धनबाद(DHANBAD) | धनबाद के मजबूत घराने "सिंह मेन्शन" से अब एक नहीं , दो मजदूर संगठन चलेंगे. एक सामने से सिंह मेन्शन के पदाधिकारी चलाएंगे , जबकि फिलहाल दूसरे को परदे के पीछे से सिंह मेन्शन के लोग चलायेंगे. एक का तो नाम वही रहेगा जनता मजदूर संघ जबकि नया संगठन जो आकार ले लिया है, उसका नाम जनता श्रमिक संघ होगा. झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के समर्थकों ने रविवार को इसकी औपचारिक घोषणा की. यह बात अलग है कि घोषणा के समय सिंह मेंशन के कोई सदस्य मौजूद नहीं थे. लेकिन लेकिन पर्दे के पीछे से सब कुछ हुआ है. जानकार सूत्र बताते हैं कि आगे चलकर जनता श्रमिक संघ नामक नए मजदूर संगठन की अगुवाई संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह करेंगी.
जनता मजदूर संघ को लेकर घर में विवाद चल रहा
जनता मजदूर संघ को लेकर घर में विवाद चल रहा है. इस विवाद की वजह से नए श्रमिक संगठन की रूपरेखा तैयार की गई है. कहने को तो इस संगठन से सिंह मेन्शन को कोई लेना देना नहीं है, लेकिन सच्चाई यही है कि इस संगठन के पीछे जितने लोग हैं, वह सभी संजीव सिंह के बहुत ही करीबी है. मतलब साफ है कि सिंह मेन्शन से अब दो संगठन काम करेंगे. जनता मजदूर संघ की अगुवाई सूर्यदेव सिंह के बेटे सिद्धार्थ गौतम करते रहेंगे. तो दूसरे संगठन की अगुवाई आगे चलकर सूर्य देव सिंह की बहू रागिनी सिंह करेंगी. जनता मजदूर संघ (कुंती गुट) के भीतर आपसी खींचतान चल रही है. संजीव सिंह के जेल जाने के बाद इसके कर्ता-धर्ता सिद्धार्थ गौतम है. संजीव सिंह और सिद्धार्थ गौतम की मां कुंती देवी फिलहाल जनता मजदूर संघ (कुंती गुट) की अध्यक्ष है. सूत्र बताते हैं कि जनता मजदूर संघ (कुंती गुट) को लेकर चल रहे विवाद के कारण कई माह पहले ही जनता श्रमिक संघ का गठन कर लिया गया था.
HMS से इसकी संबद्धता भी प्राप्त कर ली गई है
कागजी कार्रवाई भी पूरी कर ली गई थी. HMS से इसकी संबद्धता भी प्राप्त कर ली गई है. मतलब साफ है कि तैयारी पहले से चल रही थी और घोषणा के लिए समय का इंतजार किया जा रहा था. घोषणा करने वालों की नजर में यह समय उपयुक्त लगा और आज इसकी औपचारिक घोषणा कर दी गई. जनता श्रमिक संघ की कहानी भी बहुत दिलचस्प है. यह संगठन किसी जमाने में पूर्व मंत्री आबो देवी चलाती थी लेकिन कतिपय कारणों से इस संगठन का अस्तित्व खत्म हो गया. इसी संगठन को सिंह मेन्शन के समर्थकों ने कागजी कार्रवाई करने के बाद अपने पाले में कर लिया और रविवार को इसकी घोषणा कर दी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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