सात घंटे के अंदर सरकारी से प्रायवेट अस्पताल के चक्कर में महिला ने तोड़ दिया दम, समझिये दलालों का खेल


लोहरदगा (LOHARDAGA): लोहरदगा सदर अस्पताल में बुखार से पीड़ित एक महिला को इलाज के लिए भर्ती कराया गया. इस बीच मरीज के बेटा को एक व्यक्ति ने उसे किसी प्रायवेट अस्पताल में इलाज करवाने के लिए वरगला दिया। मां की ममता के आगे पुत्र नत्मस्तक हुआ उसे उस व्यक्ति की बात मान ली। रातों-रात वृद्ध महिला को निजी अस्पताल शिफ्ट करने का काम शुरू किया गया. निजी अस्पताल पहुंच कर महिला का इलाज सेंटर लाइन डालकर किया गया. फिर आधी रात को सीटी स्कैन कराने के नाम पर मरीज को जबरन रांची भेज दिया गया. रांची जाने के नाम पर महिला को कुडू मार्ग पहुंचा दिया गया. यहां अस्पताल कर्मी ने महिला को मृत घोषित कर दिया. महज बुखार की शिकायत लिए पैदल चलकर अस्पताल पहुंचने वाली महिला ने दलालों के चक्कर में सात घंटे के अंदर ही दम तोड़ दिया.
वो व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि प्रायवेट अस्पताल का एक दलाल बताया जा रहा है. लगातार शिकायतेंं मिल रही हैं कि सरकारी अस्पताल में प्रायवेट अस्पतालों के दलाल सक्रिय हैं. दूर दराज से आने वाले भोले-भाले तंगहाल मरीजों को दलाल अपनी बातों में फांस लेते हैं. सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को दलाल अपने नीजी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए बरगलाते हैं. जिसके बाद मरीज को सरकारी अस्पताल से निजी अस्पताल शिफ्ट कर दिया जाता है. जहां मरीज के परिजनों से मोटी रकम वसूली जाती हैं. दलालों के शिकार में पड़ने वालों की मानें तो निजी अस्पतालों में 25 हजार से लोकर एक लाख तक का इलाज किया जाता है. 25 हजार वाले इलाज से मरीज के ठीक होने की कोई गारंटी नहीं होती, वहीं एक लाख वाले इलाज से ठीक होने की पूरी गारंटी होती है.
सिविल सर्जन ने कबूली दलालों के सक्रियता की बात
बता दें कि लोहरदग जिला में निजी अस्पतालों की बाढ़ सी आ गई है. यहां इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर सिर्फ और सिर्फ मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है. इस पूरे मामले पर सिविल सर्जन ने जानकारी होने की सूचना को स्वीकार किया. उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल में सहिया की भूमिका अहम है, लेकिन अस्पताल में दलालों का घिनौना खेल कब और कैसे सक्रिय हुआ, यह तो कार्रवाई के बाद ही पता चल पाएगा. लोहरदगा सदर अस्पताल के अलावे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में निजी अस्पतालों के दलाल सरकारी कर्मी के रूप में भी सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं. हाल के दिनों में जनता हॉस्पिटल का गुमला जिला के घाघरा का मामला सामने आया था. जो कि समय के साथ गुम हो गया. अब देखना है कि निजी अस्पतालों के इस तरह की मनमानी पर रोक कब लगेगी. या फिर दलाली का यह आलम मरीजों की जान लेता रहेगा.
रिपोर्ट: लोहरदगा ब्यूरो
4+