धनबाद(DHANBAD): टाइगर जगरनाथ महतो पंचतत्व में विलीन हो गए. शुक्रवार को उनकी शवयात्रा में उमड़ी भीड़ यह साबित कर रही थी कि लोगों के दिल में उनके लिए कितनी जगह थी. विधायक महेंद्र सिंह की हत्या के बाद इसी तरह उनकी शव यात्रा में भीड़ उमड़ी थी. क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, क्या महिलाएं, सभी की आंखों में आंसू छलक रहे थे. महेंद्र सिंह को गोली मारने वालों को सभी कोस रहे थे. लगभग उसी तरह की या उससे अधिक भीड़ टाइगर की शव यात्रा में दिखी. बच्चे ,बूढ़े, महिलाएं सभी उनके निधन की खबर से मर्माहत थे. चारो ओर मातमी चीख -पुकार मची हुई थी. मुख्यमंत्री भी उनकी शव यात्रा में शामिल हुए. उनके परिवार को ढाढस बधाया , भरोसा दिलाया कि वह हमेशा उनके साथ हर मौकों पर खड़े मिलेंगे.
2016 में दर्ज हुआ था गैर इरादतन हत्या का मुक़दमा
वैसे, जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में घोषित स्थानीय नीति का वह प्रबल विरोधी थे और 1932 के प्रबल समर्थक , रघुवर सरकार के स्थानीय नीति के खिलाफ उनके नेतृत्व में एक मशाल जुलूस निकला था. कथित रूप से मशाल जुलूस के धुंए से नावाडीह थाना के तत्कालीन थानेदार की मौत हो गई थी. उस मौत पर जगरनाथ महतो सहित अन्य पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में 3 माह से अधिक समय तक जगरनाथ महतो को जेल में रहना पड़ा था. विधायक जगरनाथ महतो कम से कम उत्तरी छोटानागपुर में झारखंड मुक्ति मोर्चा के बिनोद बिहारी महतो, टेकलाल महतो, शिवा महतो जैसे कद्दावर नेताओं की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया. इसके अगुआ भी रहे, उनके निधन से झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी कई मोर्चों पर राजनीतिक संकट झेलना होगा. डुमरी विधानसभा सीट भी जीतना झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए जरूरी होगा, क्योंकि हो सकता है कि इस क्षेत्र में आजसू की सक्रियता और तेज हो जाये.
डुमरी में आजसू ही जगरनाथ महतो के सामने था खड़ा
डुमरी में आजसू ही जगरनाथ महतो के सामने खड़ा दिखता था. जगरनाथ महतो के निधन के बाद आजसू अपनी ताकत बटोर कर एक बार अपना परचम लहराने की कोशिश कर सकता है. गिरिडीह संसदीय क्षेत्र तो आजसू के पास पहले से ही है. हो सकता है कि एनडीए गठबंधन में आजसू डुमरी विधानसभा सीट पर भी दावा ठोके. डुमरी विधानसभा क्षेत्र का हर इलाका यह गवाही देता है कि जगरनाथ महतो ने अपनी संघर्ष से इस इलाके को सींचा है. देखना है आगे होने वाले उपचुनाव में उनके परिवार के किसी व्यक्ति को टिकट मिलता है अथवा कोई और उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा ता है. हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा का परिपक्व नेतृत्व निर्णय करने के पहले बहुत सोचेगा, क्योंकि उनके के संघर्ष का लाभ झारखंड मुक्ति मोर्चा फिर से लेने की कोशिश जरूर करेगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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