टीएनपी डेस्क (Tnp desk):-झारखंड सरकार ने किन्नरों की जिंदगी में बदलाव लाने की पहल की है . ताकि उनकी जिवन बेहतर बन सके. इसी कवायद के तहत किन्नरों को ओबीसी सूची के तहत आरक्षण देने का फैसला लिया है. साथ ही हेमंत सोरेन की सरकार ने किन्नरों को एक हजार रुपये की राशि पेंशन के रूप में देने की भी बात कही है. राज्य सरकार के इस फैसले से ओबीसी संगठन थोड़ा नाराज दिख रहे हैं. हालांकि, उनका इरादा किन्नरों को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं है. बल्कि उनकी नाराजगी किन्नरों को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने से है.
हेमंत सरकार के फैसले से आक्रोश
राज्य में ओबीसी कोटे से किन्नरों के लिए आरक्षण के फैसले पर इस वर्ग की राजनीति करने वाले संगठन विरोध जता रहे हैं. दरअसल, ओबीसी संगठन पहले से ही आरक्षण का कोटा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग करते रहे हैं. हालांकि, उनकी मांगे पचास प्रतिशत तो पूरी नहीं ही. लेकिन, राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की अनुशंसा जरूर कर दी है. लेकिन, इसकी मंजूरी नहीं मिली है. इसका प्रस्ताव भी राजभवन से वापस लौट गया है. पिछले दिनों राज्य मंत्री परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के आलोक में किन्नरों को आरक्षण देने की मंजूरी दी थी. किन्नरों को एक हजार मासिक मानदेय देने का भी फैसला किया गया था.
ओबीसी संगठन की अपनी राय
ओबीसी संगठन का मानना है कि, वे किन्नरों को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं है और ऐसी कोई मंशा उन्हें दरकिनार करने की भी नही है. लेकिन, उनकी आपत्ति ओबीसी कोटे से आरक्षण देने पर है. इन संगठनों का तर्क और मानना है कि अलग से अथवा अन्य वर्गों के कोटे से किन्नरों को आरक्षण दिया जा सकता है. ऐसा नहीं होने पर राजनीतिक मुखालफत बढ़ेगी . किन्नरों को राज्य सरकार ने एक बड़ी सौगात दे डाली है. लेकिन, ओबीसी कोटे से रिजर्वेशन लाजमी तौर पर आगे बवाल पैदा करेगा. जिसका असर आगामी चुनाव से पहले दिख सकता है.
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