धनबाद(DHANBAD): झारखंड को राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाता है. कई मामलों में यह सच भी साबित हुआ है. पहली जून को लोकसभा की वोटिंग खत्म हो जाएगी. 4 जून को परिणाम आ जाएगा. उसके बाद झारखंड में राजनीतिक दल विधानसभा की तैयारी करेंगे. यह तैयारी भी कमजोर नहीं होगी. महागठबंधन चाहेगा कि उसकी सरकार झारखंड में फिर से काबिज हो, तो एनडीए चाहेगा कि वह महागठबंधन को अपदस्त कर दे. यह बात भी सही है कि झारखंड में पार्टी बदल-बदल कर चुनाव लड़ने की पुरानी परंपरा है. लोकसभा चुनाव के बाद भी विधानसभा चुनाव के लिए लोग इधर से उधर होंगे. इसमें किसी को संदेह नहीं होना चहिये. पहले से टिकट की आस लगाए लोगो को जब टिकट नहीं मिलेगा तो फिर दूसरे दल की तलाश करेंगे. वैसे, एक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2024 के लोकसभा चुनाव में कम से कम एक दर्जन प्रत्याशी ऐसे हैं, जो दल बदल कर दूसरे दलों में शामिल हुए हैं और चुनाव लड़ रहे है.
दल बदल कर चुनाव लड़ने वालों की है लम्बी सूची
ऐसे लोगों की सूची बहुत लंबी है. झारखंड के गोड्डा से कांग्रेस के उम्मीदवार प्रदीप यादव से अगर शुरू किया जाए, तो प्रदीप यादव पहले झारखंड विकास मोर्चा में थे. अब कांग्रेस में है. फिलहाल कांग्रेस के टिकट पर गोड्डा सीट से चुनाव लड़ रहे है. जमशेदपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विद्युत वरण महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रोडक्ट है. इसी पार्टी के टिकट पर विधायक भी बने, फिर भाजपा में चले गए. 2024 में जमशेदपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है. अब आपको चतरा लिए चलते है. चतरा से भाजपा के उम्मीदवार कालीचरण सिंह पहले झारखंड विकास मोर्चा में थे. फिलहाल चतरा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है. हजारीबाग की बात की जाए तो भाजपा के उम्मीदवार मनीष जायसवाल राजनीति की शुरुआत झारखंड विकास मोर्चा से की. फिर भाजपा में गए. भाजपा के टिकट पर हजारीबाग सदर से विधायक चुने गए. 2024 के चुनाव में हजारीबाग लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे है.
ढुल्लू महतो भी पार्टी बदल कर भाजपा में आये
धनबाद लोकसभा की बात की जाए तो भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो पहले समरेश सिंह के दल में थे. फिर झारखंड विकास मोर्चा में आये. फिर भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक भी बने. फिलहाल 2024 के लोकसभा चुनाव में धनबाद से भाजपा से अपनी किस्मत आजमा रहे है. लोहरदगा सीट की बात की जाए तो सुखदेव भगत पहले कांग्रेस में थे. फिर भाजपा में गए, फिर कांग्रेस में लौटे और अब 2024 में लोहरदगा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है. दुमका सीट की बात की जाए तो भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा में थी. कई बार विधायक बनी. फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर बीजेपी में चली गई. फिलहाल भाजपा के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही है. सिंघभूम की बात की जाए तो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही गीता कोड़ा अन्य दलों से राजनीति की शुरुआत करने के बाद कांग्रेस में आई. फिर कांग्रेस की सांसद बनने के बाद भाजपा में चली गई और अभी भाजपा के टिकट पर सिंहभूम से चुनाव लड़ रही है. कोडरमा सीट की बात की जाए तो अन्नपूर्णा देवी पहले राजद में थी. फिर भाजपा में गई. कोडरमा से सांसद बनी.
अन्नपूर्णा देवी राजद से भाजपा में आई
इस बार फिर कोडरमा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही है. सिंघभूम सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्रत्याशी जोबा मांझी पहले झारखंड विकास मोर्चा में थी. अभी झारखंड मुक्ति मोर्चा में है और सिंघभूम सीट से किस्मत आजमा रही है. राजमहल संसदीय सीट की बात की जाए तो भाजपा के उम्मीदवार ताला मरांडी पहले भाजपा में थे. फिर दूसरे दल में चले गए, फिर भाजपा में लौटे और इस बार राजमहल संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे है. हजारीबाग संसदीय सीट की बात की जाए तो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे जे पी पटेल पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा में थे, फिर भाजपा में चले गए. फिलहाल कांग्रेस के टिकट पर हजारीबाग से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे है. दल बदल कर चुनाव लड़ना इन सब के लिए फायदे का सौदा रहा या नहीं, इसका पता तो 4 जून को चलेगा. लेकिन इतना तो तय है कि झारखंड में कुछ गिने चुने ही नेता है, जो पार्टी बदल-बदल कर चुनाव लड़ते रहे है. ऐसे लोगों की सूची लंबी है. विधानसभा चुनाव के पहले भी कुछ ऐसा हो सकता है. इस बात की संभावना से कोई इनकार नहीं कर सकता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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