धनबाद (DHANBAD) : धनबाद में माफिया बने "पंचदेवों" को नियंत्रित करने के लिए माफिया उन्मूलन अभियान चलाया गया था. उनके खिलाफ के सारे मुकदमे को सूचीबद्ध कराकर ट्रायल शुरू कराई गई थी. उस समय एकीकृत बिहार के मुख्यमंत्री पंडित बिंदेश्वरी दुबे थे और धनबाद के डीसी थे मदन मोहन झा. वैसे तो धनबाद में "ईजी गोइंग मनी" के लिए अपराध करने से कोई परहेज नहीं करता था. हाल के दिनों में कुछ ऐसे ही उदाहरण सामने आया हैं जहां आजीवन कारावास की सजा होने के बाद भी अपराधी क्राइम की घटनाओं में शामिल हो रहे है. मिली जानकारी के अनुसार अपराधी अपील बेल पर बाहर आते है. और बाहर आने के बाद भी सामान्य जीवन जीने के बजाए अपराध के रास्ते को नहीं छोड़ पाते है.
धनबाद के वह अपराधी जो आजीवन कारावास की सजा पा कर भी क्राइम में रहे शामिल
यह सूची लंबी हो सकती है लेकिन कुछ चुनिंदा मामलो का यहां जिक्र किया जा सकता है. धनबाद के जोगता के निशांत सिंह उर्फ पैया का उदाहरण ही ले लीजिए. हेमलाल तूरी मर्डर कांड में उसे उम्र कैद की सजा हुई. 2021 में वह हाईकोर्ट से अपील बेल पर रिहा हुआ. रिहा होने के बाद 27 जनवरी 2021 को वह पिस्टल के साथ जोगता में ही पकड़ा गया. उसे बेल मिली तो बाहर निकल कर बरवाअड्डा हीरक रोड के कुर्मीडीह निवासी राजकुमार साव की कथित रूप से हत्या कर फरार हो गया था.
इसी तरह का मामला धनबाद शहर के रंगाटांड़ के रणविजय सिंह का भी है. 2014 में रेलकर्मी का यह पुत्र अपने पिता के दोस्त पर ही पिस्टल तान दी थी. लेकिन बेल पर बाहर निकला तो कुख्यात चंदन सोनार गिरोह में शामिल हो गया. फिर 2017 में रांची के नगरी के भाजपा नेता के पुत्र समेत तीन के अपहरण में इसका नाम आया. इस कांड में 2019 में उसे उम्र कैद की सजा मिली. जिसके बाद 2022 में वह अपील बेल पर बाहर आया और कालू लामा गिरोह में शामिल हो गया. रांची के बिट्टू खान की हत्या में भी उसका नाम आया थी. जिसके बाद इसी साल जुलाई महीने में एटीएस ने उसे धर दबोचा.
इसी तरह वासेपुर के गोपी खान की बात की जाए तो 2010 में जदयू नेता मनोज सिंह और मनोज विश्वकर्मा डबल मर्डर केस में उसे आजीवन कारावास की सजा हुई. इस कांड में वह हाईकोर्ट से अपील बेल पर है. गोपी खान बहुचर्चित जमीन कारोबारी नन्हे हत्याकांड में भी वांछित है. फरारी के दौरान भी उसके ऊपर कई मामले दर्ज हो चुके हैं. इधर, अपराध की बात करें तो धनबाद अपराधियों की शरण स्थली बन गई है. पुलिस की तमाम सक्रियता को धत्ता बताते हुए अपराधी अपराध कर रहे हैं. रंगदारी वसूल रहे हैं, और लोगों का जाना दूभर कर पुलिस को खुली चुनौती दे रहे है.
रिपोर्ट. धनबाद ब्यूरों
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