धनबाद(DHANBAD): जिनके खातों में अस्सी हजार से लेकर तीन लाख के बीच तनख्वाह जाता हो, अगर उनके अकाउंट में मात्र ₹1 पहुंचे तो खोज खबर तो लोग लेंगे ही. ऐसा ही कुछ मामला कोल इंडिया के सभी अनुषंगी कंपनियों में सामने आया है. दरअसल कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों में यह व्यवस्था बनाई जा रही है कि हर महीने की 2 तारीख को तनख्वाह की राशि बैंक अकाउंट में पहुंच जाए. इसके लिए एक सिस्टम डेवलप किया गया है. सिस्टम अभी प्रारंभिक दौर में है. इसकी जांच के लिए हरेक कोयला कर्मियों के खाते में ₹1 भेजकर यह पता लगाया जा रहा है कि पैसा सही-सही पहुंच रहा है अथवा नहीं. नई व्यवस्था के तहत कोल इंडिया की जितनी भी अनुषंगी इकाइयां है, उन्हें यह सिस्टम लागू किया जाना है. अगले महीने तक इस सिस्टम की फुलप्रूफ व्यवस्था कर लिए जाने का निर्देश है. ऐसे में कोयला कर्मियों और अधिकारियों के खाते में ₹1 भेज कर मुख्यालय से लेकर एरिया स्तर पर रिपोर्ट कलेक्ट किया जा रहा है कि किन किन के खातों में पैसा पहुंचा और किन-किन के खातों में पैसा नहीं पहुंचा है. अभी तक कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियां अपनी सुविधा के अनुसार तनख्वाह की तिथि करती थी.
शुरू हो रहा है सेंटरलाइज सिस्टम
सेंट्रलाइज व्यवस्था नहीं थी और न सेंट्रलाइज कोई तिथि तय की गई थी. लेकिन अब यह तय हो गया है कि हर महीने की 2 तारीख को हर हाल में तनख्वाह पाने वालों के बैंक अकाउंट में पहुंच जाए. इसके लिए प्रयास पहले से ही चल रहे हैं, अब अमलीजामा पहनाने का समय आ गया है. यह बात अलग है कि इसके पहले कोयला कंपनियां फंड की सुविधा के अनुसार सैलरी की तिथि तय करती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा. हालांकि नगदी भुगतान की व्यवस्था तो पहले से ही बंद है, सब जगह बैंक अकाउंट में ही पैसे पहले से भेजे जाते रहे हैं. लेकिन यह सिस्टम एक तिथि को सभी कंपनियों में भुगतान के लिए तय किया गया है. इसके साथ ही और कई व्यवस्थाएं लागू की जाएंगी. जिससे फांकी मारने वालों पर अंकुश लगाया जा सकेगा. अगर धनबाद के बीसीसीएल और इसी एल की बात की जाए तो यहां कोयला मजदूरों पर सूदखोरों की व्यवस्था काम करती है. अशिक्षित होने के कारण कोयला मजदूर अनावश्यक खर्चों के लिए महाजनों से सूद पर पैसा लेते हैं और उसके बाद तो यह महाजन रूपी सूदखोर उन्हें उनका बूंद बूंद खून चूसते हैं.
सूदखोर करते है मनमानी
कई मामलों में तो देखा गया है कि कोयला कर्मियों की एटीएम सहित चेक बुक तक सूदखोर अपने पास रख लेते हैं. और फिर अपनी मर्जी के हिसाब से पैसे की निकासी करते हैं. तनख्वाह मिलने के बाद कुछ राशि कोयला मजदूरों को दे देते हैं और फिर उन्हें इस हाल में छोड़ देते हैं कि पैसा लेने के लिए फिर उनके पास पहुंचे और उनकी मनमानी चलती रहे. कोयलांचल के बैंकों के बाहर ऐसे सूदखोर आपको दिख जाएंगे. सूदखोरी को यहां व्यवसाय बना लिया गया है. एक जमाना था जब साइकिल पर काबली वाले चलते थे. वह लोगों को सूद पर पैसा बांटते थे और वसूली करते थे. वह तो अब नहीं दिखते लेकिन उनका काम अब दबंग लोग करते हैं और कोयला मजदूरों का बूंद बूंद खून चूसते हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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