पहुंच गया संकल्प पत्र: अब झारखंड के मेडिकल कॉलेज अस्पताल चलेंगे "खुद कमायो -खुद खर्चो " की तर्ज पर, पढ़िए नए नियम


धनबाद(DHANBAD): सरकारी अस्पताल भी अब निजी हॉस्पिटल की तर्ज पर काम करेंगे. इधर ,झारखंड सरकार ने अस्पतालों पर कमाने का दबाव बढ़ाया है तो अब अस्पताल भी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर डिमांड की सूची तैयार करने में भिड़ गए है. सरकार ने निर्देश निकाला है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज को अब अपना खर्च खुद निकालना होगा. सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना से हर महीने आय अर्जित करने का टारगेट दिया गया है. टारगेट के अनुसार हर महीने एक बेड से ₹20,000 की कमाई करनी होगी. हो सकता है कि यह पहला मौका है, इसलिए टारगेट की राशि कम रखी गई है. आगे चलकर यह राशि और बढ़ाई जा सकती है. यह इंतजाम राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज के लिए की गई है. अगर धनबाद की बात की जाए, तो धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 500 बेड है.
इस हिसाब से इसे हर महीने एक करोड रुपए कि कमाई करनी होगी. सभी एचओडी को अस्पताल स्तर से बता दिया गया है. जिस विभाग के पास जितने बेड हैं, उसी हिसाब से आय करनी होगी. बता दें यह राशि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत इलाज के लिए की जाने वाली क्लेम प्रक्रिया से आएगी. हो सकता है कि भविष्य में सरकारी अस्पतालों का संचालन अब इसी इनकम से हो. हो सकता है कि आगे सरकारी अस्पताल की आय के हिसाब से ही आगे की व्यवस्था करना सरकार चाहती हो. हो सकता है कि सरकार की यह भी सोच हो कि अस्पताल दुरुस्त हो जाएं और सरकार का बोझ भी कम हो जाए. बता दे कि आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोगो को ₹5,00,000 तक का सालाना इलाज फ्री मिलता है. इसके तहत सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सारी दवा और सामग्री फ्री दी जाती है.
अस्पताल को निर्धारित पैकेज में प्रतिशत हिस्सेदारी होती है. डॉक्टर और कर्मचारियों को भी राशि मिलती है. अस्पताल को मिलने वाली राशि अस्पताल के विकास पर खर्च होती है. यानी आयुष्मान से सरकारी अस्पतालों में जितना अधिक इलाज होगा, अस्पताल को उतनी अधिक राशि मिलेगी. बता दें कि धनबाद के उपायुक्त आदित्य रंजन धनबाद के सदर अस्पताल को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहे है. दो दिन पहले उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण भी किया था और पूरी व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए प्लान भी तैयार किया गया है. ऐसे में सरकारी अस्पताल भी अब निजी अस्पताल की राह पर चलेंगे. वैसे बता दें कि भुगतान नहीं होने से झारखंड के कई अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज का काम बंद कर दिया है. इससे मरीजो को भी परेशानी हो रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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