जमशेदपुर (JAMSHEDPUR):हमारा देश ऐसा देश है जहां सरकारी लाभ लोगों को बस कागजों पर मिलता है. कागजों पर ही विद्यालय चलते हैं, कागजों पर ही लोगों को पेंशन दिए जाते हैं, और कागजों पर ही लोगों का इलाज भी किया जाता है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हमारे देश में ऐसे बहुत अस्पताल है. जो कागजों पर तो गिने जाते हैं. लेकिन जब धरातल पर इसकी जांच की जाती है तो पाया जाता है कि वह पिछले 10 सालों से बंद है तो 15 सालों से बंद है. यानी कि कागजों पर लोगों का इलाज हो रहा है. अब जरा सोचिए कि इन अस्पतालों के बंद होने से वहां के लोगों को कितनी परेशानी होती होगी. एक ऐसा ही मामला झारखंड के जमशेदपुर जिले से आया है.
पिछले 5 साल से बंद है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
जहां डुमरिया प्रखंड में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिछले 5 साल से बंद है. स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और डॉक्टर के अभाव में हॉस्पिटल बंद कर दिया गया है. यहां के लोगों को गांव से दूर जाकर पैसे लगाकर अस्पताल में इलाज करना पड़ता है. झारखंड सरकार के करोड़ों रुपये खर्च किए जाने का कोई भी फायदा लोगों को नहीं मिला.
डॉक्टर के अभाव की वजह से बंद है अस्पताल
आपको बताये कि सारा मामला जमशेदपुर के डुमरिया प्रखंड के बाकिशोल पंचायत के बाकूल चंदा गांव का है. जहां डॉक्टर के अभाव की वजह से पिछले पांच साल से बंद पड़ा है. लेकिन इस सरकारी हॉस्पिटल की सुध लेने वाला कोई नहीं है. जिसकी सजा ग्रामीण भुगत रहे हैं. इनको ईलाज कराने में परेशानी होती है. इस अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी के साथ अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की भी कमी थी.लेकिन इसका समाधान निकालने की जगह इसको बंद करना ज्यादा आसान लगा. इसलिए तो इसको 5 साल पहले ही बंद कर दिया गया. एक बार भी गांव के गरीब लोगों के बारे में नहीं सोचा गया.
ग्रमीणो में है काफी गुस्सा
बता दें कि करोडों रुपया खर्च कर झारखंड सरकार ने हॉस्पिटल को बनवाया था.ताकि स्थानीय लोगों का इलाज आसानी से हो सके. और मरीजों को गांव से दूर नहीं जाना पड़े. लेकिन डॉक्टर और और कर्मचारियों के अभाव की वजह से पिछले पांच साल से हॉस्पिटल बंद पड़ा हुआ हैं. और अब तक चालू नहीं हो पाया है. इसको देखने वाला कोई नहीं हैं. मरीजों को दूर इलाज करने के लिए जाना पड़ रहा है. जिससे स्थानीय लोगो में काफी गुस्सा है. लोगों के पैसों की पैसा हो रही है.
डॉक्टरों की बाट जोह रहा अस्पताल
करोड़ों रुपये खर्च कर बना यह अस्पताल आज भी डॉक्टरों की आस में जोह रहा है. कि शायद उसे बी लोगों की सेवा का सौभाग्य मिले. अब देखना है कि अस्पताल कब तक शुरु होता है. और कब ग्रामीणों की इलाज की समस्या का समाधान होता है.
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