धनबाद(DHANBAD): जिन्हें कोयले का अवैध खनन रोकना है, वही किसी न किसी आरोप के दायरे में है. ऐसे में आम नागरिक किसी विवाद में क्यों फंसे. शायद यही मानसिकता है कि खनन प्रहरी मोबाइल ऐप पर मामलों की शिकायत दर्ज नहीं हो पा रही है. जितनी शिकायतें होनी चाहिए, उतनी नहीं पहुंच पा रही है. कोयला मंत्रालय ने अब अवैध खनन के खिलाफ सिटीजन मूवमेंट शुरू करने को ठाना है. लोगों से आगे बढ़ने का अपील भी की गई है. लोगों से अपील की जा रही है कि खनन प्रहरी ऐप के माध्यम से अवैध खनन की शिकायत करें, शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी. कोयला मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जिम्मेदार नागरिक इस मुहिम में शामिल हो और अवैध खनन के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करे.
अपील -आम नागरिक शामिल हो इस अभियान में
यह नागरिकों को कोयला चोरी और अवैध खनन के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने का अधिकार और अवसर देता है. पारदर्शिता महत्वपूर्ण है, नागरिक अपनी चिंताओं को व्यक्त करें और किसी भी अवैध खनन संबंधी गतिविधि की सूचना दे. कोयला मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जिम्मेदार खनन के एक नए युग में देश प्रवेश कर गया है. खनन प्रहरी ऐप कोयला खनन में किसी भी अवैध गतिविधि की रिपोर्ट करने के लिए एक गेटवे है. कोयला मंत्रालय के इस अपील की कोल इंडिया के अनुषंगी कंपनियां तेजी से प्रसारित कर रही है. कोई भी पूछ सकता है कि यह खनन प्रहरी ऐप है क्या तो जान लीजिए अवैध कोयला खनन की निगरानी के लिए खनन प्रभारी मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया था. जिस विचार और भरोसे के साथ इसकी लॉन्चिंग हुई थी, उस अनुपात में परिणाम सामने नहीं आए है. शायद यही वजह है कि कोयला मंत्रालय अब खनन प्रहरी ऐप को जन-जन तक पहुंचाने की कोशिश में लगा हुआ है.
जियो टैगिंग कर डाली जा सकती है तस्वीर
अवैध खनन से संबंधित गतिविधियों की जियो टैगिंग कर अवैध खनन की घटना से संबंधित तस्वीर, स्थान, को ऐप पर डाला जा सकता है. इस ऐप पर मिलने वाली शिकायतों की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है और अवैध खनन रोकने के लिए लगाई गई एजेंसियों को तुरंत सूचना दी जाती है. हालांकि देश में अथवा कोयलांचल में इस ऐप पर शिकायत करने में लोगों की दिलचस्पी नहीं है. यही वजह है कि कोयला कंपनियां इसे प्रचार कर रही है. खनन प्रहरी ऐप पर मिलने वाली शिकायतों से संबंधित एक रिपोर्ट कोयला मंत्रालय की ओर से 2023 में ही जारी की गई थी. उक्त रिपोर्ट के अनुसार अवैध खनन की सबसे ज्यादा शिकायतें बंगाल और झारखंड से आई थी. धनबाद कोयलांचल में अवैध खनन तो कुटीर उद्योग का रूप ले लिया है. दिनदहाड़े झुंड के झुंड लोग खदानों तक पहुंचते हैं और कोयला उठाकर ले जाते है. इस काम में कई मजबूत गिरोह लगे हुए है. लोकल मजदूरों के बजाय बाहर से मजदूरों को बुलाकर रखा जाता है और उनसे कोयला कटवा कर चिन्हित स्थान तक पहुंचाया जाता है.
धनबाद कोयलांचल तो हो गया है कुख्यात
यह काम धनबाद कोयलांचल के प्रायः हरेक क्षेत्र में हो रहा है. कोयला काटने के बाद गिरोह के लोग इसे अपने डिपो तक पहुचवाते हैं, फिर वहां से बड़े वाहनों से फर्जी कागजात के आधार पर दूसरे प्रदेशों को भेज दिया जाता है. एक अनुमान के अनुसार बीसीसीएल का जितना ऑफिशियल प्रोडक्शन है, उसे थोड़ा बहुत कम ही मात्रा में कोयले की चोरी होती है. मतलब कंपनी को कितना नुकसान होता है, इसका आकलन किया जा सकता है. हालांकि कोयला चोरी में आउटसोर्सिंग कंपनियों की भूमिका भी संदिग्ध है. अभी हाल ही में आउटसोर्सिंग कंपनियों की सुरक्षा ऑडिट हुई थी, उसमें नियम के उल्लंघन के मामले सामने आए थे. बीसीसीएल भी नई- नई तकनीक का उपयोग कर कोयला चोरी रोकने का प्रयास कर रही है लेकिन कोयला चोरी भी अजीब है कि रूकती ही नहीं.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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