धनबाद(DHANBAD): वैसे तो बुधवार से बीसीसीएल में संचालित आउटसोर्सिंग कंपनियों की सुरक्षा ऑडिट शुरू हो गई है. लेकिन यह काम क्या इतना आसानी से हो पाएगा. आउटसोर्सिंग कंपनियों में दबंगों का हस्तक्षेप इसमें सबसे बड़ा बाधा बन सकता है. कई आउटसोर्सिंग कंपनियों में ऐसे ही दबंग 'मुखौटा' बने हुए है. बाहर में यह लाइजनिंग अफसर के नाम से चर्चित है. यह लोग इलाके के ताकतवर और दबंग लोग होते है. आउटसोर्सिंग कंपनियों को सुरक्षा देने के एवज में पैसे वसूलते है. कई में तो इनकी अप्रत्यक्ष भागीदारी भी होती है. इधर, जिला प्रशासन के दबाव पर ही सही, बीसीसीएल ने सुरक्षा ऑडिट शुरू कर दी है. सुरक्षा ऑडिट की टीम रिकमेंडेशन करेंगी लेकिन उनका इंप्लीमेंटेशन कितना सफल होगा, यह तो देखने वाली बात होगी. जानकारी के अनुसार एनआईटी की शर्तों के अनुपालन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा ऑडिट का काम किया जा रहा है.
एनआईटी के शर्तो को लागू किया गया तो बहुत कुछ बदल जाएगा
लोग बताते हैं कि एनआईटी के शर्तो को अगर जमीन पर कड़ाई से लागू कर दिया जाए, तो बहुत सारी आउटसोर्सिंग कंपनियों बोरिया -बिस्तर बंद कर सकती है. अभी तक तो नियमो को दरकिनार कर ही काम चल रहा है. एक तरफ से कोयलांचल में संचालित भारत कोकिंग कोल लिमिटेड पूरी तरह से आउटसोर्सिंग कंपनियों के भरोसे चल रही है. कार्य आवंटन से लेकर उत्पादित कोयले की प्राप्ति तक कई तरह के खेल होते है. उत्पादन में लगे वाहन में डीजल से लेकर कोयला काटने वालों तक में खेल ही खेल है. वैसे, जमीनी रूप से सुरक्षा ऑडिट में आउटसोर्सिंग कंपनियों ने सुरक्षा की क्या व्यवस्था कर रखी है, इसकी जांच हो रही है. हर आउटसोर्सिंग पैच की अलग अलग रिपोर्ट तैयार की जाएगी. वैसे, तो कानून- व्यवस्था बनाए रखना सीआईएसएफ और जिला पुलिस की जिम्मेवारी होगी लेकिन जो व्यवस्थाएं शर्तो के अनुसार आउटसोर्सिंग कंपनियों को करनी है, उन की जांच पड़ताल की जा रही है. एनआईटी के नियमों के अनुसार आउटसोर्सिंग कंपनियों को भी अपना सिक्योरिटी गार्ड रखना है. कंपनियां खुद के सुरक्षा गार्ड रखी है अथवा नहीं ,इसकी भी पड़ताल हो रही है.
आउटसोर्स कंपनियों के गार्ड की हथियार की भी करनी है जाँच
सुरक्षा के लिए कंपनी के गार्डो के पास किस तरह के हथियार हैं, वह सुरक्षा मानक के कसौटी पर खरे उतरते हैं अथवा नहीं. अगर नहीं तो कंपनी के सुरक्षा गार्ड को प्रशिक्षण देकर तैयार किया जाएगा. सुरक्षा ऑडिट में कोलियरी क्षेत्रों में सायरन लगाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. मकसद यह है कि कोयला चोर अगर जबरन प्रवेश करते हैं, तो लगातार सायरन बजा दिया जाए. जिससे अगल-बगल के सीआईएसएफ जवान या पुलिस सजग और सक्रिय हो जाए. कोयला उत्पादन क्षेत्र में समुचित रोशनी की व्यवस्था करने का भी आउटसोर्सिंग कंपनियों को जिम्मेवारी है. आपको बता दें कि कोल इंडिया के वरीय सुरक्षा सलाहकार की मौजूदगी में हाल ही में उपायुक्त के साथ हुई मैराथन बैठक के बाद यह निर्णय हुआ कि आउटसोर्सिंग कंपनियों की सुरक्षा ऑडिट कराई जाए.
बुधवार से सुरक्षा ऑडिट का काम हो गया है शुरू
इसके लिए बीसीसीएल ने टीम बनाकर बुधवार से यह काम शुरू कर दिया है. लेकिन इस काम में कितनी ईमानदारी बरती जाएगी, आउटसोर्सिंग कंपनियों के संचालक के सामने कोयला अधिकारी अपनी बातों पर अडिग रहते हैं, अथवा विचलन करते है. यह सब भी देखने वाली बात होगी. आउटसोर्सिंग कंपनियों का तो जो हाल है कि डंपर का डंपर कोयला चोरी से बाहर भेज दिया जाता है. इसमें मजबूत और संगठित गिरोह शामिल होते है. उस गिरोह को तोड़ना बहुत आसान नहीं होगा लेकिन अगर सुरक्षा ऑडिट को आधार बनाकर बीसीसीएल प्रबंधन, सीआईएसएफ, पुलिस अथवा प्रशासन सख्ती करे तो कोई कारण भी नहीं है कि कोयला चोरों और तस्करों की मनमानी चल सके. लेकिन इसके लिए सबको मन बनाना होगा कि एक छटाक भी कोयला चोरी नहीं होने देंगे , तभी जाकर यह संभव है अन्यथा फेकाफेकी का खेल चलता रहेगा और राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान होता रहेगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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