धनबाद (DHANBAD) : कोयला चोरी के धंधे में भी शोषण, यह शोषण भी ऐसा की महाजनी व्यवस्था भी इसके आगे फीकी पड़ जाए. जी हां, जान जोखिम में डालकर कोयला काटने, हर चौक-चौराहों पर जवानों को चढ़ावा देने, कभी कभी पुलिस की लाठी खाने के बाद भी साइकिल अथवा बाइक, अब तो स्कूटी भी शामिल है, ढोने वाले को एक किलो कोयले का कीमत मिलती है केवल 3. 5 0 रुपये. यानी अगर खून पसीना बहा कर कोयला ढोने वाले 200 किलो भी कोयला ढो सकते हो तो उन्हें 700 रूपय से अधिक नहीं मिलता है एक दिन में तो वह एक ट्रिप से अधिक कर भी नहीं सकते है. यह काम भी डंके की चोट पर बिना किसी विघ्न बाधा, बगैर किसी डर के कोयलांचल के हर इलाकों में खुलेआम हो रहा है. हर इलाके में खुलेआम कोयले का अवैध डिपो चल रहा है.
ऑफिस खोलकर होता है भुगतान
डिपो में टेंट लगाकर और बैठने की व्यवस्था कर अवैध कारोबारियों के लोग मूछ पर ताव देते हुए धंधा चला रहे है. साइकिल या मोटरसाइकिल से डिपो में लाए जा रहे कोयले का वजन करा कर उन्हें पर्ची दे रहे है. पर्ची में कोयला तस्कर का नाम, दिनांक कोयले का वजन और प्रति किलो साडे तीन रुपये की दर से पूरी राशि लिखी होती है. कोयला ढोने वाले पर्ची लेकर बगल में ही धंधे बाजों के कार्यालय में जाते हैं. जहां पर्ची देने के बाद कोयला ढोने वालों को राशि का भुगतान कर दिया जाता है. रात को तो बड़ी-बड़ी गाड़ियों से कोयला गिराया जाता है. यह काम बेधड़क चल रहा है. जमा कोयले को बड़ी गाड़ियों से बाईपास के रास्ते अन्य जगहों पर भेज दिया जाता है. यह काम निरंतर जारी है और इस पर कोई रोक टोक नहीं है.
14 से 15 हजार रुपए प्रति टन की दर से बाजार में बिकता है कोयला
यह कोयला प्रति टन 14 से 15 हजार रुपए की दर से बाजार में बिक रहा है. मतलब है कि कोयला तस्करों ने कोयला ढोने वाले को एक टन का भुगतान किया है 3500 और बेच रहे हैं14 से ₹15000 प्रति टन. यह अलग बात है कि यह पूरी कमाई कोयला तस्करों की जेब में नहीं जाती है. इसके कई हिस्सेदार हैं और हिस्सेदारी बांटने में पूरी ईमानदारी बरती जाती है. जिसका जितना हिस्सा है, वहां इमानदारी पूर्वक पहुंचा दिया जाता है. सूत्र बताते हैं कि कई आउटसोर्सिंग कंपनियों की रात भर की रेजिंग कोयला डिपो में गिरता है. उसकी दर भी थोड़ी अधिक है और उस कोयले की गुणवत्ता भी स्टील ग्रेड की होती है. इसलिए उसका कीमत भी बाजार में अधिक मिलता है. संभवत यही वजह है कि बिना पूजी पगहा के यह धंधा लोगों को लखपति से करोड़पति बना रहा है. गोलियां चलवा रहा है, हत्याएं करवा रहा है.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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