देवघर(DEOGHAR): भगवान शिव की शक्ति अपरंपार है. भोलेदानी अपने भक्तों को इतनी शक्ति प्रदान कर देते है की भक्तों को पता भी नही चलता. भोले के भक्त भी अपनी मनोकामना के लिए कुछ भी कर सकते हैं. वैसे शिव आराधना के लिए सभी दिन एक समान होता है लेकिन शिव भक्ति का सबसे पवित्र महीना सावन माना जाता है. यह माह भोलेदानी का अतिप्रिय है. यही कारण है कि सावन के माह में हर कोई शिवभक्ति में लीन होना चाहता है. कोई शिवालय में जाकर पूजा अर्चना करता है तो कोई पवित्र ज्योर्तिलिंग में जाकर. किसी भी स्थान, मंदिर, शिवालय, ज्योर्तिलिंग में सच्ची श्रद्धा और अटूट विश्वास के साथ पूजा अर्चना करने से भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूर्ण जरूर करते हैं.
हठयोग का उदाहरण समस्तीपुर के श्रद्धालु द्वारा कांवरिया पथ पर देखा जा सकता है
सावन माह में कांवर यात्रा की प्रधानता रही है. यही कारण है कि सावन माह में देवघर में श्रावणी मेला का आयोजन किया जाता है, क्योंकि यहां पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ विराजमान हैं. रावण द्वारा लाया गया है यह शिवलिंग. रावण कठोर तपस्या से भोलेनाथ से प्राप्त आत्मलिंग को जब लंका ले जा रहा था, तभी किसी कारणवश वह आत्मलिंग यहां स्थापित हो गया. शिवलिंग जब लंका ले जाने में असमर्थ हो गया रावण तो भगवान शिव को जल चढ़ाने और प्रसन्न करने के लिए रावण ने कांवर यात्रा की थी. सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा का जल लेकर रावण ने कांवर यात्रा कर भोलेनाथ का जलाभिषेक कर लंका लौटा था. इसके बाद जब लंका पर भगवान राम जब विजयी प्राप्त करने के जा रहे थे तो उनके द्वारा भी कांवर यात्रा कर शिव का जलाभिषेक किया गया था. इसके बाद से परंपरा बनी हुई है. सावन के माह में भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के लिए देश विदेश से श्रद्धालु बाबा धाम आते है.
दंड या गुलेटनिया देते हुए 105 किलोमिटर की यात्रा तय करते है बिहार के ये बम
सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर कोई पैदल तो कोई कांवर लेकर तो कोई दौड़ते हुए जिसे डाक बम कहते हैं ये सभी अपने अपने सामर्थ के अनुसार यात्रा कर बाबा बैद्यनाथ का जलार्पण करते है. इन सब से हट कर ऐसे भी भोलेनाथ के भक्त होते है जो दंड या गुलेटनिया देकर सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर की कठिन यात्रा करते है. इन दिनों कांवरिया पथ पर एक ऐसे ही शिव भक्त को देखा जा रहा है जो गुलटेनिया मारते हुए बाबा मंदिर की ओर अग्रसर हो रहा है. अपनी जिंदगी के 55 बसंत देख चुके बिहार के समस्तीपुर जिला के रहने वाले वेदप्रकाश सिंह गुलटेनिया दे कर अपने हठयोग का परिचय दे रहे है.105 किलोमीटर की दूरी ये इसी तरह गुलेटनिया देकर कर रहे है. 30 दिन से लगातार इसी तरह हठयोग करते बाबा मंदिर पहुंच रहे है. हालांकि अभी इनकी यात्रा 10 किलोमीटर दूर है. फिर भी इस उम्र में इस तरह का हठयोग कर रहे वेदप्रकाश की मानें तो उनकी कोई मनोकामना नही है, वे श्रद्धा से यह यात्रा कर रहे है. ये बोलते हैं शिव की भक्ति में इतनी ताकत है कि उन्हें इस कठिन और पीड़ादायक यात्रा में कोई कठिनाई और दर्द महसूस नही हो रही. कांवरिया पथ पर इनको देख इनकी भक्ति के सभी कायल हो रहे हैं.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा
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