें खदेड़ दिया. मामले को लेकर तालझारी थाना के पुलिस पदाधिकारी ने जरमुंडी एसडीपीओ संतोष कुमार एवं वरीय पदाधिकारी को सूचित किया. जरमुंडी एसडीपीओ संतोष कुमार, जरमुंडी थाना के पुलिस पदाधिकारी व जवान के साथ खजुरिया गांव पहुंचे. पुलिस बल के गांव पहुंचते ही एकाएक ग्रामीण फ़िर से उग्र हो गए एवं पथराव करने लगे. ग्रामीणों द्वारा किए गए पथराव में पुलिस पदाधिकारी व पुलिसकर्मी घायल हो गए. मामले की जानकारी जिले के वरीय पदाधिकारी को मिलने पर देर रात दुमका एसडीओ कौशल किशोर, प्रशिक्षु आईएएस सहित कई अधिकारी गांव पहुचे. गांव में कैम्प कर ग्रामीणों को समझा बुझा कर मामला शांत कराया. स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताई जा रही है.
यहां एक सवाल जरूर खड़ा होता है कि आखिर पुलिस के प्रति ग्रामीण इतने उग्र क्यों हुए. सूत्रों की माने तो इस मामले को लेकर कल ही एक पक्ष थाना गया था, लेकिन थाना स्तर से मामले पर ध्यान नहीं दिया गया, साथ ही पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगा जिसकी परिणति सामने आ गयी.
माना जाता है कि एक थाना प्रभारी अपने थाना क्षेत्र का अभिभावक होता है. परिवार में अभिभावक की जो भूमिका होती है वही भूमिका थाना प्रभारी की मानी जाती है. लेकिन दुमका जिला का हाल ही कुछ दूसरा है. दरअसल लोक सभा चुनाव के मद्देनजर बड़े पैमाने पर पुलिस पदाधिकारियों का तबादला हो गया. जाने वाले पुलिस पदाधिकारी जिला से रिलीज कर दिए गए, आने वालों ने योगदान भी कर लिया है. लेकिन जिला स्तर पर थाना प्रभारी का नोटिफिकेशन नहीं हो पाया है. अगर सभी थाना को नोटिफ़ाइड थाना प्रभारी मिल जाए तो निश्चित रूप से इस तरह की घटना पर अंकुश लगेगा.
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